चेन्नई। भारत में हरित क्रांति के जनक और प्रसिद्ध वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार थे। वह 98 वर्ष के थे और चेन्नई स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कृषि विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। एमएस स्वामीनाथन के माता-पिता चाहते थे कि वह मेडिकल की पढ़ाई करें, लेकिन उन्होंने कृषि को जीवन समर्पित किया। स्वामीनाथन के परिवार में उनकी तीन बेटियां सौम्या स्वामीनाथन, मधुरा स्वामीनाथन और नित्या स्वामीनाथन हैं।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने उन्हें आर्थिक पारिस्तथिकी का जनक कहा था। स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआर) के महानिदेशक रहे। स्वामीनाथन को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972), पद्म विभूषण (1989), वोल्वो इंटरनेशनल एनवायरमेंट पुरस्कार (1999) समेत कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्राप्त हुए थे। वह चेन्नई के तारामणि में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख थे।
टिप्पणियाँ