पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया समुदाय पर कट्टर सुन्नी जमात तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और पुलिस का दमन जारी है। पिछले लंबे समय से टीएलपी के मजहबी उन्मादियों ने अहमदियाओं की कई मस्जिदों को तोड़ने का अभियान छेड़ा हुआ है, उनका कहना है कि अहमदिया समुदाय को कोई हक नहीं पहुंचता कि इन इमारतों पर हमारी मस्जिदों जैसी मीनारें बनवाएं।
दरअसल सुन्नी बहुल पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों को मुस्लिम ही नहीं माना जाता। अब ताजा खबर के अनुसार, पुलिस ने अहमदिया समुदाया की कब्रों को निशाना बनाया है। अहमदी जमात जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के अनुसार, लाहौर से सटे पंजाब के सियालकोट जिले में अहमदिया समुदाय की मजारों पर लगे पत्थरों को नष्ट किया गया है, उनकी कब्रों को नुकसान पहुंचाया गया है।
दरअसल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस वहां टीएलपी के कट्टरपंथियों के इशारों पर काम कर रही है। उसे डर है कि अगर उनकी धमकियों को हल्के में लिया तो पुलिस वालों की खैर नहीं है। इसलिए पुलिस खुद अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के मजहबी स्थलों पर तोड़फोड़ कराने पहुंच जाती है। इसी हरकत के तहत हाल में करीब 75 अहमदी कब्रों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही उनकी दो मस्जिदों की मीनारें भी गिरा दी गईं।
पाकिस्तान में जमात-ए-अहमदिया का काम देख रहे आमिर महमूद का कहना है कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान से डरी पंजाब पुलिस ने लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित दस्का शहर में अहमदिया समुदाय से जुड़ीं मजारों को तोड़ा गया, 75 कब्रों को खराब किया गया।
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय से नफरत के पीछे वजह है वहां की संसद द्वारा 1974 में पारित एक कानून। इसके तहत अहमदिया समुदाय को ‘गैर-मुस्लिम’ ठहराया गया था। उन पर रोक लगा दी गई थी कि वे खुद को मुस्लिम न कहें। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के आमिर महमूद ने कल बताया कि दस्का ही नहीं, पिछले दिनों शेखपुरा, बहावलनगर तथा बहावलपुर जिलों में भी अहमदिया समुदाय की मस्जिदों की मीनारें तोड़ी गई थीं। बताया गया कि टीएलपी के उन्मादी मस्जिदों में जबरन दाखिल हो गए और उनकी मीनारें तोड़ डालीं।
असल में पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय से नफरत के पीछे वजह है वहां की संसद द्वारा 1974 में पारित एक कानून। इसके तहत अहमदिया समुदाय को ‘गैर-मुस्लिम’ ठहराया गया था। उन पर रोक लगा दी गई थी कि वे खुद को मुस्लिम न कहें। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के आमिर महमूद ने कल बताया कि दस्का ही नहीं, पिछले दिनों शेखपुरा, बहावलनगर तथा बहावलपुर जिलों में भी अहमदिया समुदाय की मस्जिदों की मीनारें तोड़ी गई थीं। बताया गया कि टीएलपी के उन्मादी मस्जिदों में जबरन दाखिल हो गए और उनकी मीनारें तोड़ डालीं।
अहमदिया समुदाय से सुन्नी इतने चिढ़ते हैं कि उन पर तकरीरें देने और सऊदी अरब में हज और उमरा के लिए जाने पर भी रोक लगी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, इस वक्त पाकिस्तान में लगभग 10 लाख अहमदिया लोग रहते हैं। लेकिन गैर-सरकारी आंकड़े उनकी संख्या इससे कहीं ज्यादा बताई जाती है।
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