वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट इस्लामी देश पाकिस्तान की कंगाली को सार्वजनिक कर रही है। यह रिपोर्ट बताती है कि तेजी से विकास करते भारत के पड़ोस में तेजी से रसातल में पहुंचते इस्लामी देश की आर्थिक हालात जर्जर हो गई है और देश ढहने जैसी स्थिति में आ पहुंचा है। साथ ही, चौंकाने वाली बात यह भी है कि आज पाकिस्तान की 40 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जा पहुंची है।
इस रिपोर्ट से हालांकि यही बात एक बार फिर पुष्ट होती है कि पाकिस्तान आज दुनिया का वह देश है जो तेजी से आर्थिक रूप से हाथिए पर जा रहा है। उसके नेता और फौजी अफसर आज किसी देश में जाते हैं तो सिर्फ और सिर्फ कर्ज की बात करने, लेकिन आज स्थिति यह हो गई कि दूसरे देश पाकिस्तान के नेताओं को अपने यहां न आने को कह रहे हैं।
पाकिस्तान से सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे अनेक वीडियो तथा चित्र वर्ल्ड बैंक का कहा साबित कर रहे हैं। ऐसे वीडियो हैं जिनमें पाकिस्तान के आम लोग रोटी के लिए आपस में लड़ रहे हैं। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट भी बताती है कि लोग खाने को तरस रहे हैं। पल्ले में इतना पैसा नहीं बचा है कि खाने की चीजें खरीद सकें। रिपोर्ट पाकिस्तान को सावधान करती है कि संभल जाओ, गरीबी सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है। इन हालातों की वजह से ही पाकिस्तान की कुल जनसंख्या की 40 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे बसर कर रही है।
पाकिस्तान आज जिस दौर से गुजर रहा है उसमें आर्थिक तो है ही, मानवीय विकास का संकट भी आन खड़ा हुआ है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि वह देश गरीबी के आंकड़े को काबू में नहीं रख पा रहा है। यह चीज पाकिस्तान के लिए आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। वर्ल्ड बैंक के निदेशक का कहना है कि आज पाकिस्तान के लिए वह समय है, जब उसे अपनी नीतियों पर गौर करना होगा और उनमें आवश्यक बदलाव करने होंगे
इस संदर्भ में अर्थजगत के मशहूर दैनिक द फाइनेंशियल टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट का कहना है, वर्ल्ड बैंक की यह चेतावनी ऐसे वक्त पर आई है, जब पाकिस्तान नए चुनाव कराने की सोच रहा है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट पाकिस्तान की आर्थिक जर्जरता तो दिखाती ही है, यह भी बताती है कि वे कौन से क्षेत्र हैं जिनमें पाकिस्तान की सरकार को ज्यादा ध्यान देकर वित्तीय हालत सुधारने की जरूरत है।
इस दृष्टि से वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट इस्लामी देश पाकिस्तान को सलाह भी दे रही है। पाकिस्तान में बढ़ती गरीबी एक बड़ी चिंता की बात बन चुकी है। गत वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि तब करीब सवा करोड़ पाकिस्तानी ऐसे थे जो गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए थे। आज तो हालत यह है कि वे दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पा रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि आज वहां गरीबी का प्रतिशत 34.2 से उठकर 39.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। साफ है कि वहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे जा रहे हैं। ये लोग अपनी जरूरत की चीजें तक नहीं खरीद पा रहे हैं।
पाकिस्तान आज जिस दौर से गुजर रहा है उसमें आर्थिक तो है ही, मानवीय विकास का संकट भी आन खड़ा हुआ है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि वह देश गरीबी के आंकड़े को काबू में नहीं रख पा रहा है। यह चीज पाकिस्तान के लिए आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। वर्ल्ड बैंक के निदेशक का कहना है कि आज पाकिस्तान के लिए वह समय है, जब उसे अपनी नीतियों पर गौर करना होगा और उनमें आवश्यक बदलाव करने होंगे, नहीं तो पैसे का संकट पूरे देश को ले डूबेगा।
आज पाकिस्तान में सिर्फ मुद्रास्फीति ही आसमान पर नहीं है बल्कि बिजली की कीमतें, जलवायु संकट तथा सार्वजनिक संसाधनों की जबरदस्त कमी भी रिकार्ड तोड़ रही है। लेकिन दिक्कत ये है कि आज उस देश में विकास के जिस रास्ते को अपनाया जा रहा है, उस पर चलकर गरीबी की चुनौती से नहीं निपटा जा सकता है।
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