दुनिया के सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हमारे यहां हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे उन्नत शिक्षण संस्थानों की शिक्षा का स्तर तो जगजाहिर है ही, स्टार्टअप क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए तकनीकी संस्थानों में इन्क्यूबेशन सेंटर और टिंकरिंग लैब्स को संचालित किया जा रहा है जिनसे सचमुच में कामयाब स्टार्टअप निकल कर आ रहे हैं।
नये भारत को इस बात का अहसास है कि आईटी के क्षेत्र में उसके पास बढ़त लेने के अवसर मौजूद हैं। हमारी पृष्ठभूमि, आर्थिक स्थिति और पिछड़ेपन के कारण अतीत में हमने बहुत-से कीमती मौके खोए हैं। लेकिन आईटी में स्थितियां अलग हैं – भारत स्टेम (विज्ञान, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित) के ग्रेजुएट पैदा करने में विश्व में लगातार पहले या दूसरे नंबर पर चला आ रहा है। हमारी 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है और यह वह वर्ग है जो टेक्नॉलॉजी के प्रति मैत्रीपूर्ण है। दुनिया के सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हमारे यहां हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे उन्नत शिक्षण संस्थानों की शिक्षा का स्तर तो जगजाहिर है ही, स्टार्टअप क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए तकनीकी संस्थानों में इन्क्यूबेशन सेंटर और टिंकरिंग लैब्स को संचालित किया जा रहा है जिनसे सचमुच में कामयाब स्टार्टअप निकल कर आ रहे हैं।
काबिल स्टार्टअप्स के लिए कर्ज, वेंचर कैपिटल, बाजार और प्रोत्साहन की कमी नहीं है जो 340 अरब डॉलर के कुल बाजार मूल्य वाले 108 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर के बाजार मूल्य वाले स्टार्टअप) की सूची से जाहिर हैं। तकनीकी शोध और विकास के क्षेत्र में भी स्थितियां बेहतर हो रही हैं हालांकि इस मामले में हम आज भी अमेरिका और चीन से बहुत पीछे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर टेक्नॉलॉजी आधारित नवाचार का जिक्र करते हैं जो आज भारत सरकार की प्राथमिकता का क्षेत्र है और स्टार्टअप्स से लेकर शोध तथा पेटेन्ट तक की बढ़ती संख्या से जाहिर हो रहा है। आईटी में कौशल विकास का तंत्र विकसित हो चुका है जो इन कौशल को आईटी से इतर पृष्ठभूमि रखने वालों तक भी पहुंचा रहा है।
देश भर में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास, निजी तथा सरकारी क्षेत्र की कोशिशों से, परिपक्वता के स्तर पर पहुंच चुका है। उसकी स्थिरता और स्थायित्व पर भरोसा करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी परियोजनाएं, कार्यक्रम और मुहिम चलायी जा सकती है। सरकार खुद अपने-आपको डिजिटल सरकार में तब्दील करने में लगी हुई है जो नागरिकों के लिए तो लाभ का विषय है ही, प्रौद्योगिकी में रोजगार और उद्यम के नये अवसर भी पैदा कर रहा है। ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-प्रशासन, ई-स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में बड़ी प्रगति हुई है, खासकर कोविड के संकट के बाद। दुनिया में भारत के आनलाइन बाजार को चीन के बाद दूसरे नंबर पर माना जाता है।
पिछले वित्त वर्ष में जहां हमने 320 अरब डॉलर का सॉफ्टवेयर निर्यात किया, वहीं देश का आंतरिक प्रौद्योगिकी बाजार भी 50 अरब डॉलर से ज्यादा का है। जाहिर है कि देश खुद ही प्रौद्योगिकी के उत्पादों के लिए बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध कराने में सक्षम है। सन् 2022 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आईटी और आईटी आधारित सेवाओं की हिस्सेदारी 7.4 प्रतिशत रही जो 1998 में मात्र 1.2 प्रतिशत थी। मौजूदा दशक में इसे बढ़ाकर 12 से 15 प्रतिशत के बीच ले जाया जा सका तो वह एक बहुत बड़ी सफलता होगी।
इधर देश भर में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास, निजी तथा सरकारी क्षेत्र की कोशिशों से, परिपक्वता के स्तर पर पहुंच चुका है। उसकी स्थिरता और स्थायित्व पर भरोसा करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी परियोजनाएं, कार्यक्रम और मुहिम चलायी जा सकती है। सरकार खुद अपने-आपको डिजिटल सरकार में तब्दील करने में लगी हुई है जो नागरिकों के लिए तो लाभ का विषय है ही, प्रौद्योगिकी में रोजगार और उद्यम के नये अवसर भी पैदा कर रहा है। ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-प्रशासन, ई-स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में बड़ी प्रगति हुई है, खासकर कोविड के संकट के बाद। दुनिया में भारत के आनलाइन बाजार को चीन के बाद दूसरे नंबर पर माना जाता है।
मैंने अक्सर अपनी विदेश यात्राओं के दौरान लोगों को भारत की आईटी-सफलता की तारीफ करते सुना है। यह साख बहुत लंबे समय से चले आये प्रयासों और भरोसेमंद सेवाएं देने की वजह से हासिल हुई है। यह साख लगातार बेहतर हुई है, खासकर आधार, जनधन, डिजिटल लेनदेन क्रांति और कोविड संकट के प्रबंधन के चलते। सत्य नडेला, सुंदर पिचई, शान्तनु नारायण, पराग अग्रवाल और अरविंद कृष्ण जैसे दिग्गजों ने वैश्विक स्तर पर भारतीय आईटी प्रतिभा की काबिलियत और अहमियत को स्थापित किया है।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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