अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में प्रचार करते हुए छात्रों से अपना पहला वोट एबीवीपी को देने की अपील की है। दरअसल, कोरोनाकाल के कारण 2019 के बाद चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में वर्तमान में पढ़ रहे सभी छात्र कमोबेश पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में वोट कर रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के लिए सन 1973 में पहली बार सीधे चुनाव होने शुरू हुए थे और उस वर्ष भी इसी प्रकार से सभी विद्यार्थियों का पहला मतदान था। उस वर्ष भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी विश्वसनीयता के कारण सभी सीटों पर विजयी हुई थी। इस बार भी उसी विश्वास के साथ विद्यार्थी परिषद को छात्रों के बीच अपार समर्थन प्राप्त हो रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पहले सीधे चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीते व वर्तमान में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि,” दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में हमारे समय राष्ट्रीय मुद्दों का बड़ा महत्व रहता था, उस समय का चुनाव इस अवधारणा पर लड़ा गया कि छात्र कल का नहीं, बल्कि आज का नागरिक है। 1973 में हमने डीयू में भ्रष्टाचार, परमाणु शक्ति संपन्न भारत, आत्मनिर्भरता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। तब के छात्रसंघ प्रतिनिधियों जैसे रविशंकर प्रसाद, वैंकेया नायडू आदि ने युवाओं का नेतृत्व करते हुए नवनिर्माण आंदोलन की आधारशिला रखी।”
विद्यार्थी परिषद दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि, “सन 1973 में डीयू के पहले छात्रसंघ चुनाव में जब एबीवीपी जीती थी, तब एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस का दमनकारी व अत्याचारी माहौल था, जिसके विरुद्ध छात्रों ने एकजुट होकर एबीवीपी को विजयी बनाया था। आज जब देश एनएसयूआई/कांग्रेस के अनिर्णय और भ्रष्टाचार की संस्कृति को पीछे छोड़ कर पूरे विश्व में नए कीर्तिमानों का अध्याय लिख रहा है, तब हमें पूर्ण विश्वास है कि डीयू में पहला वोट डाल रहे छात्र अपने सर्वांगीण विकास के लिए एबीवीपी जैसे प्रतिबद्ध छात्र संगठन को ही अपना वोट देंगे और डूसू में सभी सीटों पर प्रतिनिधि चुनेंगे।”
टिप्पणियाँ