1970 में एक फिल्म आई थी- पूरब और पश्चिम। प्रसिद्ध अभिनेता मनोज कुमार, भारत नाम से इसी फिल्म के बाद जाने जाने लगे थे। इसी फिल्म का एक गाना जन-जन के होठों पर आया था। वह गीत है भारत पर और इसकी पहचान पर। इसके बोल हैं…
है प्रीत जहां की रीत सदा
मैं गीत वहां के गाता हूं
भारत का रहने वाला हूं
भारत की बात बताता हूं…
आज भी वह गीत लोग गुनगुनाते हैं। भारत की यह गूंज आज एक बार फिर पश्चिम में गूंजी। और इस बार भारत की बात विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनिया को सुनाई। एस जयशंकर ने अमेरिका में हडसन इंस्टीट्यूट में नए प्रशांत व्यवस्था में भारत की भूमिका विषय पर एक सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत के हर पहलू पर बात की। चाहे वह संस्कृति की हो या फिर वैश्विक पटल पर बढ़ती भारत की भूमिका की बात हो। इस दौरान उन्होंने कहा, भारत पश्चिम नहीं है, पश्चिम-विरोधी नहीं है (India non-western, not anti-western)।
जयशंकर का यह बयान इस बात को फिर से रेखांकित करता है कि भारत की रीति प्रीति की रही है। चाहे मानवीय सहायता पहुंचाने की बात हो या फिर स्वास्थ्य से संबंधी सहायता। भारत की वैक्सीन मैत्री की दुनिया ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में डोमिनिका के विदेशमंत्री डॉ. विंस हेंडरसन ने भारत की जमकर तारीफ की थी। हेंडरसन ने कहा था कि जब कोरोना के दौरान यह सोच रहे थे कि हम कैसे कोरोना वैक्सीन पा सकते हैं और अपने लोगों को बचा सकते हैं। हमारे जैसा छोटा देश, जो पर्यटन पर निर्भर है, हमें अपने लोगों को बचाना जरूरी था। जब दुनिया के सभी देश अपने लोगों को बचाने में जुटे थे, उस वक्त भारत ने अपने लोगों के साथ-साथ दुनिया के लोगों की भी भलाई सोची।
इसी फिल्म की कुछ पंक्तियां और याद आती हैं –
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा…
निश्चित रूप से कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया कराह रही थी। उस समय भारत प्रकाश की किरण बनकर आया। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने 98 देशों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराई थी। संसार भारत के पीछे चला और आगे बढ़ा। यह भी ध्यान दिला दिया जाए कि लोकतंत्र की जननी भारत ही है, विवेकानंद जी ने पूरी दुनिया को शिकागो भाषण के दौरान इसकी याद दिलाई थी।
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भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया। हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम् की बात की। अमेरिका में हंडसन इंस्टीट्यूट में यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने विश्व व्यवस्था में बदलाव लाने की सोच रखी है, विदेशमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जहां सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन सुरक्षा परिषद में नहीं है। जब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वहां नहीं है, जब एक महाद्वीप 50 से अधिक देश वहां नहीं हैं, संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट रूप से विश्वसनीयता और बड़े स्तर पर प्रभावशीलता की कमी है।
आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर हम अग्रसर हैं। भारत तो अब चांद पर भी पहुंच चुका है। चांद के उस हिस्से पर भारत ने कदम रखा, जहां दुनिया के देश पहले कभी नहीं पहुंचे। किसी देश ने किसी और देश को जीता है, लेकिन भारत ने दिल जीता है। भारत…
यूं आगे बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले फले…
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