मैदान में घुटनों पर बैठकर नमाज पढ़ना और लंबी दाढ़ी बढ़ाकर रखने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटरों के लिए खेल से पहले मजहब है, यह बात कई बार साबित हो चुकी है। कहने वाले लाख कहते रहें कि खेलों से राजनीति दूर रखो, लेकिन मजहबी उन्माद में पगे पाकिस्तानी क्रिकेटर ऐसी बातों को ठेंगा ही दिखाते रहे हैं। अब ताजा इस्राएल फिलिस्तीन विवाद में भी उन्होंने मजहबी राजनीति की घुसपैइ कराने की कसमें खाई हुई हैं। रिजवान नाम का एक खिलाड़ी पहले भी मैदान पर मजहबी हरकतें करता पाया गया था और खेल प्रेमियों द्वारा लताड़ा गया था। लेकिन अब तो कई खिलाड़ी फिलिस्तीन का झंडा अपनी सोशल पोस्ट में साझा करके एक तरह से आतंकवादी संगठन हमास का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं।
क्रिकेट कम मजहब के लिए बौराए रहने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटरों की इस ताजा हरकत के लिए भी खेल जगत से जुड़े लोग उन्हें खूब खरी—खोटी सुना भी रहे हैं। ये मोहम्मद रिजवान नाम के खिलाड़ी ने अभी एक मैच में शतक लगाया था और उसने बाद में सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर दी कि वह शतक ‘गाजा के नाम’ है। यह वही रिजवान है जो उस मैच में एक और वजह से कुख्यात हुआ है। उसने मैदान में कई बार मांसपेशी में खिंचाव और चोट लगने का बहाना बनाया था। इस झूठ से पर्दा भी उसी ने एक चर्चा में हटाया था।
पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने लगभग हर बार मैदान पर अपना मजहबी झुकाव दिखाने वाली हरकतें की हैं। यही वजह से कि बीते दिनों के पाकिस्तानी क्रिकेटर हिन्दू धर्मानुयायी दानिश कनेरिया का इन्हीं मजहब पसंदों ने जीना मुश्किल कर दिया था। उस पर कन्वर्जन का दबाव बनाया गया, टीम में सौतेला बर्ताव किया गया, धमकाया गया। इस बाबत दानिश खुद अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट डालकर इन पाकिस्तानी खिलाड़ियों की असलियत से पर्दा हटा चुके हैं।
ऐसे ही एक अन्य मजहबी उन्मादी खिलाड़ी फहीम अशरफ ने फिलिस्तीन का झंडा लगा इमोजी साझा किया। इतना ही नहीं, उसने हैशटैग भी लगाया जिसमें उसने खुलकर फिलिस्तीन का समर्थन किया था। करते रहें जिन्हें ‘खेल से राजनीति का दूर रखो’ की ‘सांप्रदायिक बातें’ करनी हैं, पाकिस्तान के सेकुलर खिलाड़ी उसे दो कौड़ी बराबर मोल नहीं देते।
फिलिस्तीन का समर्थन ही नहीं, पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिन्होंने इस्राएल के विरुद्ध भड़काने वाले ट्वीट किए हैं। अपने इन ट्वीट में खिलाड़ियों ने फिलिस्तीन के पाले में खड़े होने का संदेश दिया है। जैसा बताया पाकिस्तान का विकेट कीपर मोहम्मद रिजवान अपने शतक को ‘गाजा के लोगों को समर्पित’ कर चुका है। उसने अपने ट्वीट में लिखा था, “ये सैकड़ा गाजा के मेरे भाइयों—बहनों के नाम है।” इस पोस्ट के बाद गत दो दिन में अधिकांश पाकिस्तानी खिलाड़ी फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े दिखते हुए फिलिस्तीन झंडे को पोस्ट में साझा कर रहे हैं।
फिलिस्तीन के पक्ष और इस्राएल के विरोध वाले अपने ट्वीट के अधिक से अधिक प्रसार की गरज से उन्होंने ऐसे ज्यादातर ट्वीट 18 अक्तूबर की रात को करना शुरू किया। उसके साथ हैशटैग भी प्रचारित किया गया। कई मजहबी उन्माद में डूबे खिलाड़ियों ने फिलिस्तीन की तस्वीर वाले पोस्ट किए। फहीम अशरफ नाम के खिलाड़ी ने तो ऐसा इमोजी लगाया जिसमें फिलिस्तीन का झंडा बना था। हैशटैग में उसने फिलिस्तीन के पाने में खड़े होने का आह्वान किया था।
पाकिस्तान के खिलाड़ियों ने लगभग हर बार मैदान पर अपना मजहबी झुकाव दिखाने वाली हरकतें की हैं। बीते दिनों के पाकिस्तानी क्रिकेटर हिन्दू धर्मानुयायी दानिश कनेरिया का इन्हीं मजहब पसंदों ने जीना मुश्किल कर दिया था। उस पर कन्वर्जन का दबाव बनाया गया, टीम में सौतेला बर्ताव किया गया, धमकाया गया। इस बाबत दानिश खुद अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट डालकर इन पाकिस्तानी खिलाड़ियों की असलियत से पर्दा हटा चुके हैं।
पाकिस्तान के इन खिलाड़ियों के मैदान पर ऐसे उग्र मजहबी बर्ताव को देखते हुए कई क्रिकेट प्रेमी इतने गुस्से में हैं कि उन्हें फौरन दौरे से वापस भेजने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर मजहबी देश पाकिस्तान के खिलाड़ियों के लिए प्राथमिकता मजहब है, खेल नहीं तो वे अपने देश लौटकर वहां मस्जिदों में जाकर चौबीसों घंटे बैठे रहें।
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