भारतीय कंपनियां 2020 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में एआई तकनीक अपनाने के मामले में दूसरे स्थान पर रहीं। एएमआर रिपोर्ट के अनुसार, एआई संबंधित चिप्स से 2025 तक राजस्व प्राप्ति 71 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत एआई अनुसंधान एवं नवाचार का भी वैश्विक केंद्र बनेगा। हाल के वर्षों में भारत ने एआई अनुसंधान और नवाचार पावरहाउस के रूप में खुद को स्थापित किया है। 2020 में एआई पेटेंट कराने के मामले में यह विश्व में 8वें स्थान पर और स्किल पेनेट्रेशन मामले में विश्व मे शीर्ष पर है। इसका एआई तैयार बाजार 6.4 बिलियन डॉलर का है। वहीं, भारतीय कंपनियां 2020 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में एआई तकनीक अपनाने के मामले में दूसरे स्थान पर रहीं। एएमआर रिपोर्ट के अनुसार, एआई संबंधित चिप्स से 2025 तक राजस्व प्राप्ति 71 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत विश्व के सबसे संपन्न स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक है। देश में दर्जनों यूनिकॉर्न अपनी मुख्य सेवाओं में एआई-संचालित टूल का प्रयोग कर रहे हैं। इनमें निरामई, क्रॉपिन, एक्वाकनेक्ट, कॉग्निएबल आदि प्रमुख हैं। इनके कारण भारत और विश्व, खासतौर से ग्लोबल साउथ के लिए उपकरण बनाने में भारत की एआई रणनीति का दायरा बढ़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में कहा था, ‘‘हम चाहते हैं कि भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने। हमारे प्रतिभाशाली दिमाग पहले से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री के अनुसार, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) भारत के शैक्षिक क्षेत्र को भी काफी प्रभावित करेगा, क्योंकि हम एआई तकनीक को आगे बढ़ा रहे हैं।
एनएलपी में प्रगति का मतलब है कि नई शैक्षिक नीति के आधार पर ई-पाठ्यक्रम को क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में विकसित किया जा सकता है। 2018 में जारी रिपोर्ट में नीति आयोग ने एआई पर राष्ट्रीय रणनीति पर प्रकाश डाला है। इसके अनुसार, एआई कृषि, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में लोगों के समक्ष आने वाली सामाजिक चुनौतियों को हल करने की क्षमता के विकास के अलावा एआई तकनीक का उपयोग शुद्ध आर्थिक लाभ के लिए भी किया जाएगा। 2020 में सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमता के लिए राष्ट्रीय रणनीति का एक मसौदा जारी किया था, ताकि देश में भविष्य के नियमों, विकास और एआई को अपनाने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया जा सके। इसके बाद फरवरी 2021 में एआई विकास और तैनाती के लिए सरकारों से आवश्यक व्यावसायिक अनुमोदन और मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली बनाई गई थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में कहा-
‘‘हम चाहते हैं कि भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने। हमारे प्रतिभाशाली दिमाग पहले से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं।’’
भारत की कई स्टार्टअप कंपनियां एआई के लिए नया चिप आर्किटेक्चर तैयार कर रही हैं, जो इंटेल और एनवीडिया जैसी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। इसे देखते हुए सेमीकंडक्टर बाजार के तेज गति से बढ़ने की उम्मीद है। जी-20 बैठक से ठीक पहले एआई क्षेत्र में भारत की क्षमता पर चर्चा के लिए एनवीडिया के सीईओ जेन्सेन हुआंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद भारत के दो सबसे बड़े व्यापारिक घरानों, रिलायंस और टाटा समूह ने एआई के लिए एनवीडिया से सौदा किया है। इस समझौते के तहत एनवीडिया क्लाउड एआई बुनियादी ढांचा प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए रिलायंस को आवश्यक कंप्यूटिंग शक्ति प्रदान करेगी, जबकि रिलायंस जियो बुनियादी ढांचे का प्रबंधन, रखरखाव और ग्राहक जुड़ाव की देख-रेख करेगी। रिलायंस का कहना है कि नया एआई बुनियादी ढांचा भारत की प्रमुख एआई परियोजनाओं को गति देगा, जिसमें चैटबॉट, दवा आविष्कार और जलवायु अनुसंधान शामिल हैं।
वहीं, टाटा-एनवीडिया साझेदारी का उपयोग भारत की शीर्ष सॉफ्टवेयर सेवा निर्यातक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज द्वारा जेनरेटिव एआई एप्स और सुपर कंप्यूटर निर्माण व संसाधित करने के लिए किया जाएगा। इस समझौते का लाभ उठाकर टीसीएस अपने 6 लाख सशक्त पेशेवर कार्यबल को भी कुशल बनाएगी। इस सौदे से अमेरिकी चिप फर्म को दक्षिण एशियाई देश के उभरते एआई पारिस्थितिकी तंत्र में पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी इसे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चीन और कुछ अन्य देशों में कुछ चिप निर्यात में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
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