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होम भारत उत्तर प्रदेश

मंदिर-मंदिर अगणित यात्री

उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से जुड़े शहरों में अवसंरचना के विकास और विस्तार से धार्मिक पर्यटन में तेजी आई जो  प्रदेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। प्रदेश में धार्मिक पर्यटकों की संख्या में लगभग 190 प्रतिशत उछाल से मंदिर एवं तीर्थस्थलों पर रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि

by सुनील राय
Sep 20, 2023, 02:39 pm IST
in उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास से यहां पर्यटकों की संख्या 10 गुना बढ़ गयी है

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास से यहां पर्यटकों की संख्या 10 गुना बढ़ गयी है

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भारत के कई मंदिर और तीर्थस्थल शिक्षा, स्वास्थ्य, जन कल्याण के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य कर रहे हैं। कई मंदिरों द्वारा शिक्षण संस्थाएं स्थापित की गयी हैं। आध्यात्मिक ऊर्जा के विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के अलावा तकनीकी क्षेत्रों में भी मंदिरों द्वारा विद्यालय चलाए जा रहे हैं। मंदिरों के सहयोग से उच्च कोटि के जन स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हुए जहां मुफ्त परीक्षण एवं दवाओं की व्यवस्था की गयी है। राम कृष्ण मिशन, आर्य समाज जैसी संस्थाओं द्वारा आधुनिकतम शिक्षा पद्धति की पढ़ाई का उच्चतम कीर्तिमान स्थापित किया गया।

 

जयवीर सिंह
पर्यटन मंत्री, उत्तर प्रदेश

भारत में स्थापित मंदिर एवं तीर्थ स्थल हमारे लिए प्रेरणा, आस्था एवं वंदना के केन्द्र हैं। मंदिरों से हमें आध्यात्मिक ऊर्जा का भाव मिलता है, आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान रहने लिए लोगों का मंदिरों में आना-जाना बना रहता है। इन मंदिरों से भारत की संस्कृति जन-जन में प्रवाहमान रहती है। केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिरों और तीर्थ स्थलों के विकास के लिए अनवरत भगीरथ प्रयास किया है। आध्यात्मिक ऊर्जा के केन्द्र होने के साथ ही मंदिर एवं तीर्थ स्थलों से रोजगार का सृजन भी होता है। असंख्य लोग मंदिरों के आस-पास जीवन यापन करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तर प्रदेश में वाराणसी, वृन्दावन, अयोध्या, चित्रकूट, नैमिषारण्य, प्रयागराज, मथुरा, मिर्जापुर आदि न केवल प्राचील काल से ही तीर्थस्थल हैं, बल्कि अब इनका महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

यदि पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में देखें तो उत्तराखण्ड में केदारनाथ, तमिलनाडु में मुदुरै, रामेश्वरम, ओडिशा में जगन्नाथपुरी, गुजरात में द्वारिका, पंजाब में स्वर्ण मन्दिर, झारखंड में देवघर स्थित वैद्यनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश में उज्जैन का महाकाल मंदिर, असम में कामाख्या मंदिर, जम्मू एवं कश्मीर में वैष्णो माता मंदिर और कई अन्य मंदिरों वाले शहरों का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। मंदिरों वाले ये शहर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ऐसे कई स्थान हैं, जहां एक ही दिन में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं।

मन्दिरों एवं तीर्थ स्थान के शहरों में आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से न केवल सेवाओं के स्तर में सुधार किया जा सकता है, बल्कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान भी बढ़ाया जा सकता है। जिस प्रकार अन्य क्षेत्रों के अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए रणनीति बनाई जाती है, इसी प्रकार हमारी सरकार मंदिरों के माध्यम से भी अर्थव्यवस्था में योगदान करने के बारे में गंभीरता से अवसंरचना का विकास कर रही है।

वर्ष 2022 में प्रदेश में 31,85,62,573 करोड़ पर्यटक आये थे। यह संख्या वर्ष 2021 से 190 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें 31,79,13,587 करोड़ भारतीय जबकि 6,48,986 लाख विदेशी पर्यटक हैं। इस वर्ष पर्यटकों के आने की रफ्तार और तेज है। यूपी में जून तक करीब 14,58,68,959 करोड़ पर्यटक आये हैं जबकि बीते वर्ष जून तक 13,49,64,792 करोड़ पर्यटक आये थे। यानी इस वर्ष छह महीने में करीब 1,09,04,167 करोड़ पर्यटक ज्यादा आये हैं

स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में धार्मिक और तीर्थ पर्यटन यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान है। तीर्थस्थलों के विकास से अर्थव्यवस्था को गति मिली है। भारत में समग्र पर्यटन में धार्मिक पर्यटन का हिस्सा 60 प्रतिशत है। भारत में 11 प्रतिशत विदेशी पर्यटक धार्मिक और तीर्थ यात्रा के उद्देश्य से आते हैं। भारत के जीडीपी में पर्यटन की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत और रोजगार में इसकी हिस्सेदारी 8 प्रतिशत है। वर्ष 2022 में जहां 14.35 करोड़ भारतीय लोगों ने मंदिरों और तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया, वहीं 64.4 लाख विदेशी पर्यटकों में इन स्थानों का भ्रमण किया। वर्ष 2022 में इन तीर्थ स्थलों से 1.35 लाख करोड़ की आय हुई।

प्रदेश में धार्मिक पर्यटकों की बहार

उत्तर प्रदेश  के धार्मिक पर्यटन स्थलों में बुनियादी ढांचे में सुधार से यहां की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर और इसके आस-पास के क्षेत्रों के विकास, काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर, कॉरिडोर के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ी है। इसी तरह वृन्दावन, चित्रकूट, नैमिषारण्य आदि धार्मिक स्थलों पर अवसंरचना सुविधाओं में विस्तार के बाद पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। काशी विश्वनाथ मंदिर में जहां पर्यटकों की संख्या मात्र एक करोड़ के लगभग रहती थी, वह बढ़कर 10 करोड़ हो गई है। इसी प्रकार अयोध्या, चित्रकूट, वृन्दावन, मथुरा, नैमिषारण्य आदि स्थानों पर भी श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

पिछले वर्ष पर्यटकों की संख्या में 190 प्रतिशत की उछाल रही तो मौजूदा वर्ष में यह गति और तेज है। जनवरी में रामलला मंदिर के गर्भगृह में विराजेंगे, इसके बाद श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा। यह बेरोजगार हाथों को काम सौंपने के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस विश्वास को मजबूती प्रदान करेगा जिसमें उन्होंने वर्ष 2030 तक पर्यटन को बड़े रोजगार अवसर के रूप में उभरने का विश्वास जताया है।

वेद, पुराण, प्राचीन अर्थ नीति, आयुर्वेद व पुरातन संस्कृति से जुड़ी पुस्तकों का बड़ा भण्डार संग्रह किया गया है। मंदिर एवं धार्मिक केन्द्र कंधे से कंधा मिलाकर देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने में भी और अधिक योगदान दे रहे हैं। कई धार्मिक स्थलों यथा, अयोध्या, काशी एवं मथुरा के साथ अन्य तीर्थ स्थलों पर प्रात: 8  बजे से रात्रि 9 बजे तक भण्डारों के साथ शिक्षण कार्य भी संचालित किया जा रहा है। समाज के कमजोर वर्ग के लोगों तथा छात्रों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था हो रही है,जिससे समाज में आपसी सद्भाव के साथ आर्थिक उन्नति भी हो रही है। 

वर्ष 2022 में प्रदेश में 31,85,62,573 करोड़ पर्यटक आये थे। यह संख्या वर्ष 2021 से 190 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें 31,79,13,587 करोड़ भारतीय जबकि 6,48,986 लाख विदेशी पर्यटक हैं। इस वर्ष पर्यटकों के आने की रफ्तार और तेज है। यूपी में जून तक करीब 14,58,68,959 करोड़ पर्यटक आये जबकि बीते वर्ष जून तक 13,49,64,792 करोड़ पर्यटक आये थे। यानी इस वर्ष छह महीने में करीब 1,09,04,167 करोड़ पर्यटक ज्यादा आये हैं। प्रदेश में पर्यटन बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है।

जनकल्याण में धार्मिक संस्थाएं आगे

इन धार्मिक केन्द्रों के कारण सभी शहरों में बहुत सारी आर्थिक गतिविधियां संचालित होती हैं, इनमें व्यापार, परिवहन, धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ अनेकों प्रकार से बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं। धार्मिक महत्व के इन स्थानों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर न केवल मंदिरों में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारियों की आय के लिए बल्कि इन स्थानों से जुड़े व्यापार, परिवहन उद्योगों में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होता है, जिससे प्रदेश में समृद्धि आ रही है। शहरों के अधिकांश बाजार पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनते जा रहे हैं।

भारत के कई मंदिर और तीर्थस्थल शिक्षा, स्वास्थ्य, जन कल्याण के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य कर रहे हैं। कई मंदिरों द्वारा शिक्षण संस्थाएं स्थापित की गयी हैं। आध्यात्मिक ऊर्जा के विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के अलावा तकनीकी क्षेत्रों में भी मंदिरों द्वारा विद्यालय चलाए जा रहे हैं। मंदिरों के सहयोग से उच्च कोटि के जन स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हुए जहां मुफ्त परीक्षण एवं दवाओं की व्यवस्था की गयी है। राम कृष्ण मिशन, आर्य समाज जैसी संस्थाओं द्वारा आधुनिकतम शिक्षा पद्धति की पढ़ाई का उच्चतम कीर्तिमान स्थापित किया गया।

मन्दिरों व अन्य केन्द्रों पर डिजिटल पुस्तकालयों को स्थापित किया गया है। इन पुस्तकालयों में वेद, पुराण, प्राचीन अर्थ नीति, आयुर्वेद व पुरातन संस्कृति से जुड़ी पुस्तकों का बड़ा भण्डार संग्रह किया गया है। मंदिर एवं धार्मिक केन्द्र कंधे से कंधा मिलाकर देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने में भी और अधिक योगदान दे रहे हैं। कई धार्मिक स्थलों यथा, अयोध्या, काशी एवं मथुरा के साथ अन्य तीर्थ स्थलों पर प्रात: 8  बजे से रात्रि 9 बजे तक भण्डारों के साथ शिक्षण कार्य भी संचालित किया जा रहा है। समाज के कमजोर वर्ग के लोगों तथा छात्रों के रहने एवं भोजन की व्यवस्था हो रही है,जिससे समाज में आपसी सद्भाव के साथ आर्थिक उन्नति भी हो रही है।
(सुनील राय से बातचीत के आधार पर)

 

Topics: Puranasपुरातन संस्कृतिप्राचीन अर्थ नीतिJammu and Kashmirजम्मू एवं कश्मीरवेदवैष्णो माता मंदिरVedasAncient Cultureकामाख्या मंदिरAncient EconomicsKamakhya TempleVaishno Mata TempleKashi Vishwanath Corridorकाशी विश्वनाथ कॉरिडोरपुराण
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