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‘भारतीय संस्कृति और भावी पीढ़ी को उपहार’

। भारत की पुण्यभूमि पर समय-समय पर बड़े-बड़े ओजस्वी और तेजस्वी महापुरुषों ने अवतार लिया है, जिनमें भगवद्पाद शंकराचार्य भगवान् प्रथम पंक्ति में हैं।

by WEB DESK
Oct 2, 2023, 01:59 pm IST
in भारत, संस्कृति
- जगद्गुरु शंकराचार्य श्री सदानंद सरस्वती
शारदापीठ, द्वारिका

- जगद्गुरु शंकराचार्य श्री सदानंद सरस्वती शारदापीठ, द्वारिका

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शारदापीठ, द्वारिका यह परमपवित्र अवसर है। भारत की पुण्यभूमि पर समय-समय पर बड़े-बड़े ओजस्वी और तेजस्वी महापुरुषों ने अवतार लिया है, जिनमें भगवद्पाद शंकराचार्य भगवान् प्रथम पंक्ति में हैं। उन्होंने ऐसे समय अवरित होकर देश को दिशाबोध प्रदान किया, जिस समय देश में विधर्मियों ने घोषणा की थी कि वेदा: अप्रमाणम् यानी वेद प्रमाण नहीं है। उस समय भगवद्पाद आदि शंकराचार्य जी ने लगभग 72 मतों का खंडन करके अद्वैत सिद्धांत का किला खड़ा किया था। उसी दर्शन को प्राप्त करके हम आज एकात्म धाम की स्थापना कर रहे हैं। प्राणीमात्र में परमात्मा का दर्शन भगवद्पाद शंकर का प्रथम उपदेश है।

श्रुतियों ने कहा है, यदि इस जन्म में जान लिया तो ठीक है और नहीं जाना तो बहुत बड़ा विनाश होने वाला है। क्या जानने योग्य है? इस पर भगवद्पाद अपने भाष्य में कहते हैं, प्राणीमात्र में परमात्मा का दर्शन करके अमृतत्व को प्राप्त किया जा सकता है। चतुष्पीठ की स्थापना कर उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके बाद भी इन पीठों से धर्म संदेश प्रसारित होता रहे।

प्रजा का पालन राजा करता है और राजा को उपदेश धर्म से प्राप्त होता है। धर्म का उपदेश धर्माचार्य करते हैं। प्राचीन काल से राजा, प्रजा, धर्म और धर्माचार्य की जो शृंखला चली आ रही थी, भगवद्पाद शंकर ने उसे और मजबूती प्रदान की। ओंकारेश्वर में भगवद्पाद शंकराचार्य जी की विशाल मूर्ति की स्थापना करके मध्य प्रदेश शासन ने निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति और आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा उपकार, उपहार दिया है।

– जगद्गुरु शंकराचार्य श्री सदानंद सरस्वती
शारदापीठ, द्वारिका

Topics: भारतीय संस्कृतिIndian Cultureभावी पीढ़ी को उपहारभारत की पुण्यभूमिgift to the future generationsacred land of India.
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