खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के झूटे आरोप भारत पर मढ़ कर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो न केवल घिर चुके हैं, बल्कि भारत ने उन्हें तिलमिला देने वाला प्रहार करके साबित कर दिया है कि नया भारत पहले वाला भारत नहीं है। भारत सरकार ने कनाडा की सरकार से कहा है कि वह अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाए। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है। कनाडा के भारत में अभी 62 राजनयिक काम कर रहे हैं। भारत ने अब कनाडा से उसके 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत में कनाडा के राजनयिक स्टाफ, भारत के कनाडा में मौजूद राजनयिक स्टाफ से बड़ा है और इसमें समानता होनी चाहिए। बता दें कि भारत और कनाडा के आपसी रिश्ते इन दिनों सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। दरअसल बीती जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने इसका आरोप भारतीय एजेंट्स पर लगाया था और वहां की संसद में खड़े होकर कहा था कि उनकी खुफिया एजेंसियों को ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि इस हत्या में भारत शामिल हो सकता है।
जस्टिन ट्रूडो को आरोपों को भारत ने बेतुका बताकर खारिज कर दिया था। कनाडा ने भारत के एक राजनयिक को निष्कासित किया तो भारत ने भी जवाब में कनाडा के एक राजनयिक को निष्कासित कर दिया। इसके बाद भारत ने कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं। भारत सरकार ने कनाडा से निज्जर की हत्या में उसकी कथित संलिप्तता के कनाडा से सबूत देने की मांग की, लेकिन अभी तक कनाडा की तरफ से कोई सबूत नहीं दिया गया है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका के दौरे पर रहे। वहां भी दोनों देशों के बीच भारत-कनाडा के बीच जारी विवाद पर बात हुई। जयशंकर ने इस दौरान कनाडा पर तीखा हमला बोला।
एक कार्यक्रम के दौरान एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा की सरकार बीते कुछ सालों से आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा को बढ़ावा दे रही है। जयशंकर ने कहा कि भारत ने कई बार कनाडा सरकार से खालिस्तान आतंकियों पर कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन कनाडा की सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जयशंकर ने ये भी कहा कि कनाडा में भारतीय मिशन और राजनयिकों को डराया-धमकाया जा रहा है और हमले हो रहे हैं। यह सामान्य बात नहीं है और अगर दुनिया के किसी अन्य देश के राजनयिकों के साथ भी ऐसा हुआ होता तो क्या दुनिया के देश उसे लेकर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते।
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