पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर हिन्दुत्व से कितना चिढ़े और घबराए हुए हैं इसका अंदाजा उन्होंने लंदन में पत्रकारों के सामने दे दिया। 1947 के बाद से ही भारत और हिन्दू धर्म से खार खाते आ रहे मजहबी उन्मादी पाकिस्तानी हुक्मरानों ने इसी चक्कर में अपने देश को कंगाली के कगार पर ला खड़ा किया है जबकि दूसरी ओर पड़ोसी भारत चांद पर पहुंच चुका है और दुनिया में सबसे सम्मान पा रहा है।
पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री इन दिनों विदेश दौरे पर हैं। अमेरिका के बाद वे लंदन में थे। वहां उन्होंने 26 सितम्बर को अपने मन में भारत के प्रति भरे मजहबी मैल का प्रदर्शन किया। अपने मुल्क की तारीफ में कहने को तो कंगाल पाकिस्तान के कटोरा थामे प्रधानमंत्री के पास बताने को कुछ था ही नहीं, लिहाजा उन्होंने भारत को उलाहने देने शुरू कर दिए।
दुनिया के किसी भी देश से इज्जत पाने को तरसते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री उस हिन्दू धर्म के प्रति अपनी नफरत को दिखाने लगे जो आज भारत सहित दुनिया भर के करोड़ों लोगों को शांति और विकास का रास्ता दिखा रहा है। लंदन में पत्रकारों के सामने उन्होंने कहा कि ‘हिंदुत्व एक रोग है, जो क्षेत्रीय सीमाओं के पार तक पहुंच रहा है’। इसके लिए उन्होंने अमेरिका, यूरोप और कनाडा सहित पश्चिमी देशों के नाम गिनाए। ऐसी ही जहरीली भाषा में ही उन्होंने भारत पर आतंकवाद के निर्यात की जड़ बने अपने पाकिस्तान में ‘आतंकवाद फैलाने’ का भी बेवकूफी भरा बयान दे दिया।
अनवारुल हक ने आगे कहा कि ‘दुनिया को हिंदुत्व से होशियार होने की जरूरत है। दुनिया के लोग आंख खोलें। हिंदुत्व की सोच अल्पसंख्यकों को पूरी तरह से योग्य न बनाने की है’। अनवारुल शायद अपनी आंखें और कान बंद रखते हैं इसीलिए शायद नहीं जानते कि उनके देश के मुकाबले भारत में ज्यादा मुसलमान बसे हैं। इतना ही नहीं, उनके देश के मुसलमान भी भारत में मुसलमानों की तरक्की देखकर दांतों तले उंगलियां दबा रहे हैं!
अपने इसी जहरबुझे संबोधन में प्रधानमंत्री हक ने भारत की निराधार ‘बुराइयां’ करते हुए आगे कहा कि ‘सत्तावादी सोच की प्रेक्टिस अल्पसंख्यक समुदायों के सैकड़ों जन की जान लेने, गोरक्षकों को आगे करने और मुसलमानों, ईसाइयों, जैनियों तथा दूसरे अल्पसंख्यकों को टारगेट करने जैसे कानून बनाकर की गई’। यानी हक को मुसलमानों की ही नहीं, ईसाइयों, जैन और दूसरे ‘अल्पसंख्यकों’ की चिंता सता रही है। जबकि ये सब भारत में मिल रहे समान अधिकार, अवसर और व्यवहार से सुपरिचित हैं।
पाकिस्तानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को सामने नहीं रखा कि उनके मुल्क में अल्पसंख्यकों का दमन हो रहा है, 1947 के बाद से वहां हिन्दुओं, सिखों और ईसाइयों की संख्या गिरते गिरते हाशिए पर ला दी गई है। वहां आएदिन हिन्दू लड़कियों को अगवा किया जाता है, चर्च जलाए जाते हैं, मंदिर तोड़े जाते हैं!
दूसरे, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को सामने नहीं रखा कि उनके मुल्क में अल्पसंख्यकों का दमन हो रहा है, 1947 के बाद से वहां हिन्दुओं, सिखों और ईसाइयों की संख्या गिरते गिरते हाशिए पर ला दी गई है। वहां आएदिन हिन्दू लड़कियों को अगवा किया जाता है, चर्च जलाए जाते हैं, मंदिर तोड़े जाते हैं!
लेकिन पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अपने पूर्व के हुक्मरानों की तरह झूठ पर झूठ बोलते गए, उन्हें शायद लगा होगा कि लोग उनकी बात सच मान लेंगे। मगर दुनिया के सभी देश और प्रमुख मीडिया समूह जानते हैं कि पाकिस्तान का कहा किसी भी तरह भरोसे लायक नहीं होता। कर्जा मांगकर रोटी खाने वाले मजहब की आड़ में दुनिया में आतंकवाद निर्यात कर रहे हैं। लेकिन तथ्यों से उलट, अनवारुल ने भारत पर आरोप मढ़ने की कोशिश की कि ‘पाकिस्तान शुरू से भारत के आतंकवाद से त्रस्त रहा है।
एबटाबाद में जिहादी ओसामा बिन लादेन को सेना की चौकसी में छुपाए रखने वाले देश के नेता की इन बातों को पत्रकार तक मुंह पर हाथ रखकर हंसी रोकने की कोशिश करते हुए सुन रहे थे। अनवारुल हक ने बेवजह बलूचिस्तान का नाम लिया और कहा कि वहां ‘भारत की तरफ से प्रायोजित आतंकवादी हमलों में सैकड़ों की जान गई है’। उन्होंने यह सच नहीं बताया कि बलूचिस्तान के लोग दशकों से पाकिस्तानी कट्टर भ्रष्ट और मजहबी सत्ताधीशों के हाथों दमन का शिकार होते आ रहे हैं और अब वे उनसे आजादी चाहते हैं!
जैसे हमारे देश की सबसे बूढ़ी पार्टी के एक नेता विदेशी धरती पर जाकर भारत को बदनाम करने के लिए ‘पाकिस्तानी तत्वों द्वारा सजाए’ एक से दूसरे मंच पर जाते हैं उसी तरह पाकिस्तान के ये गैर अनुभवी और बचकानी बातें करने वाले कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने पत्रकार वार्ता के बाद वह कहां कहां जाने वाले हैं, किस किस से मिलने वाले हैं, उसकी बाबत बताया। उनके अनुसार, वे ब्रिटेन के विदेश सचिव, कारोबारियों और ऑक्सफोर्ड यूनियन के छात्रों से मिलने वाले थे। किसी देश के प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों का स्तर ही बता देता है कि असल में पाकिस्तान लोगों की नजरों में कितना गिरा हुआ देश है।
टिप्पणियाँ