पाञ्चजन्य के ‘आधार इन्फ्रा कॉन्फ्लुएंस कार्यक्रम’ में देश के ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता नहीं करने वाला। कार्बन उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदारी दुनिया में सबसे कम है और ऊर्जा ट्रांजिशन की दिशा में हम सबसे आगे हैं। यह पर्यावरण के प्रति हमारी चिंता को दर्शाता है। ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह से अनुराग पुनेठा की बातचीत के संपादित अंश-
भारत और खासकर प्रधानमंत्री 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बात करते हैं। उसके लिए जरूरी है कि हमारा बुनियादी ढांचा मजबूत हो। आपके प्रशासनिक एवं मंत्री के रूप में अनुभव को देखते हुए आपके जरिये हम कितना आश्वस्त हो सकते हैं कि यह सपना कितना नजदीक है और वर्तमान में उर्जा और बिजली की स्थिति कैसी है?
जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आयी है, तब से बिजली क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है। हम लोगों की सरकार आने से पहले लगभग 18,457 गांवों में जहां बिजली नहीं पहुंची थी। 2.90 करोड़ घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं था। ये स्थिति आजादी के 70 साल बाद भी थी। प्रधानमंत्री मोदी जी ने हम लोगों को काम दिया कि हर गांव, टोले, मजरे में बिजली पहुंचनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने 1000 दिन का समय दिया और हम लोगों ने वह काम 287 दिन में कर दिया। प्रधानमंत्री ने अगली चुनौती देश के 2.90 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचाने की दी। हमने यह चुनौती भी 19 घंटों में पूरी कर ली। इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में बिजली कनेक्शन दुनिया में कहीं नहीं दिया गया था। पहले हम लोग ऊर्जा घाटे में चल रहे थे। हम लोगों ने पिछले 8-9 साल में 1.90 लाख मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ी है। अब हम नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश इत्यादि को भी बिजली का निर्यात करते हैं। हमारी मांग दो साल पहले करीब 1.80 लाख मेगावाट थी। आज हमारे यहां बिजली की मांग 2.41 लाख मेगावाट है। हम इस मांग को पूरा कर रहे हैं। हमने पूरे देश को एक ग्रिड में जोड़ दिया।
लगभग 1 लाख 97 हजार सर्किट किलोमीटर ग्रिड लाइन हमने बनाये। आज ये दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत ग्रिड है। हम देश के एक कोने से दूसरे कोने तक लगभग 1.20 लाख मेगावाट बिजली का हम प्रवाह कर सकते हैं। बिजली क्षेत्र में पुराने नियम, कानून, व्यवस्थाओं में हमने आमूल परिवर्तन किया। हमारी सरकार आने से पहले देश की सभी बिजली वितरण कंपनियां घाटे में और बिल्कुल मरणासन्न थीं। उत्पादन कंपनियों की बकाया राशि लगभग 1.40 लाख करोड़ थी। यानी वितरण कंपनियों ने उत्पादन कंपनियों से बिजली ली थी परंतु भुगतान नहीं किया था। इस तरह कई कंपनियां दीवालिया हो गयीं। हमलोगों उसको एकदम बदल दिया और यदि कोई उत्पादन कंपनी से बिजली लेता है और उसका भुगतान नियत समय में नहीं करता है तो उसका एक्सचेंज से कनेक्शन अपने-आप कट जाएगा। भुगतान कर देने पर अपने-आप कनेक्शन जुड़ जाएगा। फिर सबने भुगतान किया और आज हमारा करेंट भुगतान एकाउंट अद्यतन है। पुराना बकाया लगभग 1.40 लाख करोड़ रुपये था, वह आज घटकर 67 हजार करोड़ रुपये हो गया है। पुराने बकाये के भुगतान के लिए किस्तें बांध दी हैं। समय पर किस्त न देने पर उन वितरण कंपनियों का बिजली का प्रवाह रोक दिया जाएगा।
देखने में आया है कि जो सबसे ज्यादा डिफॉल्टर की कंपनियां हैं, वह सरकारी कंपनियां हैं?
निजी वितरण कंपनियों के घाटे 4 प्रतिशत से 8 प्रतिशत थे। राज्य सरकारों की वितरण कंपनियों का घाटा 25 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक था, अब वह कम हुआ है क्योंकि हमने साफ तौर पर कह दिया है कि इसके लिए हम आपको कोई ऋण नहीं देंगे। पीएफसी और आरएसी हमारे मंत्रालय के अधीन हैं। हमने नियम बना दिया कि अगर कोई वितरण कंपनी या उत्पादन कंपनी घाटे में है तो ऋण नहीं देंगे। जब तक कंपनी घाटा कम करने का रोडमैप तैयार नहीं करती है और उस पर अपनी राज्य सरकार के हस्ताक्षर नहीं ले लेती है, तब तक कोई ऋण नहीं मिलेगा। हमने सरकारी कंपनियों पर भी अंकुश लगा दिया।
जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा पर जाने का जोर है। इस पर क्या कहेंगे?
दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। हमारी पृथ्वी का तापमान 0.80 प्रतिशत बढ़ा है। इसमें विशेषज्ञों का मानना है कि धरती का तापमान 2 डिग्री तक कम करना है नहीं तो बहुत सारे देशों में त्रासदी आ जाएगी। अब पूरी दुनिया का कहना है कि उत्सर्जन को कम करना है। इसके लिए आवश्यक है कि जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग हो। जब हम जीवाश्म ईंधन से बिजली बनाने पर उसे जलाने पर कार्बन डाई आक्साइड निकलती है। अब कोशिश है कि जीवाश्म ईंधन से बिजली बनाना कम करके रिन्युएबल उर्जा से बिजली निर्माण किया जाए। इसमें भी हम अग्रणी है। कार्बन डाई आक्साइड उत्सर्जन में भी हम दुनिया में सबसे कम हैं। दुनिया में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन 6.4 टन है। हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.9 टन है, यानी दुनिया के प्रति व्यक्ति औसत का एक तिहाई। इसके बावजूद ऊर्जा ट्रांसफॉर्मेशन में सबसे आगे हैं। पेरिस में कोप-21 हुआ था जिसमें सभी देशों ने प्रण किया था। हमने प्रण किया था कि 2030 तक हमारी बिजली बनाने की क्षमता का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म से होगा और आज हम इसमें 43 प्रतिशत हैं। 2030 का लक्ष्य हमने 2021 में कर दिखाया। हमने कहा था कि अपनी उत्सर्जन तीव्रता कम करके हम 2030 तक 43 प्रतिशत कर देंगे। यह हमने 2019 में कर लिया। आज हम दुनिया को इसके लिए मार्ग दिखाते हैं। अब ये नया भारत है।
अभी भी जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता लगभग 50 प्रतिशत है। इसे कम करने का कोई ब्लू प्रिंट है?
ये तो रहेगा। तमाम देशों ने नेट जीरो तक जाने के लिए अपने-अपने लक्ष्य तय किये। हमारे यहां आने वाले विभिन्न देशों के उर्जा मंत्रियों से मुलाकात में हम पूछते हैं कि हम नेट जीरो तक कैसे जाएंगे क्योंकि ये तो चौबीस घंटा उपलब्ध नहीं है? सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा जब तक संग्रह नहीं होगा, तब तक चौबीसों घंटा बिजली नहीं होगी। संग्रह करना बहुत महंगा है। नेट जीरो तक आने के लिए बहुत सारे समस्या है जैसे आर्थिक, तकनीकी वगैरह। निवेश में हम खुशकिस्मत हैं। लेकिन यह एक यात्रा है और एकदम नहीं हो सकती। जब तक चौबीसों घंटे रिन्यूएबल ऊर्जा नहीं होगी, तब तक हम कोयला तापीय संयंत्र बंद नहीं करेंगे। हम बिजली की उपलब्धता पर समझौता करने वाले नहीं हैं। हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और इसके लिए हमें उर्जा चाहिए।
कई बार राजनीतिक दबाव आते हैं। कई राज्य बिजली बिल को माफ कर देते हैं। बिजली पैदा करने की नयी तकनीक का खर्चा आता है। इसके लिए आपकी क्या तैयारी है?
कई राज्य कह देते हैं कि हम 100-200 यूनिट बिजली मुफ्त में देंगे। मुझे इसमें यही कहना है कि आप सब-कुछ मुफ्त में दे दीजिए लेकिन बिजली मुफ्त में देते हैं और यदि उपभोक्ता भुगतान नहीं करता है तो राज्य सरकार को अपने बजट से करना होगा। यदि राज्य सरकार समय पर भुगतान नहीं करेगी तो बिजली काट दी जाएगी।
आपने कहा कि 2030 तक कम कर देंगे और बिजली मांग इतनी बढ़ती जा रही है। इसपर आप क्या कहेंगे?
हमारी बिजली की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल अगस्त के मुताबिक इस साल अगस्त कि लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि है। यह दशार्ता है कि हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। इस चुनौती को पूरा करने के लिए हमारी क्षमता पर्याप्त है। हमारी 25-30 हजार मेगावाट की क्षमता निमार्णाधीन है। रिन्युएबल ऊर्जा का प्रतिवर्ष 50 हजार मेगावाट का टेंडर करने वाले हैं।
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