फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास औऱ इजरायल युद्ध के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है। पवार ने कहा कि एनसीपी का रुख स्पष्ट है कि वो उन लोगों के साथ खड़ी है, जिनकी वो भूमि है। इजरायल का समर्थन करने से पहले भारत सरकार को अफगानिस्तान, ईरान, यूएई जैसे देशों के बारे में सोचना चाहिए था। पवार के इस बयान पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, पीयूष गोयल समेत कई नेताओं ने उनकी निंदा की, तो वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को भी फिलिस्तीन लड़ने के लिए भेज दें।
पवार के बयान को गैर जिम्मेदाराना करार देते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनकी निंदा की। उन्होंने स्पष्ट रूप से पवार को नसीहत दी कि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि चिंता होनी चाहिए। जब राष्ट्र की रक्षा की बात आए तो सभी में एकता और आम सहमति होनी चाहिए। गडकरी कहते हैं कि हालात की गंभीरता को देखते हुए राजनीतिक या व्यक्तिगत राय से ऊपर उठकर एकता और आम सहमति बनानी चाहिए। पवार जैसे राजनेताओं से तो इस बात की उम्मीद की जाती है कि वो पक्षपातपूर्ण विचारों की जगह पीएम मोदी के रुख के साथ होंगे।
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वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पवार के बयान को बेतुका करार दिया और कहा आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए। गोयल ने तो यहां तक कह दिया कि एक ऐसा व्यक्ति जो मुख्यमंत्री के साथ-साथ भारत का रक्षा मंत्री भी रह चुका है वो आतंकवाद के मुद्दे पर इस तरह के बयान देते हैं। इस तरह की मानसिकता को रोकने की आवश्यकता है।
शरद पवार का क्या था बयान
गौरतलब है कि रविवार को मुंबई में शरद पवार ने फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए अपने कार्यकर्ताओं से कहा था कि एनसीपी का रुख इजरायल-हमास पर स्पष्ट है वो जिसकी जमीन है उसी के साथ है। पवार ने इस मामले को संवेदनशील मामला करार दिया और कहा कि कोई भी फैसला करने से पहले भारत सरकार को भारत को गल्फ के देशों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एनसीपी फिलिस्तीन के साथ खड़ी है। जबकि पीएम मोदी के रुख से ये स्पष्ट है कि वो इजरायल के साथ खड़े हैं।
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