बेट द्वारका में मछली पकड़ने और नाव चलाने के लिए मुसलमान बाहर से गए। धीरे-धीरे ये लोग वहां स्थाई रूप से बस गए। इस कारण वहां हिंदू कम हो गए और मुसलमान ज्यादा। इन लोगों ने मस्जिद, मदरसों और मजारों की आड़ में सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया।
श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका, बेट द्वारका, सोमनाथ, कच्छ और कुछ अन्य हिंदू तीर्थों के आसपास बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। इसके पीछे देश-विरोधी तत्व थे। उनकी मंशा बहुत ही घातक थी। यही कारण है कि जब भूपेंद्र भाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इन तत्वों के विरुद्ध अभियान चलाया। एक ऐसा ही अभियान पिछले दिनों सोमनाथ में चलाया गया। इसमें 5,434 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर बने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को हटाया गया। इसके साथ ही 13,000 वर्ग मीटर सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए भी कार्रवाई की गई।
बता दें कि सोमनाथ मंदिर के पास समुद्र किनारे की सरकारी जमीन पर काफी समय पहले कब्जा हुआ था। इसे मुक्त कराने के लिए गिर सोमनाथ जिले के कलेक्टर एच.के. वाधवानिया के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में एक कार्ययोजना तैयार की गई। इसके अंतर्गत 30 से अधिक अधिकारियों की एक टीम ने सोमनाथ मंदिर के पीछे जीआईडीसी के सामने सरकारी भूमि पर बने 27 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर दिया।
गुजरात में ओखा बंदरगाह से लगभग सात समुद्री मील दूर है बेट द्वारका। यह स्थान द्वारका जिले में पड़ता है और पाकिस्तान के बिल्कुल नजदीक है। गुजराती में ‘बेट’ का अर्थ होता है द्वीप। यानी द्वारका द्वीप। इसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है और यहां द्वारकाधीश मंदिर है। कालांतर में इस जगह का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा गया था। अब जो जगह बची है, उसका क्षेत्रफल लगभग 13 किलोमीटर है।
यह कार्रवाई शांति से पूर्ण हो सके, इसके लिए 550 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। इससे पहले 2022 में 14 अक्तूबर से द्वारका में भी अतिक्रमण को हटाने के लिए अभियान शुरू किया गया था। लंबे समय तक चले इस अभियान से द्वारका और बेट द्वारका में बड़ी संख्या में ऐसे घरों और मजहबी स्थलों को हटाया गया, जिन्हें सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाया गया था। ऐसे ही पावागढ़ और कच्छ के कोटेश्वर में कुछ स्थानों पर भी अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया।
बता दें कि गुजरात में ओखा बंदरगाह से लगभग सात समुद्री मील दूर है बेट द्वारका। यह स्थान द्वारका जिले में पड़ता है और पाकिस्तान के बिल्कुल नजदीक है। गुजराती में ‘बेट’ का अर्थ होता है द्वीप। यानी द्वारका द्वीप। इसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है और यहां द्वारकाधीश मंदिर है। कालांतर में इस जगह का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा गया था। अब जो जगह बची है, उसका क्षेत्रफल लगभग 13 किलोमीटर है।
अभी तक लोग इस द्वीप पर नाव के जरिए ही जाते हैं। चूंकि यह द्वीप है और यहां रहने वाले ज्यादातर मछुआरे हैं। मछुआरों में भी अधिकतर मुसलमान हैं। यही लोग नाव भी चलाते हैं। बाद में ये लोग वहां बसने लगे। इस तरह वहां मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई। इन लोगों ने मस्जिद, मदरसों और मजारों की आड़ में सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। इस कब्जे को हटाने के लिए गुजरात सरकार ने बड़ा अभियान चलाया और अब वहां की स्थितिअब कुछ ठीक हुई है।
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