विश्वप्रसिद्ध नृत्यांगना और दिल्ली प्रांत संस्कार भारती की अध्यक्ष और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. सरोजा वैद्यनाथन आज प्रातः 4.00 बजे ब्रह्मलीन हो गईं। वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थीं तथा दिल्ली के एक अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था।
सरोजा जी का जन्म 1937 में बेल्लारी, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने भरतनाट्यम में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण चेन्नई के सरस्वती गण निलयम में प्राप्त किया और बाद में तंजावुर के गुरु कट्टुमनार मुथुकुमारन पिल्लई के यहाँ अध्ययन किया। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पी. सम्बामूर्ति के शिष्यत्व में कर्नाटक संगीत का भी अध्ययन किया और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से नृत्य में डी.लिट. किया था।
सरोजा जी के माता-पिता दोनों लेखक थे। उनकी माताजी कनाकम धर्मराजन तमिल की प्रसिद्ध लेखिका थीं। सरोज जी का विवाह बिहार कैडर के एक आईएएस अधिकारी वैद्यनाथन से हुआ था। इस दंपति के एक पुत्र कामेश हैं; उनकी पुत्रवधू रमा वैद्यनाथन भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति की प्रसिद्ध भरतनाट्यम कलाकार हैं। सरोजा जी ने 1974 में ‘गणेशा नाट्यलय’ की स्थापना की, जहाँ नृत्य के अलावा छात्रों को तमिल, हिंदी और कर्नाटक संगीत भी सिखाया जाता है। गुरु-शिष्य परंपरा का व्यावहारिक उदाहरण बनकर सरोजा जी ने देश-विदेश के अपने शिष्यों को भरतनाट्यम की समग्र समझ के साथ ही भारतीय कला-संस्कृति-परंपराओं से भी परिचित करवाया।
डॉ. सरोजा वैद्यनाथन कला तथा साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाली अखिल भारतीय संस्था ‘संस्कार भारती’ की दिल्ली प्रांत की 2021 से अध्यक्ष थीं और सक्रिय रूप से संस्था की गतिविधियों में अपना सतत मार्गदर्शन और योगदान देती थीं। कला और नृत्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान हेतु उन्हें 2002 में पद्मश्री और 2013 में पद्मभूषण से अलंकृत किया गया था। साथ ही उन्हें संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद सम्मान और अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से भी अलंकृत किया गया। वर्ष 2006 में उन्हें ‘भारत कला सुडार’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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