इस्राएल की हमास पर लगातार जारी जबरदस्त सैन्य कार्रवाई के बीच इस्राएल सहित 23 देशों की तरफ से बंधकों को फौरन छोड़े जाने की मांग की गई है। ये 23 देश वे हैं जिनके नागरिकों को हमास ने 7 अक्तूबर के आतंकवादी हमले के बाद से बंधक बना रखा है। बंधकों की संख्या करीब 200 बताई जा रही है। इस्राएल के विदेश मंत्री के साथ इन 22 देशों के राजदूतों तथा कूटनीतिकों ने कहा है कि बंधकों को फौरन छोड़ा जाए और साथ ही अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस को इन बंधकों तक जाने की छूट दी जाए।
इस्लामी आतंकवादी संगठन हमास ने जिन 200 लोगों को बंधक बना रखा है उनकी नागरिकता अलग अलग देशों की है। यही वजह है उन सभी देशों ने इस्राएल की मांग में साथ दिया है कि उनके यहां के नागरिकों सहित सभी बंधकों को हमास फौरन छोड़ दे।
उल्लेखनीय है कि इस्राएल की सेना ने जानकारी दी है कि हमास ने गाजा में जो लगभग 200 लोग बंधक की तरह रखे हुए हैं उनमें से लगभग 30 छोटे बच्चे हैं। इन बंधकों में लगभग दस बुजुर्ग बताए जा रहे हैं। साथ ही, इस्राएल ने एक बार फिर दोहराया है कि उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता बंधकों छुड़ाना है। इसके साथ ही अब जमीन के रास्ते हमले की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं।
सिर्फ इस्राएल ही नहीं, विश्व के अनेक हिस्सों से इस्राएल की कार्रवाई की सफलता और बंधकों की रिहाई को लेकर रैलियां निकाले जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं। अमेरिका में न्यूयार्क के प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर में रैली निकली। इसमें शामिल लोगों ने आतंकवादी संगठन हमास को लानतें भेजते हुए गाजा में बंधक बनाकर रखे गए मासूम लोगों और बच्चों को अविलंब रिहा करने की मांग की। रैली में लोगों हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की फोटो भी थाम रखी थीं। बंधकों की सुरक्षित वापसी की मांग के जोरशोर से नारे लगाए गए। रैली में उन परिजनों ने भी भाग लिया जिनके अपने बंधक के तौर पर हमास की कैद में रह रहे हैं।
इस्राएली विदेश मंत्री एली कोहेन तथा अन्य 22 देशों के राजदूतों तथा कूटनीतिकों ने यह मांग भी बलपूर्वक रखी है कि कम से कम रेड क्रॉस को बंधकों तक पहुंचने के लिए रास्ता दिया जाए। कोहेन का एक बयान बताता है कि इस्राएल और विभिन्न देशों के राजदूतों की बैठक हुई थी जिसमें यह तय हुआ था कि संयुक्त अपील जारी करके हमास पर बंधकों की फौरन रिहाई का दबाव बनाया जाए।
उस बैठक में इस्राएल के अलावा जिन देशों के राजदूत और कूटनीतिक मौजूद थे उनमें हैं—तंजानिया, रूस, पेरू, रोमानिया, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, जार्जिया, श्रीलंका, फिलीपीन्स, हंगरी, फ्रांस, डेनमार्क, मेक्सिको, इथियोपिया, आस्ट्रिया, सर्बिया, इथियोपिया, इटली, कोलंबिया, कनाडा, थाइलैंड, नीदरलैंड्स, यूरोपीय संघ और पोलैंड। इधर 19 अक्तूबर को इस्राएल के यरुशलम शहर में पवित्र मानी जाने वाली पश्चिमी दीवार पर स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में इकट्ठे होकर बंधकों की सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना की।
सिर्फ इस्राएल ही नहीं, विश्व के अनेक हिस्सों से इस्राएल की कार्रवाई की सफलता और बंधकों की रिहाई को लेकर रैलियां निकाले जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं। अमेरिका में न्यूयार्क के प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर में रैली निकली। इसमें शामिल लोगों ने आतंकवादी संगठन हमास को लानतें भेजते हुए गाजा में बंधक बनाकर रखे गए मासूम लोगों और बच्चों को अविलंब रिहा करने की मांग की। रैली में लोगों हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की फोटो भी थाम रखी थीं। बंधकों की सुरक्षित वापसी की मांग के जोरशोर से नारे लगाए गए। रैली में उन परिजनों ने भी भाग लिया जिनके अपने बंधक के तौर पर हमास की कैद में रह रहे हैं।
दूसरी तरफ दुनिया भर के मुस्लिम देशों में ब्रदरहुड के नाम पर इस्लामवादी हमास के पक्ष में रैलियां निकाल रहे हैं। इस्लामी देश इंडोनेशिया के जकार्ता शहर में कई लोगों ने इकट्ठे होकर अमेरिका के दूतावास तथा यूएन मिशन के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, जकार्ता की अनेक मस्जिदों से छोटी छोटी रैलियां निकाल उक्त दो स्थानों पर ये इस्लामवादी पहुंचे थे और वहां उन्होंने इस्राएल और अमेरिका विरोधी नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने इस्राएल से मांग की कि गाजा पर हवाई हमले बंद किए जाएं। लेकिन जैसा पहले बताया, इस्राएल ने ‘ग्राउंड अटैक’ की तैयारियां पूरी कर ली हैं। माना जा रहा है कि यह हमला हमास पर कहर बरपाएगा और पहले के हमलों से कहीं ज्यादा भीषण होगा।
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