देहरादून। उत्तरकाशी जिले का तिब्बत सीमा क्षेत्र में वीरान पड़े जादूग गांव को पीएम के वाइब्रेंट विलेज सूची में शामिल किया जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने डीपीआर बनानी शुरू कर दी है। नेलांग घाटी का ये गांव 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय खाली करवाया गया था, उसके बाद से यहां विरानी छाई हुई है। पिछले कई दशकों से नेलांग घाटी में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सेना के अलावा किसी और को जाने की इजाजत इनर परमिट के जरिए ही मिलती है। यहां किसी बाहरी व्यक्ति को रुकने नहीं दिया जाता था।
केंद्र में पीएम मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में सीमांत गांव को फिर से आबाद करने और ये क्षेत्र पर्यटकों को दिखाने की योजना पर काम शुरू किया है। नेलांग घाटी के अंतिम छोर में बसे जादूग़ गांव को भी पीएम वाइब्रेंट विलेज की योजना का हिस्सा बनाया गया है। इस गांव के खंडर बन चुके मकानों को फिर से सजाने संवारने जाने के लिए, पहाड़ी वास्तुकला के जानकार केडी कुडियाल को जिम्मेदारी दी गई है।
जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल चौहान ने बताया कि इस गांव में पहले 6 मकानों की मरम्मत करते हुए उसे होम स्टे का रूप दिया जाएगा। बाद में 10 और मकानों को ठीक करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मकानों के स्वामियों से चर्चा हो गई है और वे भी अपने गांव को पुनः आबाद किए जाने को लेकर उत्साहित है। जसपाल चौहान ने बताया कि ये गांव जाड़ भोटिया जनजाति का है, यहां के लाल देवता के मंदिर सहित अन्य मंदिरों को भी ठीक करवाया जा रहा है।
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