नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के अंतिम और तीसरे सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक संस्थाओं में वर्तमान वास्तविकता के अनुरूप बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने क्रिप्टो करेंसी और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) से जुड़ी चुनौतियों के प्रति भी आगाह किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक भविष्य’ विषय पर कहा कि हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना जरूरी है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह हमें बहुपक्षीय विकास बैंकों के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले त्वरित और प्रभावी होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया हर लिहाज से बदल चुकी है। ऐसे में वास्तविकता नई वैश्विक व्यवस्था में झलकनी चाहिए। प्रकृति का नियम है कि बदलाव न करने पर व्यक्ति और संस्था अपनी प्रासंगिकता खो देती हैं। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि बीते वर्षों में कई क्षेत्रीय फोरम अस्तित्व में आए हैं और प्रभावी सिद्ध हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने देशों के बीच हितों के जुड़ाव से आगे ह्रदयों के जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे हम ग्लोबल विलेज को ग्लोबल फैमिली बनते देखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान जिम्मेदार मानव केन्द्रित एआई व्यवस्था के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि न्यू जेनेरेशन टेक्नोलॉजी में अकल्पनीय स्केल और स्पीड के गवाह बन रहे हैं। ऐसे में हमें 2019 मे बने जी-20 के एआई से जुड़े मानकों से एक कदम आगे बढ़ना होगा। भारत चाहता है कि सामाजिक आर्थिक विकास, ग्लोबल कार्यबल और शोध एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों की सुरक्षा और संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखने पर ही एक भविष्य का भाव सशक्त होगा। ऐसे में साइबर जगत से आतंकवाद को फंडिंग जैसे मुद्दों पर जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि साइबर सिक्योरिटी और क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी का क्षेत्र, सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो करेंसी को रेगुलेट करने के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट करने होंगे। बैंक विनियमन पर हमारे सामने बेसल मानक एक मॉडल के रूप में है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने जीडीपी सेंट्रिक अप्रोच के बजाय मानव केन्द्रित विजन पर ध्यान आकर्षित कराया।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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