नाइजर में इस्लामी जिहादियों का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वहां एक के बाद एक लगातार सशस्त्र बलों, विशेषकर सेना पर जिहादी हमले हो रहे हैं। आईएस और अल कायदा कब, कहां चोट करके दर्जनों सैनिकों को मार डालेंगे, इसका सेना को अंदाजा लगने से पहले हमला हो जाता है। ताजा जिहादी हमले में इस पश्चिमी अफ्रीकी देश के 29 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है। घटना इतनी हृदयविदारक है कि सरकार ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। रक्षा मंत्रालय आगे सुरक्षा चौकस करने की चिंता में उलझा है।
मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, नाइजर के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ताजा जिहादी हमला घातक विस्फोटकों और आधुनिक हथियारों से लैस 100 से ज्यादा आतंकवादियों ने बोला था। उन्होंने सीधे सैनिकों को निशाने पर लिया था।
नाइजर में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार पर भ्रष्ट होने और पड़ोसी देशों द्वारा देश के अंदरूनी मामलों में दखल देने के आरोप लगाते हुए अपना राज कायम करने की घोषणा की थी। इसके फौरन बाद अगस्त माह में नाइजर में सैनिकों ने देश के हवाई क्षेत्र को सील कर दिया था।
अफ्रीकी देश नाइजर एक लंबे समय से इस्लामी जिहादी गुटों अल कायदा, बोको हराम और इस्लामिक स्टेट के खूंखार हमलों को झेलता आ रहा है। इस्लामी जिहादी पिछले अनेक वर्षों से सुरक्षाकर्मियों को मारते आ रहे हैं। यहां बता दें कि गत जुलाई माह में नाइजर में सेना ने तख्तापलट कर दिया था और तब लोकतांत्रिक तरीके से सम्पन्न चुनावों में चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को उसी माह की 26 तारीख को कुर्सी से जबरन हटा दिया गया था। उसके बाद से नाइजर में जिहादी हमलों में एक तेजी देखी जा रही है।
नाइजर में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार पर भ्रष्ट होने और पड़ोसी देशों द्वारा देश के अंदरूनी मामलों में दखल देने के आरोप लगाते हुए अपना राज कायम करने की घोषणा की थी। इसके फौरन बाद अगस्त माह में नाइजर में सैनिकों ने देश के हवाई क्षेत्र को सील कर दिया था। उन्होंने तब यह आरोप उछाला था कि पड़ोस के देश नाइजर पर हवाई हमले का षड्यंत्र रच रहे हैं।
सेना ने सत्ता के सूत्र अपने हाथों में लेते हुए कहा था कि बहुत जल्द वह राजनीतिक नेतृत्व को शासन सौंप देगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था इसलिए सेनाधिकारियों को भय था कि कहीं हवाई मार्ग से कोई पड़ोसी देश किसी पश्चिमी देश की मदद से उन पर हमला न बोल दे। हिंसा और असमंजसता के उस माहौल को देखते हुए तब भारत ने भी अपने नागरिकों को सलाह दी थी कि वे नाइजर से निकल जाएं।
आज नाइजर ही नहीं, अफ्रीका के कई अन्य देश भी कट्टर इस्लामी आतंकवादी गुटों जैसे आईएस, अल कायदा और बोको हराम के बर्बर हमले झेल रहे हैं। वहां लोग इनसे दुखी हैं और सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं। इनकी संख्या लाखों में बताई जा रही है।
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