प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 और 12 अक्टूबर देवभूमि उत्तराखंड आ रहे हैं। इस दौरान उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी व्यास घाटी में स्थित सीमांत बाजार गुंजी के मनीला में सरकार के द्वारा स्थापित किए जा रहे एक शिवालय का भूमिजन कर सकते हैं। यहाँ पर तीर्थयात्रियों के लिए रैन बसेरा बनाने का भी प्रस्ताव है। गुंजी वो गाँव है, जिसे पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाइब्रेंट विलेज में शामिल किया गया है। इस गाँव में ही भारत-तिब्बत व्यापार केंद्र भी है।
इस गाँव में आईटीबीपी, एसएसबी और कुमाऊं मंडल विकास निगम के स्टॉप भी स्थित हैं। इसके अलावा गुंजी गाँव में भगवान भोलेनाथ के आवास कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम स्थल हैं। इस गाँव में ही भारत-तिब्बत व्यापार केंद्र भी है। यह गाँव व्यास घाटी में स्थित हैं। ये घाटी अपने में न केवल सनातन संस्कृति को समेटे है, बल्कि यहाँ आदि कैलाश, पार्वती ताल, ओम पर्वत व्यास गुफा और महाकाली मंदिर जैसे कई सारे दार्शनिक स्थल भी हैं।
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आदि कैलाश, पार्वती ताल और कुटी गाँव जाने वाले यात्रियों को यहीं से होकर गुजरना पड़ेगा, जबकि वापसी के दौरान तीर्थयात्रियों को दूसरे रास्ते से होते हुए पवित्र कैलाश, ओम पर्वत महाकाली मंदिर और व्यास गुफा के दर्शन होंगे। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए गुंजी में ही हेलीपैड बनाया गया है। इसके बाद यहाँ से गाड़ी या पैदल दर्शन के लिए जा सकते हैं। बताया गया है कि पीएम मोदी अपने इस दौरे के दौरान 11 और 12 तारीख को यहीं रुकने वाले हैं। व्यास घाटी शुरू से ही शिव भक्तों की साधना का केंद्र रहा है। पीएम मोदी का यहाँ का ये पहला दौरा है।
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जड़ी-बूटियों का है अकूत भंडार
गौरतलब है कि उत्तराखंड के व्यास घाटी में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का अकूत भंडार है। यहाँ छह महीने तक बर्फ जमी रहती है, इसके बावजूद स्थानीय लोग यहीं रहते हैं। इस घाटी में रहने वाले स्थानीय लोग रण जनजाति के हैं जो घाटी में तीर्थयात्राओं में ही अपना भविष्य देख रहे हैं। लोग यहाँ यात्रियों के लिए होम स्टे योजनाओं पर काम कर रहे हैं। स्थानीय लोग बड़ी संख्या में सेब और ड्राई फ्रूट के पेड़ लगाने लगे हैं। सड़क यातायात खुलने से तिब्बत से तिब्बत तक व्यापार बढ़ने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।
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