अमेरिका के राष्ट्रपति कल इस्राएल के दौरे पर जाएंगे, लेकिन आज अमेरिकी कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया गया है। इसमें इस्राएल—हमास युद्ध पर चिंता व्यक्त करते हुए मांग की गई है कि गाजा में ‘फौरन’ युद्ध विराम किया जाए। सांसदों द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव में लिखा है कि इस्राएल और गाजा में फौरन तनाव कम हो और ‘संघर्षविराम’ लागू किया जाए।
कांग्रेस में कल अनेक डेमोक्रेटिक सांसदों ने यह प्रस्ताव पेश किया है। इनमें कोरी बुश, रशीदा तलीब, समर ली, अयाना प्रेसली, अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ सहित वह इल्हान उमर शामिल हैं जो कट्टर मजहबी मुद्दे उठाती रहती हैं और भारत के विरुद्ध जहर फैलाने का काम करती हैं। लगभग एक दर्जन से ज्यादा सांसदों ने इस प्रस्ताव में गाजा में तनाव घटाने के लिए संघर्षविराम की बात उठाई है।
अरब के मशहूर चैनल अल जजीरा की रिपोर्ट है कि प्रस्तुत प्रस्ताव कहता है, ‘सभी मानवजीवन बहुमूल्य है, और नागरिकों को लक्ष्य बनाना, चाहे उनकी आस्था अथवा जातीयता कुछ भी हो, वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।’ यहां बता दें कि अमेरिकी संसद में अधिकांश सांसद इस्राएल के प्रति जबरदस्त समर्थन दर्शा चुके हैं। इसे देखते, जानते हुए भी बुश ने एक ऑनलाइन वार्ता आयोजित करके प्रेस से कहा कि संघर्षविराम से जुड़ा प्रस्ताव एक आवश्यक कदम है। बुश के अनुसार, इस प्रस्ताव से ‘अमेरिका के लोग एकजुट हो सकते हैं’।
अमेरिका के सेकुलर तत्व या सांसद चाहे जो कहें, अमेरिका इस्राएल के साथ मजबूती से खड़ा ही नहीं है बल्कि हर तरह की मदद का वादा किया हुआ है। कल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस्राएल जाने ही वाले हैं। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच पिछले दिनों यरुशलम में एक लंबी बैठक हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि गत 7 अक्तूबर को हमास के आतंकवादियों ने इस्राएल के मासूम नागरिकों पर अचानक हमला बोलकर सैकड़ों की जान ले ली थी। इसके साथ ही, इस आतंकी संगठन ने गाजा से लगातार 5000 रॉकेट दागे थे। इस्राएल के विभिन्न शहरों में घूम—घूमकर लोगों को गोलियां मारी थीं। उसके बाद से ही इस्राएल गाजा पर बम बरसा रहा है और आतंकवादियों की कमर तोड़ रहा है। गाजा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं। अनेक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इन हालात में, जानकारों का मानना है कि संभवत: इल्हान उमर जैसी मजहबी कट्टरवादी सांसद ने ही इस प्रस्ताव की पहल की होगी।
इस संबंध में अमेरिका के प्रगतिशील अधिवक्ताओं ने यह जताने की कोशिश की कि अमेरिका चाहे तो दबाव डालकर यह संघर्ष रुकवा सकता है। बुश ने तो ‘दुखी’ होकर कहा कि ‘अगर लाखों नहीं तो कम से कम हजारों जिंदगियां तो संकट में फंसी ही हुई हैं। और हम ऐसा होते देख रहे हैं। लेकिन दुखद है कि यह सब अमेरिका की ही सरकार के समर्थन से चल रहा है। बुश ने इसे ‘शर्मनाक बात’ बताया।
लेकिन अमेरिका के सेकुलर तत्व या सांसद चाहे जो कहें, अमेरिका इस्राएल के साथ मजबूती से खड़ा ही नहीं है बल्कि हर तरह की मदद का वादा किया हुआ है। कल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस्राएल जाने ही वाले हैं। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच पिछले दिनों यरुशलम में एक लंबी बैठक हो चुकी है। माना जा रहा है कि बाइडन की यात्रा उसी में तय हो गई थी।
टिप्पणियाँ