देहरादून। देर रात एक बार फिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। पिछले दो दिनों में कई बार उत्तराखंड में हल्का और तेज भूकंप आया है। भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकार को भूकंप की थ्रस्ट रेखाओं पर निर्माण कार्य पर रोक लगानी चाहिए।
कुमायूं विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के प्रमुख प्रो राजीव उपध्याय का कहना है कि धारचूला, उत्तरकाशी, कपकोट, मुंशियारी, चमोली भूकंप की दृष्टि से सबसे संवेदनशील जोन 5 का हिस्सा हैं। भारतीय भूभाग अंदरूनी तौर पर यूरेशिया की तरफ खिसक रहा है, जिसकी वजह से धरती के भीतर से एनर्जी बाहर निकल रही है और भूकंप आ रहे हैं।
प्रो उपाध्याय का कहना है कि संवेदनशील जोन 5 में निर्माण कार्य पर पाबंदी लगनी चाहिए और बहुत जरूरी है तो भूकंपरोधी हल्के भवनों का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने बताया कि थ्रस्ट लाइन के नीचे की तरफ जोन 4 है, जिसमें नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी, देहरादून आदि जिले आते हैं। यहां भी भूकंप को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही निर्माण कार्य होने चाहिए।
गौरतलब है कि 29 मार्च 1999 में चमोली में आए भूकंप से 103 लोगों की मौत हुई थी और कई घर ध्वस्त हो गए थे।
देहरादून एमडीडीए ने लिए फैसले
देहरादून जिले में एमडीडीए ने यहां से गुजरने वाली संवेदनशील भूकंप लाइन के दोनों तरफ पचास मीटर तक रोक लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जिस पर शासन ने व्यावहारिक दृष्टि से तीस मीटर तक रोक लगा दी है। शेष बीस मीटर पर बहुमंजिला भवन बनाने पर रोक लगाई गई है। देहरादून चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव के अनुसार भूकंप की फाल्ट लाइन देहरादून से होकर गुजरती है, जिसे अनदेखा नहीं कर सकते हैं।
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