लंबी ऊहापोह के बीच अंततः आईसीसी विश्व कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम की घोषणा कर दी गई। टीम के चयन या संयोजन पर बहस की ज्यादा गुंजाइश नहीं है क्योंकि पिछले दो माह से संकेत मिल रहे थे कि अनुभव के साथ उभरते युवा खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह मिलेगी। टीम प्रबंधन और बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों के बीच महामंथन के बाद चोट से उबर रहे के. एल. राहुल व श्रेयस अय्यर सहित शुभमन गिल, ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव को विश्व कप की टीम में शामिल किया जाना सारे कयासों के दौर को थामने वाला साबित हुआ।
भारतीय टीम की घोषणा के दौरान कप्तान रोहित शर्मा और मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर ने उम्मीद जतायी कि सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध टीम का चयन किया गया है। उनके दावे सही भी माने जा सकते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि कुछ सीनियर चोटिल बल्लेबाजों को अंतरराष्ट्रीय मैच में उतारे बिना उन पर भरोसा किया जा सकता है ? क्या ईशान किशन व सूर्यकुमार जैसे दमदार बल्लेबाजों का सही समय पर उपयोग किया जाएगा ? मौजूदा भारतीय टीम प्रबंधन से इसकी उम्मीद कम ही नजर आ रही है। इसलिए शंका है कि इस टीम के दम पर भारत विश्व कप जीत भी सकता है। 2011 में पिछली बार भारत ने जब विश्व कप जीता था तो एक सशक्त टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (जो देश के सबसे चतुर कप्तान साबित हुए हैं) और कोच गैरी कर्स्टेन थे जो वर्तमान कप्तान (रोहित) व रणनीतिकार कोच (राहुल द्रविड़) से एकदम अलग थे। ठीक 2011 विश्व कप की तरह इस बार भी भारतीय टीम को घरेलू मैदानों पर खेलने का लाभ मिलेगा, जबकि हजारों दर्शक स्टेडियम में टीम का उत्साह बढ़ा रहे होंगे। लेकिन किस विपक्षी टीम के विरुद्ध और किस मैदान पर टीम संयोजन क्या होना चाहिए, इस मामले में धोनी व कर्स्टेन की सोच रोहित व द्रविड़ की जोड़ी से बहुत आगे थी। ये सबसे बड़ा अंतर है। अगर समय रहते इस अंतर को सही ढंग से पाटने की कोशिश की गई तो भारतीय टीम में विश्व चैंपियन बनने का माद्दा है, लेकिन अगर कप्तान व कोच टीम संयोजन (विशेषकर विकेटकीपर) को लेकर प्रयोग का दौर जारी रखेंगे तो फिर टीम से ज्यादा उम्मीद पालना बेइमानी होगी।
मध्यक्रम को लेकर संशय
कप्तान रोहित शर्मा के अनुसार भारतीय टीम में सात बल्लेबाज, चार गेंदबाज और चार ऑलराउंडरों को शामिल किया गया है। कागज पर टीम काफी बैलेंस दिख रही है। लेकिन बल्लेबाजी क्रम में नंबर चार और पांच पर खेलने कौन उतरेगा, यह अभी तय नहीं है। ठीक इसी तरह ईशान किशन और के एल राहुल के तौर पर दो विकेटकीपरों को टीम में शामिल किया गया है, लेकिन अंतिम एकादश में कौन होगा इसको लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। श्रेयस अय्यर, सूर्यकुमार, ईशान और के एल राहुल में से दो बल्लेबाजों को नंबर चार और पांच पर खेलना है, जबकि एक विकेटकीपिंग भी करेगा। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारतीय टीम 2007 विश्व कप में सेमीफाइनल तक का सफर तय नहीं कर सका था। इससे पहले वनडे टीम में बने रहने के लिए द्रविड़ को मजबूरी में 2003 विश्व कप में मध्यक्रम के बल्लेबाज के अलावा विकेटकीपर की भी भूमिका निभानी पड़ी थी। इस बात का संकेत इस बार भी देखने को मिल रहा है कि टीम प्रबंधन के एल राहुल को विकेटकीपर के तौर पर अंतिम एकादश में शामिल कर सकता है। राहुल का रिकॉर्ड वनडे मैचों में बहुत अच्छा रहा है, लेकिन अभी तो सच यही है कि चोट के कारण वह पिछले 8 माह से अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच नहीं खेल पाये हैं। अगर पुराने रिकॉर्ड के आधार पर राहुल टीम में आते हैं तो वर्तमान में शानदार फॉर्म में चल रहे ईशान की क्या गलती है ? इसी तरह, अगर पुराने रिकॉर्ड के आधार पर श्रेयस टीम में आते हैं तो वर्तमान में अच्छी फॉर्म में चल रहे सूर्यकुमार यादव की क्या गलती है?
श्रेयस भी चोट के कारण काफी समय से टीम से बाहर हैं। दूसरी ओर, सूर्यकुमार के बारे में कहा जाता है कि उनका वनडे में रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। क्रिकेट विशेषज्ञों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सूर्यकुमार एक समय में टी20 में देश के नंबर एक बल्लेबाज रह चुके हैं। पिछले टी20 विश्व कप में उन्होंने जो धमाल मचाया था कि उन्हें 360 डिग्री का बल्लेबाज करार दिया गया था। जिस सूर्या ने श्रीलंका के खिलाफ शतक के साथ अपने वनडे करियर की शुरुआत की और जो टी20 क्रिकेट का विश्व का नंबर एक बल्लेबाज हो, बेहतर फॉर्म में चल रहे वही सूर्या अपने देश में होने वाले विश्व कप में वनडे मैचों में बेहतर प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकते हैं ? इस स्थिति में अगले माह होने वाले विश्व कप में अपने पसंदीदा खिलाड़ी को शामिल करने के प्रयास को छोड़ टीम प्रबंधन को सर्वश्रेष्ठ एकादश का चयन करना चाहिए। नहीं तो हश्र पिछले 2019 विश्व कप की तरह ही हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। पिछली बार एक मजबूत टीम होने के बावजूद नंबर चार के विशेषज्ञ बल्लेबाज अंबाती रायडू को नजरअंदाज करने का खामियाजा भारतीय टीम भुगत चुकी है। इस बार उम्मीद है पिछली गलतियों से सबक लेकर रोहित शर्मा के अगुआई में भारतीय टीम अपने घर में होने वाले विश्व कप का फायदा उठाने की भरपूर कोशिश करेगी।
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