काठमांडू । नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने नेपाल के दो नवनिर्मित अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल के संचालन की जिम्मेदारी चीन को सौंपने का संकेत दिया है। पोखरा और भैरहवा एयरपोर्ट के संचालन को लेकर चीन की तरफ से दिलचस्पी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री प्रचंड की तरफ से भी बयान आया है। वहीं, इसके साथ यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि नेपाल भी अब चीन के चंगुल में फंसता जा रहा है और श्रीलंका-पाकिस्तान की राह पर वह चल पड़ा है।
शुक्रवार को नेपाल नागरिक उड्डययन प्राधिकरण के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करते हुए प्रचंड ने कहा कि अगले हफ्ते से शुरू होने वाले चीन भ्रमण पर पोखरा और भैरहवा विमानस्थल के नियमित संचालन के लिए वह बात करेंगे। देश में दो नए विमानस्थल बन कर तैयार हैं लेकिन उसका पूर्ण रूप से संचालन नहीं होने के कारण देश को बहुत घाटा हो रहा है। 23 सितम्बर से शुरू होने वाले उनके बीजिंग दौरे में यह एक प्रमुख एजेंडा रहने वाला है।
पोखरा विमानस्थल निर्माण के समय से ही विवादों में घिरा हुआ है। चीन से महंगे ब्याज दर पर अल्पकालीन समय के लिए ऋण लेने के कारण प्रारंभ में ही यह विवादों में घिर गया था। उसके बाद कई विशेषज्ञों ने पोखरा के विमानस्थल डिजाइन और रनवे को लेकर सवाल खड़े किए थे लेकिन उन सब बातों की अनदेखी कर दी गई थी। इस वर्ष पहली जनवरी को विमानस्थल के उद्घाटन के समय चीनी राजदूत ने इसे चीन की बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बता देने के बाद यह और अधिक विवादों में फंस गया था।
उद्घाटन के 9 महीने के बाद भी अब तक पोखरा विमानस्थल संचालन में नहीं आ पाया है। इसी तरह भैरहवा का गौतम बुद्ध अन्तरराष्ट्रीय विमानस्थल भी चीन के ठेकेदारों के बनाया गया है। हालांकि इसमें एशियाई विकास बैंक का ऋण सहयोग है लेकिन उद्घाटन के साल भर के बाद यह विमानस्थल भी अब तक पूर्ण रूप से संचालन में नहीं आ पाया है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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