अमेरिका में चीन के जासूसों की घुसपैठ की हद तक हो चुकी है इसका खुलासा करती एक रिपोर्ट ने अमेरिकी विशेषज्ञों के माथे पर बल डाले हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, चीन पिछले कई साल से अपने जासूसों को ‘पर्यटकों’ के रूप में भेजकर अमेरिका के राज मालूम करता आ रहा है।
यह रिपोर्ट अमेरिका में इसलिए भी गंभीरता से ली जा रही है क्योंकि इसे उस देश के एक बहुत नामी अखबार ने विशेष तौर पर छापा है। वैसे, चीन पर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, अन्य कई देशों की जासूसी कराने का दोष कई बार लग चुका है, लेकिन वह हमेशा से ऐसे आरोपों से कन्नी काटता रहा है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन ऐसी हरकतें किसी भी हद तक जाकर कर सकता है।
अमेरिका से वैसे भी पिछले लंबे समय से चीन का छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। अमेरिका अपने यहां चीन के सारे हितों को खत्म करता जा रहा है, उसकी कई बड़ी कंपनियों को अपने यहां बंद कर चुका है। हुआवेई उनमें से एक बड़ा नाम है। कई चीनी अधिकारियों को प्रतिबंधित किया जा चुका है।
संभवत: चीन इन्हीं कारणों से अमेरिका पर विशेष नजर रखे हुए है। अखबार के अनुसार तो वह पिछले कई साल से ऐसी जासूसी करता आ रहा है। चीन द्वारा अपने जासूसों को पर्यटक के रूप में अमेरिका भेजना इधर के सालों में कुछ ज्यादा ही देखने में आया है। बताया जा रहा है ऐसे ‘पर्यटकों’ के मार्फत ड्रैगन अमेरिका की फौज, उसके अड्डों तथा दूसरे संवेदनशील ठिकानों की रेकी या जासूसी करवाता है।
चीनी जासूस अलास्का के सैन्य अड्डे में भी दाखिल होने की कोशिश की थी। वहां के पहरेदार ने उनको रोका तो चीन के उन लोगों ने बताया कि उनके पास अड्डे के अंदर वाले होटल में ठहरने का आरक्षण है। और वे इस तरह अंदर दाखिल होने में कामयाब हो गए। बताया गया है कि जासूसी की ऐसे अधिकांश मामले कम आबादी वाले देहाती इलाकों में हुए हैं।
अमेरिका के सुप्रसिद्ध अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) के अनुसार, चीन ने लंबे समय से चीनी ‘पर्यटकों’ के जरिए अमेरिका में जासूसी की है। और तो और, अखबार का मानना है कि ये काम आज भी किसी न किसी जगह चल रहा है। रिपोर्ट इसलिए भी विश्वसनीय लगती है क्योंकि इसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों को उद्धृत करके जानकारी दी गई है। अखबार कहता है, चीन ऐसे जासूसों के माध्यम से पिछले कुछ साल में सैकड़ों बार ऐसी हरकत की है। चीन किस तरह चोरी—छिपे अपनी करतूतों को करने में सफल रहा है, यह जानकर अमेरिकियों तक को हैरानी है।
एक उदाहरण के तौर पर रिपोर्ट बताती है कि गत वर्ष अमेरिकी रक्षा मंत्रालय, गुप्तचर एजेंसी एफबीआई तथा कुछ और गुप्तचर संस्थाओं की मंत्रणा हुई थी। उस बैठक में चीन या अन्य किसी देश की ओर से इस तरह से जासूसी किए जाने के कई मामलों पर बात हुई और इन पर लगाम कसने का सोचा गया था। उसी बैठक में एक हैरतअंगेज जानकारी दी गई थी कि एक बार चीन के ‘पर्यटक’ बिना किसी जांच के अमेरिका के सैन्य अड्डे के अंदर जा पहुंचे थे। चीन के ‘पर्यटक’ अमेरिकी मिसाइल रेंज में दाखिल हो गए थे जो न्यू मैक्सिको में स्थित है। वे स्कूबा डाइविंग की आड़ में फ्लोरिडा के रॉकेट प्रक्षेपण स्थल में जा घुसे थे।
ऐसे और अन्य कई छुपे तरीकों से चीन के जासूसों अपने मकसद पूरे करते आ रहे हैं। सैन्य अड्डों के अंदर जो मैक डॉनल्ड्स अथवा बर्गर किंग के स्टोर होते हैं, चीन के लोग गूगल नक्शे के सहारे इन स्टोर में पहुंच बनाते रहे हैं। लोग सोचते हैं कि शायद वे बर्गर खाने आए होंगे लेकिन असल में वे गुपचुप वहां की रेकी करके लौट जाते हैं।
अखबार की रिपोर्ट आगे बताती है कि चीनी जासूस अलास्का के सैन्य अड्डे में भी दाखिल होने की कोशिश की थी। वहां के पहरेदार ने उनको रोका तो चीन के उन लोगों ने बताया कि उनके पास अड्डे के अंदर वाले होटल में ठहरने का आरक्षण है। और वे इस तरह अंदर दाखिल होने में कामयाब हो गए। बताया गया है कि जासूसी की ऐसे अधिकांश मामले कम आबादी वाले देहाती इलाकों में हुए हैं।
समाचार पत्र वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि जासूसी के ये मिशन अमेरिका से जुड़ी हर खुफिया जानकारी बीजिंग में बैठी अपनी सरकार तक पहुंचा रहे हैं। हैरानी की बात यह भी है कि इस रिपोर्ट पर अमेरिका के रक्षा मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय से की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया मांगने पर चुप्पी साध ली गई। इस पर कुछ भी कहने से इनकार करने को लेकर वहां के पत्रकार भी हैरान हैं।
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