पाकिस्तान क्रिकेट टीम द्वारा भारतीय दर्शकों की शिकायत किए जाने को लेकर अब कई खिलाड़ी विरोध में आ रहे हैं। इंग्लैण्ड के पूर्व क्रिकेटर मौंटी पानेसर ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह केवल हार और जीत की बात है। यदि पाकिस्तान की टीम जीत जाती तो ये सब बातें नहीं हो रही होतीं। मगर चूंकि पाकिस्तान की टीम भारत की टीम से हार गयी है, तो ये सब बातें हो रही हैं।
वहीं पाकिस्तान की टीम द्वारा अमदाबाद में भारतीय दर्शकों द्वारा कथित रूप से गलत व्यवहार किए जाने की शिकायत के बाद पूर्व भारतीय खिलाड़ी इरफान पठान ने अपने साथ पाकिस्तान में घटित घटना को सोशल मीडिया पर साझा किया और कमेंट्री में भी इस घटना का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि “जब वह पेशावर में मैच खेलने गए थे, तो वह बहुत अच्छा खेल रहे थे और उसी बीच दर्शकदीर्घा से एक पाकिस्तानी दर्शक ने एक कील फेंककर मारी थी, जो उनकी आँखों के नीचे लगी थी।” उनके अनुसार वह घायल भी हो सकते थे। मगर उन्होंने इस बात की शिकायत नहीं की थी। खेल इस कारण दस मिनट तक रुका रहा था और फिर भी हम लोगों ने खेल पर ध्यान केन्द्रित किया और इस बात का बतंगड़ नहीं बनाया।
इरफान पठान ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय दर्शकों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। यह मामला दरअसल अमदाबाद में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मैच के बाद शुरू हुआ, जहां पर लोग “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का कहना है कि पाकिस्तान और उसके खिलाडियों पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। इसी को लेकर उसने आईसीसी से शिकायत की है। पाकिस्तान के कोच का कहना है कि “दिल-दिल पाकिस्तान” भी नहीं बजाया गया।
यहाँ पर पाकिस्तानी कोच इस बात को भूल जाते हैं कि भारत को लेकर पाकिस्तानी टीम की और उनके चीफ की क्या भावनाएं हैं। भारत के दर्शकों पर कोई भी टिप्पणी करने से पहले उन्हें पाकिस्तानी टीम के पूर्व व्यवहार और जब वह यहाँ आ रही थी, तो उस समय पीसीबी चीफ जाका अशरफ की उस टिप्पणी पर दृष्टिपात करना चाहिए था, जिसमें उन्होंने भारत को “दुश्मन मुल्क” कहा था। फिर आलोचना होने पर “राइवल अर्थात प्रतिद्वंदी” कह दिया था!
भारत की टीम जब-जब भी पाकिस्तान गयी है, लगभग हर बार वहां पर भारतीय टीम के साथ दुर्व्यवहार हुआ है। और जिसके किस्से हमने भी पिछले लेख में साझा किये थे। मगर पाकिस्तानी टीम में अपने ही हिन्दू खिलाड़ियों को लेकर जो भेदभाव होता है, उसका प्रत्यक्ष उदाहरण पाकिस्तानी हिन्दू खिलाड़ी दानिश कनेरिया हैं। उन्होंने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाड़ी द्वारा श्रीलंका के खिलाड़ी के कन्वर्जन को लेकर वायरल वीडियो पर टिप्पणी करते हुए लिखा था कि “चाहे ड्रेसिंग रूम हो, खेल का मैदान हो या फिर डाइनिंग टेबल, मेरे साथ यह रोज होता था”!
दानिश कनेरिया के साथ धर्म के आधार पर जो भेदभाव होता था, उसके विषय में पाकिस्तानी खिलाड़ी शोएब अख्तर ने भी कहा था कि हिन्दू होने के कारण ही दानिश के साथ भेदभाव होता था और क्रिकेटर उनके साथ खाना नहीं खाते थे और बात नहीं करते थे और यहाँ तक कि हिन्दू होने के कारण उन्हें टीम में भी लिए जाने का विरोध भी हुआ था।
वहीं दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की शिकायत पर कई प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने अपने (x) पर लिखा कि
“किसने पाकिस्तानी पत्रकार जैनब अब्बास को भारत और हिन्दुओं के विरुद्ध टिप्पणी करने के लिए कहा था?
किसने मिकी आर्थर को एक आईसीसी इवेंट को बीसीसीआई इवेंट बताने के लिए कहा था?
किसने कहा था रिजवान को कि वह खेल के मैदान में नमाज पढ़े?
दूसरों में गलतियाँ खोजना बंद करें!”
जहां पाकिस्तान की टीम अपने साथ हुए कथित दुर्व्यवहार की शिकायत कर रही है और भारत का एक बहुत बड़ा कथित “लिबरल” वर्ग इस बात के लिए रो रहा है कि मुसलमान होने के नाते पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ भारतीय दर्शकों ने कथित रूप से दुर्व्यवहार किया तो वहीं उन्हें अफगानिस्तान की टीम की भारतीय दर्शकों द्वारा हौसला अफजाई को देखना चाहिए था।
इंग्लैड के खिलाफ अफगानिस्तान की टीम की जिस प्रकार भारत के दर्शकों ने हौसलाअफजाई की, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय दर्शकों को यह बहुत अच्छी तरह से पता है कि खेल भावना क्या है और क्या होती है, और इसमें धर्म नहीं बल्कि उनके देश के प्रति दूसरे देश के खिलाड़ियों की भावना महत्वपूर्ण है! दरअसल पाकिस्तानी खिलाड़ियों, खेल पत्रकारों, पीसीबी चीफ एवं पाकिस्तान के कुछ कट्टर लोगों द्वारा भारत के खिलाफ लगातार जो भड़काऊ बातें की जाती हैं, उनसे भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच मात्र मैच नहीं रह जाता है। वह उनके लिए जंग का मैदान हो जाता है, जैसा हमने टी-20 विश्वकप में भारत पर पाकिस्तानी टीम की जीत के दौरान देखा था, जिसे भारत के मुस्लिमों के लिए भी जीत बताने का दुष्प्रयास पाकिस्तान के मिनिस्टर द्वारा किया गया था।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यह शिकायत करके अपनी ही छवि को और नीचे गिरा रहा है क्योंकि रिपोर्ट्स के अनुसार आईसीसी शायद ही इस विषय में कोई कदम उठाए क्योंकि आईसीसी के कोड व्यक्तियों के लिए हैं, लोगों के समूह के लिए नहीं और कोई भी खिलाड़ी किसी भी प्रकार से घायल नहीं हुआ है। नारे लगाने वाले लोग आते ही हैं। यही तो खेल का दबाव होता है!
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