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#जी-20: विश्वास और विकास

जी-20 शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक वैश्विक नेता के नाते स्थापित कर गया। प्रस्तुत है नई दिल्ली में सम्पन्न जी-20 शिखर सम्मेलन पर एक विहंगम दृष्टि

by Alok Goswami
Sep 18, 2023, 01:36 pm IST
in भारत, विश्व, विश्लेषण
नईदिल्ली स्थित भारत मण्डपम जहां सम्पन्न हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन

नईदिल्ली स्थित भारत मण्डपम जहां सम्पन्न हुआ जी-20 शिखर सम्मेलन

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एक बार फिर यह बात रेखांकित हुई है कि आज का भारत ‘नया भारत’ है, यह तथ्य और मेधा के आधार पर भू-राजनीति में अपनी छाप छोड़ता है। पिछले साल बाली (इंडोनेशिया) में जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद, देश में 60 से ज्यादा स्थानों पर 200 से ज्यादा बैठकों में वित्त और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में नई इबारतें लिखी गई। 83 बिन्दुओं वाले नई दिल्ली घोषणापत्र में यह बात स्पष्टत: झलकती है। इस घोषणापत्र का आम सहमति से स्वीकारा जाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक वैश्विक नेता के नाते स्थापित कर गया। प्रस्तुत है नई दिल्ली में सम्पन्न जी-20 शिखर सम्मेलन पर एक विहंगम दृष्टि

भारत मण्डपम्। 9-10 सितम्बर, 2023 भारत की राजधानी नई दिल्ली में एक इतिहास रचा गया। दुल्हन सी सजी राजधानी में विश्व के कद्दावर नेता उपस्थित थे, उन देशों के राष्ट्राध्यक्ष जो विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद का आपस में मिलकर 85 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं, वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान देते हैं। वे देश, जिनमें बसते हैं विश्व की कुल आबादी के दो-तिहाई लोग!

मोदी की गारंटी

अजाली औसमानी को गले लगाते मोदी

9 सितम्बर को पत्रकार वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने खुलासा किया कि जी-20 में अफ्रीकी संघ के शामिल होने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टि और समावेशी सोच ही है। उन्होंने बताया कि पिछले साल बाली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ (एयू) के तत्कालीन अध्यक्ष मैकी साल मोदी से मिले थे और उनसे अनुरोध किया था कि 55 देशों के उनके संघ को भी जी-20 में शामिल कराएं। इस पर श्री मोदी ने उन्हें गारंटी दी थी कि अगले सम्मेलन में ऐसा जरूर होगा, बदलाव दिखेगा। और सच में मोदी ने इस साल उस गारंटी को पूरा कर दिखाया।

क्या है नई दिल्ली घोषणापत्र ­10 बिन्दुओं में समझें

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन यानी 9 सितम्बर को भारत की अध्यक्षता में समूह के सभी देशों की आम सहमति से ‘नई दिल्ली जी-20 लीडर्स घोषणापत्र’ को अंगीकार किया गया। यहां हम दस बिन्दुओं के माध्यम से समझते हैं इस घोषणापत्र के कुछ विशेष आयाम

  •  जी-20 समूह मजबूत, दीर्घकालिक, संतुलित और समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए काम करेगा, सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे को लागू करने की दिशा में काम किया जाएगा।
  •  घोषणापत्र कहता है कि ‘हम शांति के प्रति सभी पंथों की प्रतिबद्धता स्वीकारते हैं, नस्लवाद और असहिष्णुता के विभिन्न रूपों सहित सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हैं।’
  •  घोषणा पत्र में कहा गया है कि ‘हम पक्का करेंगे कि कोई भी पीछे न रहे। हम 2030 के एजेंडे के कार्यान्वयन में और तेजी लाने के लिए भारतीय प्रेसीडेंसी के प्रयासों की सराहना करते हैं।’
  •  घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध की निंदा की गई है। हालांकि रूस का नाम लिए बिना युद्ध की वजह से आ रहे खाद्य संकट व अन्य दुष्प्रभावों का उल्लेख किया गया है।
  •  घोषणापत्र कहता है कि ‘हम संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/77/318,खासतौर पर पांथिक और सांस्कृतिक विविधता, संवाद तथा सहिष्णुता के लिए सम्मान को बढ़ावा देने की समूह की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।’
  •  घोषणापत्र में लिखा है, ‘‘हम विकसित देशों का आह्वान करते हैं कि वे अपनी संबंधित ओडीए प्रतिबद्धताओं को समग्रता से पूरा करें।’’
  •  इसमें है कि ‘हम महिलाओं के नेतृत्व में विकास को प्रोत्साहन देते हैं तथा वैश्विक चुनौतियों को दूर करने तथा समाज के सभी क्षेत्रों में योगदान देने के लिए निर्णय लेने वालों के नाते महिलाओं की पूर्ण, समान, प्रभावी और सार्थक भागीदारी बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।’
  •  घोषणापत्र कहता है कि ‘हम भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान स्टार्ट-अप 20 एंगेजमेंट ग्रुप के गठन और इसके आगे बढ़ते रहने का स्वागत करते हैं।’
  •  कहा गया है कि ‘हम डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के जरिए वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ को आगे बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक तथा गैर-बाध्यकारी जी-20 नीति सिफारिशों को समर्थन देते हैं।’
  •  घोषणापत्र में निजी व्यवसाय पर प्रकाश डाला गया है। कहा गया है-‘‘हम जानते हैं कि सतत विकास में तेजी लाने तथा आर्थिक बदलाव को आगे बढ़ाने में निजी उद्यमों की उल्लेखनीय भूमिका है।’’

…और ये राष्ट्राध्यक्ष नई दिल्ली आए थे भारत की अध्यक्षता में आयोजित हुए दो दिन के जी-20 समूह के शिखर सम्मेलन में।
…सिर्फ15 दिन के अंतराल में भारत ने दो अवसरों पर साबित किया कि अब वह कोई ऐसा-वैसा देश नहीं है, बल्कि वह देश बन चुका है जो आने वाले वक्त में विश्व को राह दिखाने की सामर्थ्य रखता है।
पहली घटना…23 अगस्त को भारत के चंद्रयान-3 मिशन का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरना, और दूसरी घटना…9-10 सितम्बर को यह जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन!

…और इन दोनों ही अवसरों पर दुनिया ने अंतरिक्ष से लेकर भू-राजनीति के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की मेधा और कौशल के चमत्कार को देखा।
अद्भुत आयोजन रहा जी-20 शिखर सम्मेलन का, और यह हम ही नहीं कह रहे हैं, यह जी-20 समूह के सभी नेताओं और अतिथियों के उद्गार हैं। हर सत्र समयबद्ध तरीके से चला, हर कार्रवाई पूर्व योजनानुसार हुई, हर पत्रकार वार्ता, चर्चा, द्विपक्षीय वार्ताएं, सब तय कार्यक्रमानुसार सम्पन्न हुई।

9 सितम्बर को सुबह सभी मेहमानों की प्रधानमंत्री मोदी ने भारत मण्डपम् के द्वार पर कोणार्कसूर्य मंदिर के चक्र की अनुकृति के सामने अगवानी की।

ठीक साढे दस बजे ‘वन अर्थ’ की अवधारणा पर पहले सत्र का आरम्भ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘कोविड-19 के बाद विश्व में विश्वास की कमी का एक बहुत बड़ा संकट पैदा हुआ है। युद्ध (यूक्रेन) ने इस संकट को और गहरा किया है। आज भारत जी-20 के अध्यक्ष के नाते दुनिया का आह्वान करता है कि हम मिल कर सबसे पहले विश्वास की कमी दूर करें। वैश्विक हित के लिए यह समय सभी के साथ मिलकर चलने का है।’’

भारत बना ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज

पत्रकार वार्ता में अमिताभ कांत, जयशंकर और निर्मला सीतारमण

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन नेताओं के बीच विचार-विमर्श के बाद भारत की सक्रिय पहल पर नई दिल्ली घोषणापत्र सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ, जो ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) की समस्याओं को अभिव्यक्त करता है। भारत को इस संबंध में दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और इंडोनेशिया का सहयोग मिला।
पहले सत्र के बाद, पत्रकार वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि जी-20 मुख्यत: विश्व अर्थव्यवस्था और आर्थिक मामलों पर विचार-विमर्श का मंच है, लेकिन इसमें समकालीन विश्व घटनाक्रम पर भी गौर किया गया है।
संयुक्त वक्तव्य में यूक्रेन युद्ध के कारण ईंधन, खाद्यान्न और उर्वरकों की उपलब्धता तथा आपूर्ति संबंधी समस्याओं पर चिंता व्यक्त की गई। यूक्रेन युद्ध के लिए रूस के विरुद्ध सीधे तौर पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गई है।
चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के नई दिल्ली न आने के संबंध में जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि हर देश यह तय करता है कि किसी सम्मेलन में उसका प्रतिनिधित्व कौन करेगा। उन्होंने शिखर सम्मेलन में चीन की भूमिका की प्रशंसा में कहा कि चीन का योगदान सकारात्मक रहा जो सम्मेलन के परिणामों के लिए अच्छा रहा। विदेश मंत्री ने बताया कि शिखर सम्मेलन के मूल मंत्र वसुधैव कुटंबकम् के अनुरूप ही सम्मेलन की कार्रवाई सम्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि भारत ने जी-20 अध्यक्षता को समावेशी और व्यापक बनाने के प्रयास के अंतर्गत अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थाई सदस्य बनवाया है। यह बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के वर्तमान यथार्थ को उजागर करता है। कुल मिलाकर भारत उस ग्लोबल साउथ की एक सशक्त आवाज बनकर सामने आया है जिसके मत को पहले कभी कोई खास महत्व न देने की रस्म जैसी रही है।

पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत में स्पेन की उपराष्ट्रपति नादिया ने कहा-‘जी-20 में भारत के प्रभावी नेतृत्व के लिए बधाई’

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में जलवायु परिवर्तन पर विषद् चर्चा हुई। इसमें सभी सदस्य देशों ने साथ मिलकर इस चुनौती से लड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। स्पेन की प्रथम उप राष्ट्रपति नादिया ने भारत को जी-20 के प्रभावी नेतृत्व के लिए बधाई दी।
सत्र के बाद, स्पेन की प्रथम उप राष्ट्रपति नादिया कालवीनो ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि पहले सत्र में हमने एक बहुपक्षीय विश्व की आवश्यकता पर बल दिया। हमने इस बात को भी दृढ़ता से रखा है कि हमारे अंदर दुनिया की जलवायु परिवर्तन सरीखी सभी चुनौतियों से मिलकर लड़ने की ताकत है। पहले सत्र में इस दृष्टि से चर्चा बहुत महत्वपूर्ण रही। इसके साथ ही हमने अफ्रीकी संघ को भी जी-20 में सम्मिलित किया है।
इसमें सहमति बनी कि एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया जाए जिसमें इस बात का आश्वासन हो कि हम जलवायु परिवर्तन पर पेरिस और दूसरे अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलनों में तय हुए लक्ष्यों को पाने के लिए काम करेंगे। सबने आगामी ‘कॉप’ सम्मेलन के लिए गंभीरता से काम करने की बात कही। उसमें जो भी लक्ष्य तय होंगे उन पर काम किया जाएगा जिससे कि नवीकरणीय ऊर्जा के रास्ते पर बढ़ा जा सके।
नादिया ने कहा, ‘‘मैंने भारत को जी-20 के अध्यक्ष के नाते प्रभावी नेतृत्व देते हुए साल भर चले सफल आयोजनों के लिए बधाई दी’’।

साथ मिलकर चलने का समय

शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 के बाद विश्व में विश्वास की कमी का एक बहुत बड़ा संकट पैदा हुआ है। युद्ध ने इस संकट को और गहरा किया है। आज भारत जी-20 के प्रेसिडेंट के तौर पर पूरी दुनिया का आह्वान करता है कि हम मिल कर सबसे पहले विश्वास की वैश्विक कमी को एक भरोसे में बदलें। वैश्विक हित के लिए यह समय सभी के मिल कर चलने का है।
मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव, उत्तर व दक्षिण में अंतर, पूर्व तथा पश्चिम की दूरी, खाद्य, ईंधन व उर्वरक प्रबंधन, आतंकवाद तथा साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और जल-सुरक्षा को लेकर चुनौतियां हैं। हमें इन चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढ़ना ही होगा।

दुनिया पर छाई ‘टीम मोदी’ की कूटनीति,
अमेरिकी मीडिया ने बांधे प्रशंसा के पुल

जी-20 में आम सहमति से पारित हुआ ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ विदेशी मीडिया विशेषज्ञों में चर्चा का विषय बना रहा। पश्चिमी मीडिया, खासकर अमेरिकी अखबारों और चैनलों ने इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम की विशेष सफलता माना। उनका कहना है कि यह मुश्किल काम भारत ने अपनी कूटनीति से जिस प्रकार संभव किया है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।
घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों की सहमति बनना एक असाधारण बात मानी जा रही है। 9 सितम्बर को स्वयं मोदी ने इस घोषणा पत्र को अपनाने की घोषणा करते हुए इस बात का विशेष उल्लेख किया था कि इस काम में लगी टीम की वजह से यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि हमारी टीम की कड़ी मेहनत और सभी सदस्य देशों के सहयोग से नई दिल्ली जी20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है। इसमें जोर देकर कहा गया है कि परमाणु अस्त्रों का उपयोग या उपयोग की धमकी भी स्वीकार नहीं की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध के कारण संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमति बना पाना एक मुश्किल काम था, लेकिन भारत ने कूटनीतिक दक्षता दिखाते हुए इस कठिन काम को भी सफल कर दिखाया।
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के नेताओं ने एक दिन पहले ही यूक्रेन में युद्ध को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया, यह जी-20 शिखर सम्मेलन के पर्यवेक्षकों को खासतौर पर हैरान कर गया। इसी तरह ‘द गार्जियन’ लिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 सितम्बर को घोषणा की कि जी-20 के नेता संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमत हो गए हैं, इससे यह आशंका मद्धम पड़ गई कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर असहमति शायद आम सहमति न होने दे। यह घोषणापत्र जी-20 के अध्यक्ष के नाते भारत के लिए एक बड़ी जीत की तरह है।
अमेरिकी अखबारों में छपा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने भारत की क्षमताओं को बहुत शानदार तरीके से पेश किया है। भारत की कूटनीति के बारे में लिखा है कि नई दिल्ली संयुक्त घोषणापत्र में रूस अथवा चीन का कोई विरोध नहीं है, न ही यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना की गई है।

मोदी की पहल पर बना वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन

जी-20 की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 सितम्बर को वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मेल को बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने की अपील करते हुए जी-20 देशों से इस पहल में शामिल होने की अपील भी की। ‘एक पृथ्वी’ सत्र में मोदी ने ‘पर्यावरण और जलवायु अवलोकन के लिए जी-20 उपग्रह मिशन’ शुरू करने और जी-20 नेताओं से ग्रीन क्रेडिट पहल पर भी काम आरम्भ करने का आग्रह किया। इस वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के गठन के वक्त प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान मौजूद थे।

‘सुरक्षा परिषद में भारत का
शामिल होना गर्व की बात होगी’

जी-20 शिखर सम्मेलन में तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय चर्चा की। इसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का समर्थन किया। एर्दोगन ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत के होने पर हमें गर्व होगा। एर्दोगन ने यह मांग भी की कि परिषद में एक ‘रोटेशन’ प्रक्रिया होनी चाहिए ताकि सभी देश उससे जुड़ सकें। उन्होंने भारत के साथ आर्थिक संबंधों पर भी बात की। इस बैठक के बारे में खुद मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा-‘‘हमने भारत और तुर्किये के बीच सीमेंट व्यापार और बुनियादी ढांचे को गति देने के तरीकों के बारे में बात की।’’ दिलचस्प बात है कि तुर्किये की सरकार कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान समर्थक मानी जाती रही है। लेकिन अब एर्दोगन का सुरक्षा परिषद में भारत के शामिल होने का समर्थन करना भारत-तुर्किये संबंधों में सुधार के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। बेशक, पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव, उत्तर व दक्षिण में अंतर, पूर्व तथा पश्चिम की दूरी, खाद्य, ईंधन व उर्वरक प्रबंधन, आतंकवाद तथा साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और जल-सुरक्षा जैसी चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढ़ना ही होगा। पहले सत्र में ही अध्यक्ष के नाते प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकी संघ को सर्वसम्मति से जी-20 में शामिल करने की घोषणा की। इसके बाद सभी नेताओं की करतल ध्वनि के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति तथा अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष अजाली औसमानी को जी-20 के सदस्य देशों के बीच उनकी सीट पर बैठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने गले लगकर उन्हें बधाई दी। औसमानी इस मौके पर स्पष्ट रूप से भावविभोर दिख रहे थे।

भोजनावकाश के बाद, दूसरा सत्र आरम्भ हुआ, विषय था ‘वन फैमिली’। इस सत्र में चर्चाओं का क्रम शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘अभी एक खुशखबरी मिली है। हमारी टीम्स की कड़ी मेहनत और आप सभी के सहयोग से नई दिल्ली लीडर्स शिखर सम्मेलन घोषणापत्र पर सहमति बनी है। मेरा प्रस्ताव है कि इस घोषणापत्र को स्वीकारा जाए’। और इस तरह घोषणापत्र आम सहमति से स्वीकृत हुआ। मोदी ने अपने आरंभिक वक्तव्य में आगे कहा कि हमें दुनिया के हर वर्ग, हर देश, हर समाज, हर क्षेत्र को एक साथ लाना होगा। दूसरों के सुख में सुखी होने और उसके दुख से दुखी होने का भाव अपने अंदर लाना होगा। भारत इसी भाव के साथ अपने हर अनुभव को अपने विशाल वैश्विक परिवार के साथ साझा करने का इच्छुक है।

सत्र में प्रधानमंत्री ने भारत में डिजिटल उन्नति को रेखांकित करते हुए उसके लाभों की चर्चा की और कहा कि भारत ने जो मॉडल अपनाया है वह निश्चित तौर पर दुनिया, विशेषकर ग्लोबल साउथ के लिए, पूरे वैश्विक परिवार के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है जिससे संकटों में फंसे देश उनसे बाहर निकल सकें और भविष्य में ऐसे संकटों में न फंसें।

भारत का चिंतन विश्व को एक वृहत परिवार मानता है। इसलिए प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में इसी सोच को आधार बनाते हुए सबके भले के लिए मार्ग सुझाए और दुनिया के कद्दावर नेताओं ने उनकी इस बात की खुलकर प्रशंसा की।

इसी दिन शाम को राष्ट्रपति ने भारत मण्डपम में विदेशी अतिथियों के सम्मान में विशेष भोज का आयोजन किया था। इस दौरान नई दिल्ली पर इंद्र देवता को विशेष रूप से कृपा बरसानी ही थी सो बाहर रिमझिम हो रही थी और भोज मण्डप में एक से एक स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजन परोसे जा रहे थे। मेहमान बाग-बाग हो रहे थे और भारत की मेहमाननवाजी की प्रशंसा कर रहे थे।

भारत मंडपम् में अद्वितीय आयोजन

रात्रिभोज में (बाएं से) प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के साथ श्रीमती और श्री फूमिओ किशिदा

जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन सत्रों की समाप्ति के बाद, देर शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जी-20 के नेताओं और विशेष आमंत्रितों को भारत मण्डपम् में विशेष भोज दिया। भोज में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अनेक केन्द्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के लोग उपस्थित थे। इस भोज में अतिथियों के लिए खास व्यंजन परोसे गए। बाजरे से बने पदार्थ विशेष रूप से परोसे गए थे। मौसम का ध्यान रखते हुए व्यंजन तैयार किए गए थे।
विशेष भोज के आरम्भ में बताया गया कि कैसे विविधताओं से भरा देश भारत स्वाद के माध्यम से एक है। मीनू में लिखा था, ‘‘परंपराओं, रीति-रिवाजों तथा विविध प्रकार की जलवायु की दृष्टि से भारत विविधताओं से परिपूर्ण है, लेकिन स्वाद हमें जोड़ता है।’’ बेशक, परोसे गए स्वादिष्ट व्यंजनों से यह बात साबित भी हुई।
राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं को भोजन का एक खास अनुभव मिला। इसमें भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत की झलक थी, चांदी और सोने की परतों से मढ़े बर्तनों में खाना परोसा गया। जापान के प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा की पत्नी साड़ी पहनकर भोज में शामिल हुई थीं।

शेरपा अमिताभ कांत ने की अपनी टीम की प्रशंसा

चित्र में (बाएं से)  ईनम गंभीर, अमिताभ कांत व नागराज नायडू

नई दिल्ली में जी-20 के सफल आयोजन के पीछे विदेश मंत्री जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और शेरपा अमिताभ कांत सहित उनकी जिस कोर टीम की अथक मेहनत लगी, उसकी प्रशंसा सिर्फ प्रधानमंत्री ने ही नहीं की, बल्कि पत्रकार वार्ता में स्वयं जयशंकर ने भी की। नई दिल्ली घोषणा पत्र को लेकर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों और कूटनीतिकों ने 200 घंटे से ज्यादा लगातार वार्ताएं कींं। यूक्रेन युद्ध तथा जलवायु परिवर्तन के साथ ही अनेक विषयों पर आम सहमति के बिंदु खंगाले।
10 सितम्बर की दोपहर बाद, शेरपा अमिताभ कांत ने स्वयं ट्वीट करके अपनी कोर टीम की प्रशंसा की। उन्होंने लिखा, ‘‘समग्र जी-20 का सबसे कठिन हिस्सा था भू-राजनीतिक खंड (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना। यह संभव हो पाया 200 घंटे लगातार चलीं वार्ताओं, 300 द्विपक्षीय बैठकों तथा15 मसौदों में। इसमें दो होनहार अधिकारियों-संयुक्त सचिव ईनम गंभीर तथा नागराज नायडू काकनूर ने मेरी बहुत मदद की।’’

संस्कृत में मंगलकामना के साथ मोदी ने की

जी-20 के समापन की घोषणा

समापन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील को प्रेसिडेंसी का प्रतीक चिह्न सौंपते हुए सहयोग भरोसा दिया। उन्होंने कहा, हमें विश्वास है कि ब्राजील के नेतृत्व में जी-20 हमारे साझा लक्ष्यों को और आगे बढ़ाएगा। भारत के पास नवंबर तक जी-20 की प्रेसीडेंसी की जिम्मेदारी है। अभी ढाई महीने बाकी हैं। दो दिन चले सत्रों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने सदस्यों से कहा कि इन दो दिनों में आप सभी ने अनेक बातें यहां रखी हैं, सुझाव दिए हैं, बहुत सारे प्रस्ताव रखे हैं। हमारी यह जिम्मेदारी है कि जो सुझाव आए हैं, उनको एक बार फिर देखा जाए कि उनकी प्रगति में गति कैसे लाई जा सकती है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एक प्रस्ताव रखा कि नवंबर के अंत में जी-20 समिट का एक वर्चुअल सेशन और रखा जाए। उस सेशन में इस शिखर सम्मेलन के दौरान तय हुए विषयों की समीक्षा की जा सकती है।
इसी के साथ, प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के जी-20 समिट के समापन की घोषणा की और कहा कि वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर का रोडमैप सुखद हो। उन्होंने संस्कृत में एक मंत्र पढ़ा-स्वस्ति अस्तु विश्वस्य अर्थात संपूर्ण विश्व में आशा और शांति का संचार हो। मोदी ने 140 करोड़ भारतीयों की इसी मंगलकामना के साथ सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

अगले दिन सुबह, सभी जी-20 नेताओं ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। उससे पूर्व द्वार पर प्रधानमंत्री ने स्वयं सभी नेताओं का पटका पहनाकर स्वागत किया और पृष्ठभूमि में बनी साबरमती आश्रम, अमदाबाद में स्थित गांधी जी की कुटिया की अनुकृति दिखाते हुए उसके बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। स्निग्ध वातावरण और झीनी-झीनी बरसात में नंगे पांव सभी नेता मोदी की अगुआई में गांधी समाधि पहुंचे और मौन रखकर बापू के प्रति श्रद्धा अर्पित की।

राजघाट के कार्यक्रम के बाद, मोदी सीधे भारत मण्डपम् में पहुंचे और तीसरे सत्र का शुभारम्भ किया। इस आखिरी सत्र का केन्द्रीय विषय था ‘वन फ्यूचर’। सत्र में चर्चा हुई विश्व के सुखद भविष्य के आड़े आ रहीं बाधाओं को दूर करने की, जैसे आतंकवाद। मोदी ने अपने वक्तव्य में आतंकवाद को मिल रही फडिंग का विषय उठाया। उन्होंने साइबर सुरक्षा पर विशेष बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है, ऐसे में हमें स्थिरता और मजबूती की भी उतनी ही जरूरत है। मोदी ने कहा कि हमें प्रण लेना होगा कि हरित विकास समझौते, एसडीजीएस पर कार्य योजना, भ्रष्टाचार विरोध पर उच्च स्तरीय सिद्धांत, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और एमडीबी सुधारों के अपने संकल्पों को पूरा करके रहेंगे। भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर क्षेत्र से आतंकवाद को नए रास्ते और फंडिंग के नए तौर-तरीके प्राप्त हो रहे हैं। ये विषय प्रत्येक देश की सुरक्षा और खुशहाली से जुड़ा है। हमें हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखना होगा और ऐसा होने पर ही ‘वन फ्यूचर’ यानी एक भविष्य का भाव सुदृढ़ होगा। आज दुनिया साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोकरेंसी जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। इनके नियमन के लिए हमें वैश्विक फ्रेमवर्क तैयार करना होगा, इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है।

बहुत-बहुत कुछ हासिल हुआ भारत को इस जी-20 आयोजन से, जिसके पीछे दृष्टि है तो बस प्रधानमंत्री मोदी की, जिन्होंने सहजता, समझ और समन्वयता से भरे अपने व्यक्तित्व से दुनिया के प्रभावशाली नेतओं को प्रभावित किया है। और यह स्थिति सिर्फ भारत के हित को नहीं साधेगी बल्कि वृहत विश्व को विश्वास के साथ विकास के मार्ग पर बढ़ाएगी।

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