पाञ्चजन्य के कार्यक्रम ‘आधार इन्फ्रा कॉन्फ्लुएंस’ में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुनियादी ढांचे के विकास में प्रदेश की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने शिक्षा, रोजगार, आईटी और संस्कृति पर भी प्रदेश का विजन सामने रखा। प्रमोद सावंत से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर की बातचीत के संपादित अंश-
गोवा में सड़कों की हालत सुधरी है, ये स्थिति आपने इतने कम समय में कैसे हासिल की?
पाञ्चजन्य ने गोवा की विकासात्मक फिल्म बनायी है, उसे मैंने देखा, उसके लिए पाञ्चजन्य टीम को धन्यवाद। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो गतिशक्ति मंच प्रदान किया है, वह स्वयं में केंद्र एवं राज्य के लिए एक एकीकृत मंच है। उस मंच के अंतर्गत ही हम सभी बुनियादी ढांचा तैयार कर रहे हैं। उसमें केवल सड़क नहीं है, सड़क के साथ-साथ ब्रिड कनेक्टिविटी, शिक्षा, सीवरेज, अस्पताल, पर्यटन के लिए योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने का हम काम कर रहे हैं। हम सड़क संपर्क, ब्रिज संपर्क मामले में राष्ट्रीय औसत से बहुत आगे हैं। हम केंद्र सरकार की मदद से दो अनूठी परियोजनाएं चला रहे हैं जिसमें अटल सेतु और जुआरी केबल्स स्टे ब्रिज है, जो भारत में इस तरह का अकेला ब्रिज होगा। इसके अलावा बुनियादी ढांचे में मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुपर स्पेशिअलिटी अस्पताल, पर्यटन के क्षेत्र में लिए केंद्र की मदद से मरीन क्लस्टर बना है। गोवा हर गांव को रोड से जोड़ने वाला देश का पहला राज्य है। हर घर नल जल पहुंचाने वाला पहला राज्य है। 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने वाला पहला राज्य है। नीति आयोग के अनुसार हम हर सेक्टर में सबसे आगे हैं। इससे हमें गर्व की अनुभूति होती है।
गोवा में बुनियादी ढांचा विकास में पर्यावरण और रोजगार सृजन बड़ी चुनौतियां थीं। उनका कैसे समाधान किया?
जब 2011 में कांग्रेस सरकार थी, तब वीरप्पा मोइली मंत्री थे जिन्होंने गोवा की सभी योजनाओं को बंद कर दिया था। 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद भूमि अधिग्रहण नियमों में बदलाव लाकर, लोगों से आग्रह करके, नितिन गडकरी और केन्द्र सरकार की मदद से हम सभी योजनाओं को पूरा कर सके। आपने मंदिर के बाबत पूछा, हमने गोवा में पुर्तगालियों द्वारा नष्ट किये गये ढेर सारे मंदिरों पर एक कमेटी का गठन किया है। लगभग 9 हजार से अधिक मंदिर नष्ट किये गये थे। रिपोर्ट आने के तुरंत बाद ही हम उस पर निर्णय लेने वाले हैं। गोवा में नष्ट किये गये मंदिरों के स्मारक के रूप में हम एक नया मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं।
विकास की बहुत सारी योजना हैं जिन्हें पर्यावरण से जुड़ी हुई चिंताओं के चलते एनजीटी ने रोक दिया या विशेषज्ञों ने सवाल उठाए। ऐसे में विकास के साथ पर्यावरण की रक्षा भी हो, इस दृष्टि से भी गोवा ने कुछ काम किया है क्या?
तथाकथित पर्यावरणवादी, एनजीओ माइंडसेट के लोगों ने हर योजना में कुछ न कुछ कमी निकालकर रोक लगायी। मांडवी ब्रिज पर, माइनिंग पर, मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पर रोक लगायी गयी। इसके बावजूद हमने सभी नियम कानून को ध्यान में रखते हुए इसे पूरा करने की अनुमति ली। हमने गोवा में सतत विकास की बात शुरू कर दी है। विश्व बैंक की सहायता से हमने हर तटीय बेल्ट पर साइक्लोन शेल्टर का निर्माण किया। अब हर परियोजना, जिसे हम शुरू कर रहे हैं, उसे सतत विकास के तौर पर कर रहे हैं। इसके लिए बुनियादी ढांचा बना रहे हैं। भविष्य में जलवायु परिवर्तन प्रभावित न हो, इसकी पूरी चिंता कर रहे हैं।
गोवा में बिजली को लेकर बड़ी समस्या है। बिजली के लिए गोवा दूसरे राज्यों पर निर्भर है। इसको आप कैसे देखते हैं?
ये सच है कि गोवा बिजली के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। पर अब बात बदल रही है। गोवा रिन्युएबल एनर्जी लांच करने वाला पहला राज्य है। एक साल के भीतर गोवा की राजधानी पंजिम पूरी तरह सौर शहर में तब्दील हो जाएगी। हमारे सॉलिड वेस्ट संयंत्र को चलाने के लिए जो बिजली चाहिए, वह स्वयं संयंत्र से उत्पन्न की जा रही है। और इसकी 40 प्रतिशत बिजली ग्रिड को दी जा रही है। वहां जो अतिरिक्त गैस उत्पन्न हो रही है, उसे सीबीजी में बदला जा रहा है। हमने 2050 तक के हमारे बिजली खरीद समझौतों को पूरी तरह रिन्युएबल एनर्जी में बदल दिया है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जीरो कार्बन उत्सर्जन के मामले में 2050 तक गोवा नंबर एक पर रहेगा।
बार-बार सोचा गया कि गोवा में अंतरराष्ट्रीय खेल होने चाहिए। कई बार ढांचागत सुविधाओं की कमी से टालना पड़ा। इस प्रकार की ढांचे की कमी को आप कैसे देखते हैं?
मनोहर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा राज्य के लिए राजस्व अर्जक है। इसके अलावा, यह ग्रीन फील्ड हवाईअड्डा है, निर्यात उन्मुख हवाईअड्डा है। इससे न पड़ोसी राज्यों को भी लाभ होगा। दूसरी बात, हम 26 अक्तूबर से अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इस अंतरराष्ट्रीय खेल के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाएं हमने भारत सरकार से मदद से पहले ही बना ली हैं।
आपने माइनिंग की समस्या का उल्लेख किया। इससे बड़ी समस्या रोजगार सृजन की है। आईटी के बुनियादी ढांचे पर आप कुछ आगे बढ़े हैं। अभी तक कितना काम हुआ है?
हम पहले ही माइनिंग को फिर से शुरू कर चुके हैं। हमने इसंके लिए ब्लॉक लीज आउट भी करने शुरू कर दिये हैं। और फिर से सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन को ध्यान में रखते हुए सतत माइनिंग प्रारंभ हो जाएगी। इससे गोवा के लिए रोजगार की समस्या का समाधान हो जाएगा। गोवा में इनवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड के तहत पिछले चार साल में हमें 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है जिससे 10 हजार रोजगार मुहैया होंगे। यहां आईटी हब पर काम चल रहा है। यहां मानव संसाधन सृजित करना, और बुनियादी ढांचा बनाना, दोनों की बात चल रही है। आने वाले समय में गोवा रोबोटिक शिक्षा पर काम करने वाला पहला राज्य होगा। सभी विद्यालय में रोबोटिक के लिए जो भी आधुनिक उपकरण चाहिए, वह सभी मुहैया कराये जाएंगे।
गोवा में आईआईटी के स्थायी कैंपस के लिए गोवा संघर्ष कर रहा है। समग्र शिक्षा के लिए ढांचा कितना तैयार है? इसकी क्या कल्पना है। इनका निदान कब तक होगा?
एनआईटी का कैंपस कोंकलिम में पूरा हो चुका है। नेशनल साइंस फोरेंसिक यूनिवर्सिटी के लिए हम जगह दे चुके हैं। इंटरनेशनल स्कूल आफ लॉ के लिए भी हम 2 लाख वर्गमीटर जगह दे चुके हैं। आईआईटी के लिए 10 लाख वर्गमीटर चाहिए, उसमें जगह चिह्नित करने में समस्या आ रही है। बहुत जल्द ही हम आईआईटी के लिए जगह देंगे।
सनातनी और उसके बाद तनातनी, इसके बीच में गोवा का मुख्यमंत्री कैसे कूद पड़ा?
सबसे पहले मैं सागर मंथन के लिए पाञ्चजन्य को आमंत्रित करता हूं। दूसरी बात, ये है तो यूपीए ही। नाम बदलने से नीति नहीं बदलती, नीयत नहीं बदली, नियति नहीं बदलती, कर्म नहीं बदलते। इस एलायंस ने जिस तरह सनातन धर्म को अपमानित किया, सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर रहे हैं, उनके लिए मैं कहता हूं कि सनातन धर्म सनातन काल से आ रहा है और सनातन का आगे भी जारी रहेगा। जो सनातन धर्म को नष्ट करने की बात कर रहे हैं, वे खुद नष्ट हो जाएंगे। सनातन धर्म ने कभी भी दूसरे धर्म का अनादर नहीं किया और हमेशा सबको साथ लेकर चलने की बात कही है। गोवा सनातनी प्रदेश है। गोवा में योग सेतु, ज्ञान सेतु और परशुराम भूमि देखने लायक है।
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