उत्तराखंड: वन विभाग को क्यों नहीं पता चल रही वन्यजीवों की मौत की वजह, आरटीआई में हुआ खुलासा
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उत्तराखंड: वन विभाग को क्यों नहीं पता चल रही वन्यजीवों की मौत की वजह, आरटीआई में हुआ खुलासा

पिछले 11 सालों में 9 बाघ, 22 हाथी और 28 तेंदुओं की अस्वाभाविक मौत हुई है

by उत्तराखंड ब्यूरो
Oct 6, 2023, 09:07 pm IST
in उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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देहरादून। वन विभाग वन्यजीवों की मौत की वजह क्यों नहीं पता लगा पा रहा है, इसका खुलासा आरटीआई से हुआ है। इसमें वन विभाग की उदासीनता  सामने आई है। ऐसा बताया गया है कि पिछले 11 सालो में 59 वन्यजीवों की अस्वाभाविक मौत हुई, जिनमें 28 की मौत का ही कारण पता चल सका है।

जानकारी के मुताबिक पिछले 11 सालों में 9 बाघ, 22 हाथी और 28 तेंदुओं की अस्वाभाविक मौत हुई थी, जिनमें से 28 की मौत के कारणों का पता उनके  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिल गया, लेकिन 31 वन्यजीव ऐसे थे जिनके बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। इनमे 13 तेंदुए, 12 हाथी और  6 बाघ हैं। ये तीनों वन्यजीव, संरक्षित श्रेणी में आते हैं और इनकी मौत की वजह जानना और उनका रिकार्ड रखना वन विभाग का दायित्व है।

वन्यजीवों की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम किया जाता है और विसरा वन्यजीव अनुसंधान केंद्र देहरादून अथवा आईवीआरआई बरेली भेजा जाता है।  बताया जाता है वन विभाग अपनी कमजोरी को छुपाने के मकसद से विसरा को भेजने में जान-बूझकर देरी करता है। एक समय बाद विसरा जांचशाला  पहुंचने से पहले ही खराब हो जाता है और इसकी रिपोर्ट नहीं आ पाती है। जो रिपोर्ट अभी तक मिली हैं, उनमें हाथियों के रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से टकराने,  बाघ, तेंदुओं के तार में फंसने या जहर देने जैसे कारण बताए गए हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञ डा शाह बिलाल बताते हैं कि दस प्रतिशत तक यदि वन्यजीवों की मौत की वजह सामने नहीं आई तो बात समझ में आती है। किंतु 50  प्रतिशत से जब आंकड़ा अधिक हो तो संदेह के बादल दिखाई देते हैं।

Topics: वन्यजीवों की मौत की वजहवन्यजीवों की मौत का खुलासाDeath of WildlifeReason for Death of WildlifeDeath of Wildlife Revealeduttarakhand newsउत्तराखंड समाचारउत्तराखंड वन विभागUttarakhand Forest Departmentवन्यजीवों की मौत
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