बाल विवाह करने वालों के खिलाफ असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में राज्य सरकार ने इस तरह की गतिविधियों में शामिल 800 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री सरमा ने खुद ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी है। उन्होंनें इसे अभी शुरुआत बताया है। साथ ही कहा है कि ये नंबर अभी और आगे बढ़ सकते हैं। सीएम सरमा ने कहा कि बाल विवाह करने और करवाने के लिए असम पुलिस ने एक स्पेशल ऑपरेशन चलाया था।
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गौरतलब है कि हाल ही में सीएम हिमंता ने बाल विवाह करने वालों के कार्रवाई करने की तरफ इशारा भी किया था। उन्होंने कहा था कि जब तक मियां लोग बाल विवाह और कट्टरता जैसी कुरीतियों को नहीं छोड़ते हैं हमें उनका वोट नहीं चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि मिया मुसलमानों को परिवार नियोजन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और इसे अपनाना चाहिए। परिवार नियोजन और बाल विवाह जैसी योजनाओं को पूरी तरह से अमल में लाने के लिए कम से कम 10 साल का वक्त लगेगा। इसलिए हमें 10 साल तक उनका वोट नहीं चाहिए।
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बाल विवाह के खिलाफ क्या है कानून
बाल विवाह शब्द को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 2 (बी) के तहत परिभाषित किया गया है। इस नियम के तहत लड़की की उम्र न्यूनतम 18 होनी चाहिए और लड़के की उम्र न्यूनतम 21 साल है। बाल विवाह के मामले के कानून में सुधार के लिए 21 दिसंबर 2021 लोक सभा में पारित किया गया था। इस मामले में दोषी पाए व्यक्तियों को 2 साल की सजा या 2 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकता है। इस तरह के विवाह से पैदा होने वाले बच्चे को पूरी तरह से वैध माना जाएगा।
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