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संघ ने संभाली राहत की कमान

सिक्किम में अचानक आई विनाशकारी बाढ़ से जानमाल और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। आपदा की इस घड़ी में हमेशा की तरह रा.स्व.संघ के स्वयंसेवक एक बार फिर देवदूत बनकर उतरे तथा बचाव व राहत कार्यों में जुट गए

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Oct 16, 2023, 04:17 pm IST
in भारत, विश्लेषण, सिक्किम
सिक्किम में स्वयंसेवक बेघर हो चुके लोगों को भोजन, पानी और कपड़े तो बांट ही रहे, घरों में जमी गाद को भी साफ कर रहे

सिक्किम में स्वयंसेवक बेघर हो चुके लोगों को भोजन, पानी और कपड़े तो बांट ही रहे, घरों में जमी गाद को भी साफ कर रहे

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तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस त्रासदी के चलते बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। लापता होने वालों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना भी मुश्किल है। स्वयंसेवक, एसएसडीएम और एसडीआरएफ की टीमें बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।

इस माह की शुरुआत में सिक्किम के लोग एक भयानक विपदा के शिकार हुए। हिमालयी क्षेत्र में लगातार वर्षा और बादल फटने से 3-4 अक्तूबर को ल्होनक झील (जो कि एक ग्लेशियर झील है) में बहुत अधिक मात्रा में पानी जमा होने के कारण इसके किनारे टूट गए और पानी बहता हुआ तीस्ता नदी में आ गया। इससे लाचेन घाटी में विनाशकारी बाढ़ आई और नदी के दोनों किनारों पर बड़े क्षेत्र में तुंग-नागा, नम्फिकडांग (दजोंगु), फिदांग (जोंगू), दिकचू बाजार, माखा, सिरवानी, सिंगतम बाजार, आदर्श गांव, गोलितर से लेकर बारदांग, मजीतार, रंगपो (सिक्किम), रंगपो (पश्चिम बंगाल) और नीचे मेल्ली बाजार, तीस्ता बाजार, जेल खोला और आगे के स्थानों में भारी नुकसान हुआ।

चुंगथांग में 1200 मेगावॉट बिजली परियोजना वाला तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड का एक बांध था, जिसमें बहुत अधिक पानी इकट्ठा हो गया। जानकारी के अनुसार, खराब चेतावनी प्रणाली और समय पर जानकारी न मिल पाने के कारण बांध के दरवाजे नहीं खोले जा सके, इसलिए वह टूट गया। इस भयंकर जल प्रवाह से पूरी तीस्ता घाटी जलमग्न हो गई और चुंगथांग बाजार पूरी तरह बह गया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चुंगथांग बाजार के ऊपर का सैन्य अड्डा भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।

यहां भारी मात्रा में मौजूद हथियार और गोला-बारूद भी बाढ़ में बह गई, जिसके कारण निचले इलाकों में कई विस्फोट हुए। हालांकि लोग अपने घरों से भाग निकलने में सफल रहे, लेकिन अपना सामान, महत्वपूर्ण दस्तावेज, आभूषण, नकदी आदि को नहीं बचा सके। बाढ़ में उनका सब कुछ नष्ट हो गया। स्थिति यह है कि निचले इलाके में तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस त्रासदी के चलते बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं। लापता होने वालों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना भी मुश्किल है। एसएसडीएम और एसडीआरएफ की टीमें बचाव और राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।

पहले ही दिन संघ के 16 स्वयंसेवक, अभाविप के 20 कार्यकर्ता, विद्या भारती सिक्किम के 10 कार्यकर्ता, चावल, तेल, पोहा, आटा, खाद्य तेल, दाल, बोतलबंद पीने का पानी, शिशु आहार, बिस्कुट, नूडल्स, सर्फ, चीनी, नमक, फिनाइल, सब्जियों आदि की तीन खेप लेकर सिंगतम, रंगपो और डिक्चू पहुंच गए थे। दूसरे दिन, 5 अक्तूबर को विभाग कार्यवाह के नेतृत्व में 5 स्वयंसेवकों के एक दल ने रंगपो, मझिगांव, मजीटार, आईबीएम, लोअर मामरिंग और बारदांग में राहत शिविरों का दौरा किया और आवश्यकताओं की जानकारी ली।

सड़कें और पुल तबाह

तबाही का आलम यह है कि चुंगथांग से रंगपो बाजार तक, तीस्ता बाजार की ओर और उससे आगे तक कई स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग 10 क्षतिग्रस्त हो गया है। कुछ स्थानों पर सड़क पूरी तरह बह गई है, जबकि कुछ अन्य स्थानों पर बाढ़ में बहकर आए मलबे, कीचड़ से सड़कें ढक गई हैं। बाढ़ में लोहे, लकड़ी और बांस के असंख्य छोटे पुलों के अलावा तीस्ता नदी में विभिन्न स्थानों पर बने कुल 14 प्रमुख पुल भी पूरी तरह बह गए हैं। सबसे अधिक तबाही सिंगतम बाजार (आदर्श गांव, लाल बाजार और गोलिटार) में हुई, जहां सैकड़ों घर या तो बह गए या गाद में समा गए। इन इलाकों में इतना अधिक मलबा जमा हो गया है कि आरसीसी की बनी इमारतों की पहली मंजिल इसमें दबी हुई हैं। बारदांग में सेना का एक शिविर आपदा की चपेट में आया और उसके 23 जवान व कई वाहन बाढ़ में बह गए। केवल दो जवानों को बचाया जा सका। खबर लिखे जाने तक 7 शव बरामद किए जा चुके थे, जबकि लापता लोगों की तलाश जारी थी।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 10 अक्तूबर तक बाढ़ में 34 की मौत, 26 के गंभीर रूप से घायल, 142 के लापता, 2,563 लोगों को बचाने और 6,505 को 26 राहत शिविरों में स्थानांतरित किए जाने की पुष्टि हो चुकी है। 1,716 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से 1,381 कच्चे और 141 आरसीसी इमारतें थीं। कुल 87,800 से अधिक लोग इस अचानक आई बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। लाचेन, लाचुंग और चुंगथांग में फंसे 690 पर्यटकों को सुरक्षित बचा लिया गया और 9 और 10 अक्तूबर तक 146 लोगों को सुरक्षित पाकयोंग हवाईअड्डे पर पहुंचाया जा चुका था। उत्तरी सिक्किम के बाढ़ प्रभावित इलाकों से 26 विदेशी पर्यटकों को निकाला गया है, जो सड़क से पूरी तरह से कटे हुए हैं।

सिक्किम में स्वयंसेवक बेघर हो चुके लोगों को भोजन, पानी और कपड़े तो बांट ही रहे, घरों में जमी गाद को भी साफ कर रहे

खतरों के साये में सिक्किम

  • सिक्किम 7,063 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला एक राज्य है। इसके 80 प्रतिशत भाग में पहाड़ियां, बर्फ से ढके पहाड़, जंगल और राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो मानव बस्तियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
  •  यहां 80 से अधिक छोटी-बड़ी ग्लेशियर झीलें हैं, जो निचले क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए हमेशा खतरा बनी रहती हैं।
  •  सिक्किम की ओर तीस्ता नदी पर 6 प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएं हैं, जिनमें कुछ पूरी हो चुकी हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं।
  •  सिक्किम भूकंप प्रवण क्षेत्र में आता है। यहां के लोगों के मन में सितंबर 2011 में आए भूकंप का डर आज तक बना हुआ है।
  •  4 अक्तूबर की रात को चुंगथांग में जो बांध टूटा, वह प्रदेश में सबसे बड़ा बांध था, जिससे 1200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था।
  •  सिक्किम की लगभग 220 किमी. सीमा चीन से लगती है। यहां ऊंचाई पर सैन्य प्रतिष्ठान हैं, जहां विस्फोटकों और गोला-बारूद के भंडार हैं।
  • बार-बार बादल फटना और भारी वर्षा के कारण भूस्खलन होना सिक्किम में आम बात है।
  • पिछले कुछ वर्षों, विशेषकर 2011 के भूकंप के बाद से, कई शोध संस्थानों और संगठनों ने सिक्किम सहित हिमालयी क्षेत्र में गंभीर चिंता के मुद्दों पर शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। 2019 में बेंगलुरु स्थित एक शोध संगठन ने चेतावनी भी दी थी कि यदि सिक्किम में उचित भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, जांच और गहन अनुसंधान के साथ विकासात्मक परियोजनाएं नहीं शुरू की गईं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
  • एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग 10 सिक्किम को लाचेन और लाचुंग तक जोड़ता है, जो 15,000-17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह सिक्किम की जीवन रेखा है, जो गंगटोक और सिलीगुड़ी से आगे तक का सबसे छोटा मार्ग है।
  •  बर्फ पिघलने से और पानी के अतिप्रवाह के कारण हिमानी जैसे ग्लेशियरों के फटने का खतरा रहता है।
  •  उचित योजना और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के बिना बहुमंजिला इमारतों का निर्माण, सड़कों और नदी किनारों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण भी चिंता की बड़ी वजह हैं।
  •  बिजली परियोजनाओं, फार्मास्युटिकल कंपनियों और अन्य उद्योगों के कारण कामकाजी आबादी में तेजी से वृद्धि और श्रमिकों की भारी आमद से सिक्किम समाज के परम्परागत शांतिपूर्ण अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

मदद को दौड़े स्वयंसेवक

सेवा भारती और कंचनजंघा सेवा ट्रस्ट सिक्किम सहित रा.स्व.संघ से जुड़े कई संगठन लगातार प्रभावित स्थानों पर राहत सामग्री उपलब्ध कराने में जुटे हैं। पहले ही दिन संघ के 16 स्वयंसेवक, अभाविप के 20 कार्यकर्ता, विद्या भारती सिक्किम के 10 कार्यकर्ता, चावल, तेल, पोहा, आटा, खाद्य तेल, दाल, बोतलबंद पीने का पानी, शिशु आहार, बिस्कुट, नूडल्स, सर्फ, चीनी, नमक, फिनाइल, सब्जियों आदि की तीन खेप लेकर सिंगतम, रंगपो और डिक्चू पहुंच गए थे। दूसरे दिन, 5 अक्तूबर को विभाग कार्यवाह के नेतृत्व में 5 स्वयंसेवकों के एक दल ने रंगपो, मझिगांव, मजीटार, आईबीएम, लोअर मामरिंग और बारदांग में राहत शिविरों का दौरा किया और आवश्यकताओं की जानकारी ली।

इसी प्रचार विभाग प्रचारक के नेतृत्व में एक अन्य दल ने डिक्चू बाजार और फिदांग (निचला जोंगू क्षेत्र) का दौरा किया। स्थानीय लोगों द्वारा अस्थायी रूप से बनाए गए रोपवे से खाद्य पदार्थों की एक भारी खेप तीस्ता के दूसरे किनारे पर पहुंचाई गई। विशेष रूप से सिंगताम और रंगपो में पीने का पानी और राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई, जहां बड़ी संख्या में लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

सावधानीपूर्वक निरीक्षण के साथ राहत सामग्री का वितरण करने के बाद संघ, अभाविप, विहिप, विद्या भारती जैसे संबद्ध संगठनों के स्वयंसेवक दक्षिण सिक्किम में लोअर मामरिंग में घरों से मलबा और कीचड़ साफ करने में जुट गए। यहां 4 अक्तूबर को आई बाढ़ से 37 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे और 3 घर पूरी तरह बह गए थे। 10 अक्तूबर को 45 से अधिक स्वयंसेवकों ने घरों से मलबा निकालने के तीन कमरों और दूसरे में बाथरूम वाले दो कमरों को साफ करने में मदद की।

मलबे और कीचड़ को हटाना बहुत कठिन काम है और राहत शिविरों में स्थानांतरित पीड़ितों के पुनर्वास के लिए इसे पूरी तरह से उपयुक्त बनाने में कई सप्ताह लग सकते हैं। इसे देखते हुए संघ ने अपने सभी स्वयंसेवकों से श्रमदान में शामिल होने की अपील की है। संघ की योजना पहले चरण का कार्य 15 अक्तूबर तक पूरा करके फिर परिस्थिति के अनुसार दूसरे चरण की योजना बनाने की है।

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