देहरादून। हिंदू, सिख समाज के द्वारा उत्तराखंड शासन पर ये दबाव डाला जा रहा है कि उत्तराखंड में रेस्त्रां, ढाबे, डिपार्टमेंट स्टोर्स, मांस बिक्री की दुकानों में स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए कि वो हलाल परोस रहे हैं या फिर झटका। जानकारी के मुताबिक केंद्र और राज्य अल्पसंख्यक आयोग के द्वारा अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी जी को इस बारे में एक नियमावली और पत्र भी प्रेषित किया गया है।
उत्तराखंड में हिंदू और सिख संगठन बार-बार इस विषय को उठाते रहे हैं कि मांस विक्रेता ये स्पष्ट रूप से अपने प्रतिष्ठान में बोर्ड लगाकर दर्शाएं कि वो हलाल परोस रहे हैं अथवा झटका? उल्लेखनीय है कि हिंदू, सिख लोग झटका मांस का सेवन करते हैं, जबकि मुस्लिम लोग हलाल मांस खाते हैं। बताते चलें कि शास्वस्त भारत, हिंदू जागरण मंच, वीर सावरकर संगठन ने इस बारे में उत्तराखंड सरकार और शासन में कई बैठकें भी की थी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरिया ने उत्तराखंड सरकार को इस आशय का पत्र लिखकर ये व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा था कि वो मांस बिक्री स्थल पर ये बोर्ड अवश्य लगवाएं कि यहां हलाल अथवा झटका परोसा जाता है या बिक्री की जाती है। इस पत्र के आधार पर उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष आरके जैन ने उत्तराखंड शासन को निर्देशित किया कि वो इस नियम का अनुपालन कराएं।
जानकारी के अनुसार इस बारे में जब जिला प्रशासन अनुपालन नहीं करवा पा रहा, तब हिंदू और सिख संगठनों ने शासन स्तर पर और जिला प्रशासन स्तर पर शिकायती पत्र भेजा है। पत्र मिलने के बाद रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने अपर जिला अधिकारी वीर सिंह बुदियाल और नैनीताल जिला प्रशासन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा समस्त नगर स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वो ये व्यवस्था सुनिश्चित करें। दोनों जिलों में ऐसे पत्र इस माह में जारी किए गए हैं। संभवत अन्य जिलों में भी जारी किए गए हैं।
इस बारे में एक तरफ ये भी संशय की स्थिति बनी हुई है कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी इस आदेश को पूरा करेंगे या फिर फूड इंस्पेक्टर इस निर्देश को देखेंगे। हालांकि ये भी बताया गया है कि ये दोनों विभागों के साथ-साथ जिला नगर प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस आदेश को लागू करवाएं।
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