भारत के विरुद्ध जहर उगलने वाली दो अमेरिकी संस्थाओं के सोशल मीडिया (X ) अकाउंट भारत में रोक दिए गए हैं। एक संस्था का नाम हिन्दूज फॉर ह्यूमन राइट्स है, परन्तु इसका कार्य धर्मनिष्ठ हिन्दुओं के प्रति विष वमन के साथ ही धर्मनिष्ठ हिन्दुओं एवं भारत के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना है। यही नहीं अभी हाल ही में हार्वर्ड स्टूडेंट यूनियन ने इजरायल पर हमास के हमले को सही ठहराते हुए जो पत्र लिखा था, उसमें एक हस्ताक्षर स्रव्या तादेपिल का भी था, जो हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स के बोर्ड पर है।
कहने के लिए ही यह संगठन हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स है, परन्तु इसके कदम हिन्दू विरोधी हैं। हिन्दुओं के प्रति घृणा टपकती है। हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स, की वेबसाइट पर जाकर यही प्रतीत होता है कि यह संगठन मानवाधिकार की आड़ में हिन्दुओं का विरोध कर रहा है। यहाँ तक कि इस वेबसाइट पर द केरला स्टोरी एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों का भी विरोध किया गया है।
इस संगठन का सारा जोर यह प्रमाणित करने पर है कि हिन्दू पीड़ित नहीं हैं और हिन्दुओं पर धर्म को लेकर अत्याचार नहीं हो रहे हैं। यह संगठन इजरायल द्वारा हमास पर किए जा रहे हमलों को फिलिस्तीन से जोड़कर मानवाधिकारों की बात करता है, परन्तु यह संगठन पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की पीड़ा पर मौन है। इसका एक ही ध्येय है कि भारत की मोदी सरकार को बदनाम करना।
यही वह संगठन है जिसने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के समय अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को पत्र लिखकर यह कहा था कि भारत में लोकतंत्र समाप्त होने वाला है। दिलचस्प यह है कि समावेशी विचारों का दावा करने वाले ऐसे संगठन अपने में हिन्दू हितों की आवाज उठाने वालों का समावेशीकरण नहीं चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी के विरोध में यह संगठन इस सीमा तक नीचे गया है कि वह पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित हिन्दुओं के लिए बने नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी विरोध करता है।
अपने एक वीडियों में यह संगठन यह प्रमाणित करने का प्रयास कर रहा है कि इस देश में हिन्दू और सिखों को नागरिकता लेने के लिए यह बहाना बनाना पड़ेगा कि वह दूसरे देश में प्रताड़ित हो रहे हैं।
अब प्रश्न उठता है कि क्या हिन्दुओं के नाम पर बने इस संगठन को पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की पीड़ा नहीं दिखती? कल से ही एक पाकिस्तानी हिन्दू लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रही है कि कैसे उसके साथ बचपन से ही स्कूल में भेदभाव किया जाता था और उसके भाई को इस्लाम कुबूलने के लिए मारा गया, यहाँ तक कि उसे बीफ तक खिलाया गया। उस लड़की ने कहा किसे उसे भी बीफ खिलाने का प्रयास हुआ, मगर वह बच गयी।
अभी राहुल गांधी जब अमेरिका के दौरे पर गए थे, वहां पर भी इनके साथ सुनीता विश्वनाथ थीं, जो इस हिन्दू विरोधी संगठन की एग्ज़ेक्युटिव डायरेक्टर हैं। इस संगठन के एडवाइजरी बोर्ड में वह अपूर्वानंद भी हैं, जिनका नाम दिल्ली दंगों में भी आया था, और एक महिला ने यह आरोप लगाया था कि प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद ने दंगों के लिए बुर्के वाली महिलाओं की टीम तैयार की थी।
और यह वही संगठन है, जिसने डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व जैसे हिन्दू विरोधी कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2021 में किया था!
इसके एडवाइजरी बोर्ड में स्वरा भास्कर जैसी महिलाएं हैं। अत: यह पूरी तरह से समझ में आ जाना चाहिए कि कहने के लिए यह हिन्दूज फॉर ह्यूमन राइट्स है, मगर इसका उद्देश्य हिन्दुओं के हितों को दबाकर यह प्रमाणित करना है कि दरअसल हिन्दुओं पर कोई खतरा है ही नहीं और इसका दूसरा उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार के विरुद्ध असंतोष उत्पन्न करना है।
इसके साथ ही दूसरे संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल का भी खाता भारत में प्रतिबंधित कर दिया है। यह अकाउंट भी भारत में भड़काऊ कार्य करता था, वह भारत में भारत और हिन्दू विरोधी प्रोपेगेंडा चलाता था। हालांकि इसका अभी हिन्दू हैंडल चल रहा है और वह भड़काऊ पोस्ट्स कर रहा है जो Indian American Muslim Council (हिंदी) के नाम से है।
सबसे मजे की बात यह है कि कथित जातिगत भेदभाव को लेकर हिन्दुओं के विरुद्ध हाल ही में कैलिफोर्निया में गवर्नर के वीटो के बाद बिल निष्प्रभावी हो गया, उसके विरुद्ध इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल और हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स दोनों ही खड़े हैं। दोनों ने ही गवर्नर के इस वीटो पर निराशा व्यक्त की। दोनों ही संगठन इजरायल पर हमास के हमले के विरुद्ध एक भी शब्द नहीं बोले हैं और दोनों ही संगठनों की चुप्पी मुस्लिमों में व्याप्त जाति-बिरादरी के आधार पर होने वाले भेदभाव पर है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल कभी भी उन मुस्लिम महिलाओं पर आवाज़ उठाती नहीं दिख रही है जो ईरान में केवल अपना सिर खुला रखने के मौलिक अधिकार के चलते हिंसा का शिकार हो रही हैं। वह अफ्रीकी देशों में मुस्लिमों की बुरी स्थिति पर बात नहीं करती है। उसे फिलिस्तीन से प्यार है, मगर फिलिस्तीन के नागरिकों को कैसे हमास अपना शिकार बना रहा है, उस पर बात नहीं करनी है।
कहा जा सकता है कि यह दोनों ही संगठन कथित मानवाधिकारों की आड़ में मात्र उनके अधिकारों का समर्थन कर रहे हैं, जो निर्दोषों का खून बहा रहे हैं। दोनों में से कोई भी संगठन न ही पाकिस्तानी हिन्दुओं के विषय में बात कर रहा है और न ही अफगानिस्तान या ईरान में मुस्लिम लड़कियों की परदे में कैद पर बात कर रहा है। कहा जा सकता है कि यह दोनों ही संगठन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर मानवता विरोधी एजेंडा चला रहे हैं।
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