उत्तराखंड : शिकारी तस्करों से मिल रहीं बाघ की खालें, क्या टाइगर रिजर्व में किया जा रहा है बाघों का शिकार?
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उत्तराखंड : शिकारी तस्करों से मिल रहीं बाघ की खालें, क्या टाइगर रिजर्व में किया जा रहा है बाघों का शिकार?

क्यों नही बनाई जा रही है टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स?

by उत्तराखंड ब्यूरो
Sep 8, 2023, 03:22 pm IST
in उत्तराखंड
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उत्तराखंड ब्यूरो | पिछले दो महीनो में पुलिस की एसटीएफ ने तीन बड़े बाघों की खाले और हड्डियां बरामद की है। बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार बाघों के शिकार करने का सिलसिला क्यों नही थम रहा?

एसटीएफ के साथ वन विभाग के अधिकारी भी इस अभियान में बाद में शामिल किए जाते है और वे बाघों को बिजनौर जिले में मारे जाने की बात कह रह अपना पल्ला झाड़ ले रहे है।

बिजनौर जिले के जिस जंगल में बाघों के शिकार किए जाने की बात प्रचारित की जाती है, दरअसल वो भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का अमानगढ़ वाला इलाका है या ये कहें कि वो यूपी का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व है। जब कोई ऐसी घटना टाइगर के शिकार की प्रकाश में आती है उत्तराखंड के वन अधिकारी इसे यूपी की घटना बता देते है, जबकि टाइगर रिजर्व जंगल एक ही है और बाघों के विचरने की कोई सीमा नहीं है वो कहीं भी आते जाते रहे है। उत्तराखंड कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारी कहते है कि हमारी सुरक्षा बेहद कड़ी है इसलिए यहां ऐसी वारदाते नही होती है। इसका अर्थ ये भी है  टाइगर का शिकार करने वाले यूपी के अमानगढ़ के रास्ते टाइगर रिजर्व में जाकर वारदात कर रहे है।जबकि अमानगढ़ यूपी के फॉरेस्ट अधिकारी इन खबरों को सिर्फ आरोप मानते है उनका कहना है कि ये बाघ कहां मारे जा रहे है और किस क्षेत्र के बाघ है ये  जंगल में लगे सीसीटीवी कैमरों से पता लगाया जा सकता है।

दिलचस्प बात ये है कि हर बाघ की जानकारी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में की जा रही सीसीटीवी  कैमरों की मॉनिटरिंग से पता लगाई जा सकती है और इसकी रिपोर्ट सामने नहीं लाई जाती और ऐसे में यूपी और उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व के अधिकारी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते है।

पूर्व में भी जब ऐसी घटनाए हुई थी तब भी चार बाघों के कॉर्बेट पार्क में मारे जाने की जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई थी वो जांच दबा दी गई।

हाल ही में राम नगर में एक बाघिन का इलाज चल रहा है उसपर तार का फंदा फंसा हुआ है ये बाघिन कॉर्बेट  पार्क के कालागढ़  डिविजन से रेस्क्यू कर के लाई गई थी। यानि ये स्पष्ट है कि बाघों के शिकारी उत्तराखंड के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में घात लगा कर बैठे हुए थे।

उत्तराखंड बाघों की मौत के मामलो में तीसरे स्थान पर है इस साल में ही पांच बाघ कॉर्बेट में और सात बाघ, कॉर्बेट से बाहर मरे है या मारे गए है ये वो बाघ है जिनके अवशेष मिले है बाघों के शिकार में मृतक बाघों की संख्या, खाल बरामदगी के समय ही गणना में आती है। बाघों की संख्या, जंगल के घनत्व की दृष्टि से देश में सर्वाधिक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में है।

नही बना पा रहे है टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के बावजूद वन विभाग टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की प्रक्रिया शुरू नही करवा पा रहा है।

बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के साथ साथ उत्तराखंड हाई कोर्ट भी टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाए जाने के लिए कई बार उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ, वन विभाग को कह चुका है।

2016 में मारे गए 5 बाघों की रिपोर्ट भी दबा दी गई, नही हुई सीबीआई जांच

13 मार्च 2016 को श्यामपुर पुलिस द्वारा बरामद बाघों की 5 खालों के संदर्भ में आज तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नही की गई, जबकि एनटीसीए को मालूम था कि उक्त बाघों की खाल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से ही शिकार करके निकाली गई थी।

हाई कोर्ट नैनीताल ने भी बाघों की मौतों की जांच सीबीआई से कराए जाने की सिफारिश की हुई है। किंतु इस और उत्तराखंड वन विभाग मौन साधे हुए है। अब फिर एक एक कर तीन खाले बरामद हो चुकी है और इस बार ये कह कर पल्ला झाड़ा जा रहा है कि बाघों की मौत बिजनौर में हुई है।

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