मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में मुस्लिम आबादी के बीच पकड़े जा रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज भारत के खिलाफ उस अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र का हिस्सा हैं, जिनके तार सीधे तौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब समेत खाड़ी देशों के नेटवर्क से जुड़े हैं। कालिंग जिहाद की शक्ल में सामने आ रहा पूरा खेल हवाला, टेरर फंडिंग से लेकर देश को तरह-तरह से आर्थिक चोट पहुंचाने का है। चौंका देने वाली बात है कि मुस्लिम नौजवानों के जरिए विदेश में बैठे उनके आका यह पूरा खेल रहे हैं और हिन्दुस्तान को तरह-तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस तरह के मामलों में आजमगढ़, मिर्जापुर की तरह यूपी में अभी तक जितने भी अपराधी पकड़े गए हैं, वे सभी मुस्लिम हैं और आगे लिए बड़े खतरे की घंटी बजाने वाले हैं।
कॉलिंग जिहाद की तरह मुस्लिम देशों से काम कर रहा नेटवर्क
तकनीकी जानकार अवैध टेलीफोन एक्सचेंज को कॉलिंग जिहाद के नजरिए से इसलिए भी देख रहे हैं, क्योंकि इस पूरे मॉड्यूल का नेटवर्क भारत विरोधी षडयंत्रों के लिए बदनाम मुस्लिम देशों से जुड़ा है। इसे मुरादाबाद में सामने आए उस मामले से समझा जा सकता है, जिसमें थाना भगतपुर इलाके का रहने वाला अनपढ़ कादिर हेयर कटिंग का काम करने दुबई गया था। दुबई में वह बांग्लादेशी आका सईद चौधरी के संपर्क में आया और अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने की ट्रेनिंग लेकर भारत लौट आया। इसके बाद सईद चौधरी राजस्थान के छदम राहुल जैन के नाम से पार्सल भेजकर अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित करने का पूरा सामान भिजवाता था। हर महीने नए सिम और मशीनें मुरादाबाद में शाहिद के पास भेजी जाती थीं।
पार्सल रिसीव होने के बाद सईद चौधरी वीडियो कॉल कर शाहिद को मशीन लगाने का पूरा ज्ञान देता था। कादिर के साथ उसका बहनोई शाहिद भी गुनाह में शामिल था। जब तक पुलिस ने छापेमारी कर उन पर शिकंजा कसा, दोनों अवैध एक्सचेंज के जरिए सरकार को करोड़ों की चपत लगा चुके थे। बदले में उनको हर महीने दुबई से फंडिंग होती थी। कादिर से पूछताछ में सनसनीखेज सच सामने आया था। अफसरों के मुताबिक, सऊदी अरब में बैठा आका शाहिद चौधरी वहां काम करने वाले भारतीय मुस्लिमों से संपर्क बढ़ाता था। जो भी लालच में फंसा, वही उसे वह मोहरा बना लेता था और जरूरी ट्रेनिंग देकर वापस भारत भेज देत था। ऐसे लोगों के मोबाइल में ड्रीम ऐड डाउन लोड कराया जाता था। ऐप चलाने के लिए उन्हें पासवर्ड और आइडी भी प्रदान की जाती थी।
कॉलिंग क्रिमनिल का आका दुबई में छिपा बांग्लादेशी सईद चौधरी
मुरादाबाद में पिछले साल ऐसा ही एक और मामला पकड़ा गया था। पुलिस और एसओजी ने नईबस्ती आजादनगर स्थित एक मकान में छापा मारकर अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े अवैध टेलीफोन एक्सचेंस का खुलासा किया था। छापेमारी में डोमघर कुंदरकी के मोहम्मद कदीम और उसका छोटे भाई मोहम्मद मेहराज को गिरफ्तार किया गया था। पूरे नेटवर्क का मास्टर माइंड सऊदी अरब में मौजूद सईद चौधरी ही था। किराए के मकान में चलाए जा रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज में रेड के बाद मौके से भारी मात्रा में कैश, सात सिम बॉक्स (यूसी2000) गेट-वे, दो लैपटॉप, जिओ फाइबर बाक्स (वाईफाई एसएसआईडी), एक राउटर, 13 केबल, आठ नेटवर्किंग केबल, 45 स्पाइरल एंटीना, जेट किंग कोर्स की एक किताब, एक डायरी, तीन मोबाइल सेट, नौ एटीएम, 508 सिम कार्ड बरामद हुए थे।
पूछताछ में पता लगा था कि बांग्लादेशी सईद चौधरी दोनों भाईयों को पैसे भेजता था। गिरफ्तार मोहम्मद कदीम पिछले साल मार्च में सऊदी अरब गया था और वहां सईद चौधरी के संपर्क में आ गया था। सईद के कहने पर वह मुरादाबाद आकर भाई मेहराज के साथ अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने लगा था। उन्होंने काशीपुर (उत्तराखंड) में रहने वाले अपने भांजे मोहम्मद जोहरा उर्फ सरफराज से सामान मंगवाया था। उनके पास भी जो पार्सल आए, उन पर छदम राहुल जैन, राजस्थान अंकित कर भेजा गया था। ये लोग विदेश में बैठे लोगों को सस्ती दर पर अंतरराष्ट्रीय कॉल की सुविधा उपलब्ध कराते थे। साढ़े छह रुपये की कॉल का खर्च महज 30-40 पैसे बैठता था। इसके लिए वह इंटरनेशनल कॉल को लोकल कॉल में परिवर्तित कर देते थे।
कानपुर में पकड़े गए तीन अवैध एक्सचेंज, सरगना मुंबई का शाहिद
पूर्व में कानपुर में भी तीन अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े जा चुके हैं। एटीएस की कार्रवाई में पकड़ा गया शाहिद मुंबई में बैठे नाजिम नसीम खान उर्फ नाजिम पटेल की मदद से नेटवर्क संचालित करता था। नाजिम ने शाहिद को कोरियर के जरिये लैपटॉप भेजे और उनमें एनीडेस्क रिमोट एप्लीकेशन अपलोड कराया था, जिसकी मदद से वह मुंबई से कानपुर में टेलीफोन एक्सचेंज पर नियंत्रण रखता था। शाहिद और नाजिम की मुलाकात मुंबई में हुई थी और वहां भी दोनों अवैध एक्सचेंज चलाते थे। 2017 में शाहिद मुंबई में अवैध एक्सचेंज चलाने के मामले में पकड़ा गया। जमानत पर बाहर आने के बाद उसने नाजिम की मदद से कानपुर में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर दिए थे। पूछताछ में पता लगा था कि एक्सचेंज से जुड़ी बातचीत सभी टेलीग्राम एप के जरिये करते थे। नाजिम कोरियर से सिमबॉक्स मशीनें, प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड, सभी उपकरण भेजता था। सुरक्षा एजेंसियों की आंख में धूल झोंकने के लिए शाहिद के बजाय मनीष शर्मा या अन्य व्यक्तियों के नाम से कोरियर भेजा जाता था। एक साल में इन लोगों ने डेढ़ करोड़ से ज्यादा का का चूना सरकार को लगा दिया था।
आजमगढ़-मिर्जापुर में एटीएस की कार्रवाई से फिर सामने आया सच
यूपी एटीएस ने आजमगढ़ और मिर्जापुर में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पर छापेमारी कर सात अपराधियों को गिरफ्तार किया है। मुरादाबाद और कानपुर की तरह इस रैकेट में भी सभी अपराधी मुस्लिम सामने आए हैं। कार्रवाई में सात सिम बॉक्स, 234 एक्टिवेटेड सिम, 9 नेपाली प्री एक्टिवेटेड सिम, 3 लैपटॉप, एक टैबलेट, एक सीपीयू, 21 राउटर मॉडम और 79 मोबाइल बरामद किया है। सभी अपराधियों पर धारा 420 व 120 बी के अलावा इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933, इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। राज्य के स्पेशल डीजी कानून – व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार को इस बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए मिर्जापुर के मुन्ना कुरैशी उर्फ आसिफ, आजमगढ़ के नदीम अहमद, बसर खां, शमीम, कलीम अहमद और फारुख करीम को गिरफ्तार कर लिया। नदीम के खिलाफ 2019 में भी अवैध ऐक्सेंज चलाने का केस प्रयागराज में दर्ज है।
आजमगढ़ के हवाला कनेक्शन गहरे, दुबई से सामने आ चुके कनेक्शन
अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में एटीएस की कार्रवाई से पहले आजमगढ़ के हवाल कनेक्शन भी सामने आ चुके हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी कर हवाला मामले में आजमगढ़ के 7 मुस्लिम अपराधियों को पूर्व में गिरफ्तार किया था। इनमें अब्दुल हलीम के पास से 5.50 लाख कैश बरामद हुआ था। हलीम से पूछताछ में पता लगा था कि उसका मौसी का लड़का साकिब दुबई में रहता है। वहां उसे आफताब मिला था। आफताब ने फोन कर कहा था कि कुछ लोगों से कैश प्राप्त करना है। छानबीन में जानकारी सामने आई कि खाड़ी देशों में नौकरी कर रहे तमाम लोग वहां की मुद्रा दिनार, दिरहम, रियाल जुटा लेते हैं और उससे सोना खरीद कर तस्करी करते हैं। इस तरह भारत को दो तरीके से आर्थिक नुकसान पहुंचाया जाता था। पहला तो ये कि भारत में विदेशी मुद्रा नहीं आ पाती और दूसरे खरीदे गए गोल्ड की पूरे एशिया में तस्करी की जाती है। जांच में आजमगढ़ से राष्ट्र विरोधी ताकतों के लिए विदेशी फंडिंग की जानकारी भी सामने आती रही हैं। धर्म के नाम पर पैसा जुटाया जाता है। इसके सबूत पीएफआई सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों को मिल भी चके हैं। यही वजह है कि आजमगढ़ में बड़ी संख्या में मदरसे और मस्जिदें भी बनाई गई हैं। प्रतिबंधित सिमी संगठन की जड़ें भी आजमगढ़ में काफी गहरी रही हैं।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बोले, यूपी के मामले पूरे देश के लिए खतरे की घंटी
उत्तर प्रदेश के शहरों में एक के बाद एक अवैध टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े जाने के मामले को राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह पूरे देश के लिए खतरी की घंटी मानते हैं। पांञ्चजन्य से बातचीत में पूर्व डीजीपी ने कहा कि इंटरनेशनल कॉल्स को डायवर्ट कर लोकल कॉल में बदल दिए जाने से उनकी मॉनीटरिंग करना उतना आसान नहीं होता। क्योंकि यह पूरा नेटवर्क मुस्लिम और खाड़ी देशों से की जाने वाली कॉल पर टिका है, इसलिए खतरा और बढ़ जाता है। ऐसी परिवर्तित कॉल्स को ट्रेस कर पाना आसान नहीं होता। एजेंसियां जब तक एक रैकेट को बेनकाब कर शिकंजा कसती हैं, अपराधी देश का करोड़ों-अरबों का नुकसान कर चुके होते हैं। इसलिए भारतीय सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों के लिए चुनौती और बढ़ गई है। अब जरूरत इस बात की है कि जांच एजेंसियां तह में जाकर पूरे क्रिमिनल नेटवर्क को ध्वस्त करें और वर्तमान के साथ भविष्य के लिए पैदा हो रहे खतरे का खात्मा करें।
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