मुस्लिमों के लिए इस्लामिक शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है दारुल-उलूम देवबंद और इस्लामी शिक्षा देने वाले मदरसे। ठीक इसी तरह से सनातन धर्म की शिक्षा देने के लिए अब विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाएगा। इस बात का ऐलान पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने की है।
शनिवार को गाजियाबाद के गोविंदपुरम स्थित प्रीतम फॉर्म हाउस में चल रहे सनातन कॉन्क्लेव में बोलते हुए यति नरसिंहानंद ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि सनातन की शिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय का निर्माण करने के लिए काफी पैसा खर्च होने वाला है। इसके लिए लिए भारी-भरकम चंदे की आवश्यकता होगी और इसकी शुरुआत वो खुद करेंगे। हिन्दू संत ने कहा कि उत्तराखंड के शुक्रताल और हरिद्वार में उनके दो प्लॉट हैं और वो उसे बेंच कर जो भी धनराशि एकत्रित होगी, उसे सनातन विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए चंदे देंगे। ये काम एक सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा।
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इस बीच गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर की ओर से इसके लिए डॉ उदिता त्यागी ने सवा लाख रुपए के दो चेक को जूना अखाड़े को सौंप भी दिया है।
एक भी ऐसी संस्था नहीं है जो सनातन धर्म पढ़ाती हो
सनातन विश्वविद्यालय की आवश्यकता पर जोर देते हुए यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि संसार की सबसे प्राचीन सभ्यता और संस्कृति सनातन है, लेकिन हमारे पास ऐसी एक भी संस्था नहीं है, जहाँ पर सनातन की शिक्षा दी जाती हो। यही कारण है कि हमारे युवा भ्रमित हैं और अपने ही परिवार और धर्म के शत्रु बने बैठे हैं। वैदिक विद्यापीठ के निर्माण के लिए कुल 250 करोड़ रुपए का खर्च आने वाला है।
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यति नरसिंहानंद ने वैदिक विद्यापीठ के लिए जमीनों के मुद्दे पर कहा कि असम में 1200 बीघे की जमीन पर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है और इसको लेकर असम के सीएम से उनकी बात हो चुकी है। कश्मीर में भी काफी जमीनें हैं। हमें केवल अपने लोगों के शारीरिक और मानसिक योगदान की आवश्यकता होगी वैदिक विद्यापीठ के निर्माण के लिए।
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