नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के बाद एक और इतिहास रच दिया है। देश के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की ओर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए शनिवार सुबह क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया।
सुबह साढ़े आठ बजे इसकी लॉन्चिंग होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे टाल दिया गया था, लेकिन सुबह दस बजे के करीब फिर कोशिश की गई और इस बार इतिहास रच गया। गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। अबॉर्ट टेस्ट का मतलब है कि अगर मिशन में कोई दिक्कत हो तो अंतरिक्षयात्रियों के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए।
टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 के तीन चरण हैं। सिंगल स्टेज व्हीकल रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू स्केप सिस्टम (सीईएस )। क्रू मॉडल जब सीईएस से अलग होगा तब इसके पैराशूट खुल जाएंगे। उस समय यह करीब 16 किलोमीटर की ऊंचाई पर होगा। श्रीहरिकोटा से करीब दस किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में इसकी लैंडिंग होगी और वहां नौसेना साथ देगी।
इसरो प्रमुख ने बताया कि आशा के अनुरूप सभी चीजें दुरुस्त
(टीवी डी1) के जरिये गगनयान मिशन के लिए चालक दल को ले जाने की प्रक्रिया और प्रणाली का परीक्षण किया गया है। गगनयान (TV-D1) टेस्ट मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्च होने पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होने कहा कि मुझे गगनयान टीवी डी1 मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने बताया कि उड़ान भरने के बाद क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) सक्रिय हुआ और इसने क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से अलग किया। इसके बाद क्रू मॉड्यूल के पैराशूट खुले और फिर समुद्र में लैंड कर गया। इससे जुड़ा पूरा डाटा इसरो के पास आ गया है। क्रू मॉड्यूल को रिकवर करने के लिए नौसेना की मदद ली जा रही है। जहाज समुद्र में भेजे गए हैं। आशा के अनुरूप सभी चीजें दुरुस्त हैं।
क्या है गगनयान मिशन
‘गगनयान’ भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान है। इसके 2025 में लॉन्च होने की उम्मीद है। इन मिशन के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और उसे सकुशल वापस लाया जाएगा। मिशन में जीएसएलवीएमके 3 की जगह एचएलवीएम 3 का प्रयोग होगा। इसके ऊपरी हिस्से में क्रू स्केप सिस्टम है।
मानव को अंतरिक्ष में भेजने और उन्हें सकुशल वापस लाने में कोई चूक न हो, किसी तरह की कोई समस्या न हो, इससे पहले इसरो कई परीक्षण करेगा। उसी क्रम में TVD1 का परीक्षण किया गया और यह सफल रहा। TVD1 गगनयान मिशन से जुड़े टेस्ट परीक्षणों का पहला मिशन है। यह इसलिए खास है क्योंकि इसकी सफलता ने अन्य परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार कर दिया है। इसरो चीफ पहले ही बता चुके हैं कि गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट के बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट D2, D3 और D4 भेजी जाएंगी. इसके बाद गगनयान मिशन का पहला मानवरहित मिशन लॉन्च होगा। परीक्षण उड़ान में एक ह्यूमनॉयड होगा।इसमें रोबोट जाएगा। इस रोबोट का नाम व्योम मित्र है। इसकी तस्वीर भी इसरो की ओर से जारी की जा चुकी है। सेंसर से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण किया जाएगा। वहां के तापमान का रोबोट पर क्या असर पड़ रहा है, इसकी भी जानकारी मिलेगी। ट्रॉयल के परिणाम को देखने के बाद सेटेलाइट के साथ मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान में भारतीय वायुसेना के तीन या चार लड़ाकू पायलट मिशन का हिस्सा होंगे। उन्होंने रूस में ट्रेनिंग ली है। वे क्रू की तरह जाएंगे।
गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से की थी। इसके सफल होते ही भारत अंतरिक्ष में इंसान को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अंतरिक्ष में इंसान को भेज चुके हैं। इसरो, डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसमें जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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