शैक्षिक फाउंडेशन और अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की ओर से शिक्षा और समाज जीवन के क्षेत्र में असाधारण और उल्लेखनीय कार्य करने वाले तीन शिक्षाविदों को हर साल सम्मानित किया जाता है। इस साल प्रोफेसर मीनाक्षी जैन दिल्ली, प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री हिमाचल प्रदेश एवं डॉ संजीवनी केलकर महाराष्ट्र को शिक्षा भूषण सम्मान दिया जाएगा। यह सम्मान 2 अक्टूबर को नागपुर में एक समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले एवं आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद मुनि द्वारा प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम में शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, सह संगठन मंत्री गुंथा लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार एवं देश के विभिन्न राज्यों से विद्यालय एवं उच्च शिक्षा के शिक्षक उपस्थित रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राष्ट्रीय विचारों से प्रेरणा लेकर पूर्व प्राथमिक से विश्वविद्यालय तक के 12 लाख से अधिक शिक्षकों का 35 वर्षो से निरंतर कार्यरत संगठन है। 2015 से महासंघ के द्वारा शिक्षा और समाज हेतु प्रेरणीय एवं उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिक्षाविदों का सम्मान करने हेतु ‘शिक्षा भूषण’ अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान के अंतर्गत प्रशस्तिपत्र, रजत चिन्ह और 1 लाख की राशि देने की परंपरा बनी हुई है। इस सम्मान हेतु देशभर से ऐसे शिक्षाविदों की खोजबीन कर नामित किया जाता है, जिन्होंने संपूर्ण जीवन शिक्षा और समाज के उत्थान के लिए भारतीय गुरु परंपरा के प्रकाश में समर्पित किया है।
इस वर्ष के शिक्षा भूषण सम्मान हेतु चयनित व्यक्तित्व
व्यवसाय से मूलतः चिकित्सक डॉ. संजीवनी केलकर ने वंचित समुदाय की बस्तियों के गरीब बच्चों के पठन-पाठन की सामग्री का वितरण कर उनमें शिक्षा, स्वच्छता और कर्म योग की अलख जगाकर नेतृत्व क्षमता विकसित करने का सर्वोतम कार्य किया है। डॉ. केलकर का संपूर्ण जीवन शिक्षा से वंचित वर्ग के बालकों को बेहतर शिक्षा दिलाकर बेहतर नागरिक बनाने में ही समर्पित रहा है। शिक्षा को ही जीवन का आधार मानने तथा शिक्षा को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का जीवनसूत्र मानने वाली डॉ. केलकर ने जीवनभर अपने विचार और व्यवहार में समानता प्रदर्शित की है। संजीवनी केलकर ने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण में भागीदारी करते हुए आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में लगभग 12 हजार विद्यार्थियों का स्थानीय भाषा (मराठी) माध्यम से शिक्षा व्यवस्था, जल संकट से ग्रस्त क्षेत्र में लगभग 45 हजार लोगों को क्षमता के जल संरक्षण हेतु टैंकों का निर्माण और टैंकों में जल भराव की समुचित व्यवस्था का बीड़ा उठाया है।
डॉ. मीनाक्षी जैन मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत की एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। भारतीय संस्कृति के आधार राम और उनकी साकेत नगरी अयोध्या पर सूक्ष्म और परिष्कृत कार्य करने वाली राजनीतिक विज्ञान की शिक्षिका तथा इतिहासकार, औपनिवेशिक भारत में सती प्रथा के उन्मूलन के साथ सुधारवाद की साधिका, डॉ जैन ने अनेक पुस्तकों का लेखन किया है। डॉ जैन ने सती प्रथा पर असाधारण कार्य किया और निष्कर्ष दिया कि ब्रिटिश सरकार ने भारत में सती प्रथा को बढ़ा चढ़ाकर गलत ढंग से प्रस्तुत किया। 2020 में भारत सरकार ने भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से डॉ जैन को सम्मानित किया। भारतीय जीवन दृष्टि, भारतीय सभ्यता और भारतीय चिंतन पर मौलिक विचारों को डॉ मीनाक्षी जैन ने स्थापित किया है।
प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री सीमांत तथा पर्वतीय प्रदेशों के समग्र अध्येता, हिंदी भाषा और साहित्य के मूर्धन्य मनीष, सचेतन साहित्यकार, भारतीय संस्कृति के प्रबल साधक, राष्ट्रवादी विचारक, प्रखर विधि विशेषज्ञ और मानवता के प्रबल पक्षधर रहे हैं। प्रो. अग्निहोत्री को भारत तिब्बत सहयोग मंच के संयोजक के रूप में ‘तिब्बत को चीन से मुक्ति’ आंदोलन का नेतृत्व करने पर एवं आपातकाल में बंदी बनाया गया था। उन्होंने पूर्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में अंबेडकर पीठ के चेयरपर्सन, विश्वविद्यालय के धर्मशाला स्थित केंद्र में निदेशक और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में अनुकरणीय कार्य किया है। अब तक उनकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रो. अग्निहोत्री को केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा द्वारा साहित्य सेवाओं के लिए सम्मान, उत्तर प्रदेश के हिंदी संस्थान द्वारा ‘साहित्य भूषण सम्मान,’ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा श्री गुरु नानक देव जी के साहित्य और जीवन पर लिखी पुस्तक के लिए विष्णु प्रभाकर पुरस्कार तथा भारत सरकार एवं फिजी सरकार द्वारा विश्व हिंदी सम्मेलन में ‘विश्व हिंदी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
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