जो भी हो, जी20 का आयोजन भारत के इतिहास का वह पल है, जिसने भारत की नेतृत्व क्षमता को विश्व के सामने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया है। भारत इस क्षमता को इतने सशक्त ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम रहे
जी 20 के आयोजन को लेकर भारत ने जिस तरह की कुशलता, कूटनीति, अपनी विश्व दृष्टि और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया है, वह संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद जैसे उन मंचों के लिए भी एक सबक है, जो समय के थपेड़ों के बीच अपनी अवधारणागत त्रुटियों के कारण अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। भारत ने जी20 का सिर्फ भव्य या विशाल आयोजन नहीं किया है, बल्कि जी20 देशों को भी इस बात का अहसास कराया है कि विश्व मंच सिर्फ नेताओं के बीच संवाद के लिए नहीं होते, बल्कि वे जनता की भागीदारी, उसके संपर्क और संवाद का भी अवसर होते हैं। और यह कि संबंध सिर्फ सैनिक-आर्थिक या राजनीतिक नहीं होते, बल्कि संस्कृति भी उनका एक अनिवार्य अंग होती है।
यह न तो जिम्मरमन टेलीग्राम से प्रेरित गुप्त संधियों की तरह है और न ही ब्रेटन वुड्स सिस्टम से पैदा होने वाली विश्व व्यवस्था की तरह। यह समता, सभ्यता और समन्वय की विश्व व्यवस्था का एक परिचय है। विश्व व्यवस्था की प्रासंगिकता को बनाए रखने की दृष्टि से यह अनिवार्य है कि विश्व इस नव प्रयोग से कोई शिक्षा ग्रहण करे। विश्व के सामने अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की छत्रछाया के तहत बनाई गई कई संस्थाएं वास्तव में सिर्फ औपनिवेशिक युग की समाप्ति के बाद की यथास्थिति को संरक्षित करने भर का काम करती थीं।
भारत के अध्यक्षता काल के दौरान सभी मंत्रिस्तरीय बैठकेें बिना किसी विज्ञप्ति के पूर्ण हुईं, उससे भारत यह सुनिश्चित करने में बहुतांश सफल रहा है कि निर्णय सर्वसम्मति से हों। यह भारत की कूटनीतिक और नेतृत्व दक्षता का परिचायक है। वास्तव में नए युग में यह स्पष्ट है कि मानव जाति को राष्ट्रीय सीमाओं के आर पार सामंजस्य और सहकार की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा, अन्यथा आपूर्ति शृंखला में अवरोध जैसे विषय उत्पन्न होंगे। भारत ने जी20 के संचालन के जरिए यह दिखा दिया है कि विश्व व्यवस्था ऐसी भी हो सकती है, जो न तो किसी गुट की संख्या बल पर निर्भर हो, न सैन्य बल पर।
इतिहास गवाह है कि गरीब देशों को आवश्यकता अनुसार सहायता देने के लिए बनाई गई व्यवस्था भी घूम फिर कर आर्थिक वर्चस्वों के संरक्षण के लिए कार्य करती रही। इसमें भूख, महामारी और युद्ध जैसे मानवहंता विषय तक शामिल रहे। इसी प्रकार यह भी एक ऐतिहासिक तथ्य है कि विश्व में कुछ तनाव बिंदुओं को मात्र इस कारण जीवित रखा गया ताकि साम्राज्यवादी शक्तियों को वहां हस्तक्षेप करने का अवसर मिल सके। भले ही जी20 इन बिन्दुओं को सीधे संबोधित नहीं करता है, लेकिन वह एक नई राह जरूर दिखाता है। यही कारण है कि विश्व विकास, जलवायु परिवर्तन, महामारी और आपदाओं का सामना कर सकने की क्षमता जैसे कई मुद्दों पर परिणाम देने के लिए जी20 की ओर देख रहा है। यह वे विषय हैं जो पूरी मानवता को प्रभावित करते हैं।
निश्चित रूप से विश्व के समक्ष आज ऐसे भी विषय हैं, जो सैनिक संघर्षों से सीधे संबद्ध हैं, लेकिन जिस प्रकार भारत ने उनकी छाया जी20 पर नहीं पड़ने दी, जिस प्रकार भारत के अध्यक्षता काल के दौरान सभी मंत्रिस्तरीय बैठकेें बिना किसी विज्ञप्ति के पूर्ण हुईं, उससे भारत यह सुनिश्चित करने में बहुतांश सफल रहा है कि निर्णय सर्वसम्मति से हों। यह भारत की कूटनीतिक और नेतृत्व दक्षता का परिचायक है। वास्तव में नए युग में यह स्पष्ट है कि मानव जाति को राष्ट्रीय सीमाओं के आर पार सामंजस्य और सहकार की भावना के साथ आगे बढ़ना होगा, अन्यथा आपूर्ति शृंखला में अवरोध जैसे विषय उत्पन्न होंगे। भारत ने जी20 के संचालन के जरिए यह दिखा दिया है कि विश्व व्यवस्था ऐसी भी हो सकती है, जो न तो किसी गुट की संख्या बल पर निर्भर हो, न सैन्य बल पर।
विडंबना यह है कि जब भारत विश्व को नेतृत्व देने के ऐतिहासिक मोड़ पर है, तब भी भारत के भीतर की ही कुछ शक्तियों ने इस अवसर को अपनी क्षुद्र राजनीति का मोहरा बनाने का प्रयास किया है। देश की राजधानी के रखरखाव और साज सज्जा को लेकर जैसी राजनीति की गई है, वह हास्यास्पद और घृणित एक साथ है। जिस प्रकार अतीत में गणतंत्र दिवस की परेड के और मौके पर विजय चौक के पास धरना देकर एक पर्व को कलंकित करने और विदेशी मेहमानों के सामने भारत को नीचा दिखाने की चेष्टा की जा चुकी है, उसी मानसिकता के कारण दिल्ली के रखरखाव और सजावट को लेकर धन न होने का स्वांग रचा गया। क्या दिल्ली सरकार को फिर मेरठ रेल लाइन के विषय की तरह अदालत में अपमानित होने की प्रतीक्षा थी, जब उसने पैसा न होने का बहाना दिया था और अदालत ने उससे पूछा था उसने अपने विज्ञापन पर कितना खर्च किया है?
जो भी हो, जी20 का आयोजन भारत के इतिहास का वह पल है, जिसने भारत की नेतृत्व क्षमता को विश्व के सामने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया है। भारत इस क्षमता को इतने सशक्त ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम रहे, जिससे विश्व को वास्तव में उससे कुछ सबक मिल सके, हम सभी को यही कामना करनी चाहिए।
@hiteshshankar
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