आज जी-20 जैसे ताकतवर समूह की अध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विश्वास दिलाया है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।
विश्व में सर्वाधिक तेज आर्थिक वृद्धि एवं सर्वोच्च निर्यात वृद्धि दर के साथ अब भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी व जापान को भी पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। आज जी-20 जैसे ताकतवर समूह की अध्यक्षता कर रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विश्वास दिलाया है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) के अनुसार, भारत 2025 में ही जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व में चौथे स्थान पर व 2027 में जापान को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर आ जाएगा।
नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले राष्ट्राध्यक्षों के बीच भारत जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था एक विशेष भूमिका में होगी। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ही भारत रूस, ब्राजील, इटली, फ्रांस व इंग्लैण्ड को पीछे कर पांचवें स्थान पर पहुंच चुका है।
भारत की सामर्थ्य का सिक्का
भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में सभी अंतरराष्ट्रीय अभिकृतियों व प्रमुख अध्येताओं के अत्यंत उत्साहवर्द्धक व समान आकलन हैं। जुलाई, 2023 के आई.एम.एफ. के विश्व आर्थिक आउटलुक अपडेट में तो अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के इस वित्तीय वर्ष में 6़1 प्रतिशत व कैलेंडर वर्ष 2023 में 6़ 6 प्रतिशत और अगले वित्तीय वर्ष में 6़ 3 प्रतिशत व कैलेण्डर वर्ष 2024 में 5़ 8 प्रतिशत से बढ़ेगी। दूसरी ओर 2023 में जर्मन अर्थव्यवस्था 0़ 3 प्रतिशत घटेगी और 2024 में भी मात्र 1़ 3 प्रतिशत ही बढ़ पाएगी। जापानी अर्थव्यवस्था में इस वर्ष 1़ 4 प्रतिशत और 2024 में मात्र एक प्रतिशत वृद्धि के ही अनुमान हैं।
एक वर्ष पहले तक सभी दिग्गज वित्तीय संस्थानों का अनुमान था कि भारत 2030 तक ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाएगा। लेकिन अब आई.एम.एफ. की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत 2027 में ही यह उपलब्धि अर्जित कर लेगा। भारतीय स्टेट बैंक की शोध इकाई ‘इकोरैप’ के भी 27 जुलाई के प्रतिवेदन के अनुसार भारत 2027 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और भारत की जीडीपी 5़15 ट्रिलियन डॉलर के स्तर से अधिक होगी।
वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद
विश्व आर्थिक परिदृश्य के संबंध में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी प्रतिवेदन के अनुसार तो भारत 140 देशों को पीछे छोड़कर आज विश्व में सबसे आगे पहुंच गया है। इसी प्रकार इनवेस्को ग्लोबल की रिपोर्ट में स्वतंत्र संपत्ति कोष (सॉवरेन वेल्थ फंड) के निवेश को लेकर विश्व के 142 मुख्य निवेश अधिकारियों ने भारत को निवेश के लिए उनकी पहली पसंद बताया है।
भारत की आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिरता और तकनीकी सामर्थ्य के प्रति विश्व की धारणा को अत्यंत बेहतर बनी है। देश के राजकोषीय घाटे में कमी और राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के साथ भारत की विशाल कार्यशील जनसंख्या, बेहतर तकनीकी सामर्थ्य, प्रभावी नियामकीय पहल और स्वतंत्र निवेशकों का अनुकूल मत आज भारत को विश्व में निवेश की पहली पसंद बना रहा है। निवेश के लिए अब चीन नहीं, भारत निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है। जी-20 के सदस्य चीन के लिए यह स्थिति निश्चित ही कष्टकारी होगी। निवेशक बैंक गोल्डमैन सैक के अनुसार भारत 2075 तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
बुनियादी संरचना विकास में कीर्तिमान
देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने में बुनियादी संरचना विकास की अहम भूमिका रही है। पिछले नौ वर्ष में उन्नत बुनियादी ढांचे के निर्माण पर देश में करीब 34,00,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके अतिरिक्त कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए भी भारत रणनीतिक स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में हाल में पारित जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 भी अहम सिद्ध होगा।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी प्रतिवेदन के अनुसार तो भारत 140 देशों को पीछे छोड़कर आज विश्व में सबसे आगे पहुंच गया है।
बढ़ती आय व मांग का प्रभाव
भारत के सतत व टिकाऊ विकास और कारोबार विस्तार की द्रुत गति में आज 60 प्रतिशत से अधिक योगदान, हमारी बढ़ती घरेलू मांग, आय में वृद्धि और ढांचागत सुविधाओं में बढ़ते निवेश का है। भारत का शेयर बाजार 3़3 ट्रिलियन डॉलर (290 लाख करोड़ रु.) के बाजार पूंजीकरण के साथ आज विश्व का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है। देश में निरंतर बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रयशक्ति और मजबूत राजनीतिक नेतृत्व के कारण भी भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, देश की प्रशिक्षित प्रतिभाएं और विश्व में उच्च प्रौद्योगिकी और डिजिटल कारोबार का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
सुनियोजित आर्थिक रणनीति
भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में प्रमुख योगदान हमारी निवेश वृद्धि की 33 प्रतिशत की वास्तविक दर का है। हमारा चालू खाता घाटा भी आज कम हो रहा है। चालू खाते में कमी में हमारी बढ़ती सेवाओं के निर्यात का बड़ा योगदान है। हमारी बड़ी जनसंख्या का जनसांख्यिकीय लाभांश, हमारी घरेलू मांग, बचत व निवेश बढ़ाने में काम आ रहा है। ई़ वाई. के अनुसार भारत सरकार की नीतियां यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सफल रही है। इसमें मोदी सरकार की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का भी बड़ा योगदान है। भारत आर्थिक निष्पादन के अन्य सभी मापदंडों जैसे अर्थव्यवस्था की समग्र ऋणग्रस्तता पर भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, जो कि जीडीपी के लगभग 83 प्रतिशत से काफी कम है। दूसरी ओर जापान की जीडीपी में सबसे बड़ा ऋण 160 प्रतिशत ऋण अनुपात और चीन का 270 प्रतिशत के करीब ऋण अनुपात है। जर्मनी का भी लगभग 190 प्रतिशत ऋणानुपात है।
चौथी औद्योगिक क्रांति का केंद्र
सूचना प्रौद्योगिकी (आई़ टी़), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स या ए़ आई़) क्वाण्टम कम्प्यूटिंग, मेकाट्रॉनिक्स आदि में भारत का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान होने के साथ ही, भारत इस क्षेत्र की विश्व की अग्रणी शक्ति बन रहा है। ए़ आई. का 2030 तक विश्व की अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष योगदान 300 खरब डॉलर अर्थात 30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का होगा। इस आर्थिक संवृद्धि का अधिकतम लाभ ए़ आई़ में अग्रणी देशों को ही मिल सकेगा। ए.आई. का उपयोग कृषि, रोग निदान, चिकित्सा, अन्तरिक्ष विज्ञान, रक्षा, आन्तरिक सुरक्षा, व्यावसायिक प्रबंध, भाषा विज्ञान, आर्थिक नियोजन व प्रबंध आदि अनेक क्षेत्रों में किया जाता है। भारत ने 2022 में ए.आई. स्टार्टअप्स में पिछले वर्षों में दक्षिण कोरिया, जर्मनी, कनाडा और आस्ट्रेलिया जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।
अब अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और इस्राएल ही भारत से आगे हैं। इस वर्ष भारत इस्राएल व ब्रिटेन को एआई स्टार्टअप्स में पीछे छोड़ देगा। ए.आई. में अनुसंधान, स्टार्टअप्स एवं निवेश की दृष्टि से भारत आज भी विश्व के प्रमुख पांच राष्ट्रों में है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के वार्षिक सर्वेक्षण में ए.आई. स्टार्टअप्स में निवेश प्राप्तकर्ताओं में भारत विश्व के पांच शीर्ष देशों में है। इस वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार 2022 में ए.आई. आधारित उत्पादों एवं सेवाओं की पेशकश करने वाले स्टार्टअप्स द्वारा प्राप्त निवेश प्राप्ति के मामले में भारत विश्व के पांचवें स्थान पर पहुंच गया था।
नीति आयोग ने ए.आई. की राष्ट्रीय रणनीति में सर्वाधिक बल इस बात पर दिया है कि भारत विश्व की 40 प्रतिशत जनता के लिए ए.आई. का समाधान केंद्र बने। विश्व की अनेक बड़ी कंपनियां इस संबंध में अपने वैश्विक क्षमता केंद्रों की स्थापना भारत में ही कर रही हैं। विश्व के ऐसे 40 प्रतिशत केंद्र आज भी भारत में हैं।
नीति आयोग ने ए.आई. की राष्ट्रीय रणनीति में सर्वाधिक बल इस पर दिया है कि भारत विश्व की 40 प्रतिशत जनता के लिए ए.आई. का समाधान केंद्र बने। विश्व की अनेक बड़ी कंपनियां अपने वैश्विक क्षमता केंद्रों की स्थापना भारत में कर रही हैं।
उच्च पूंजी निर्माण दर
तेजी से बढ़ते सरकारी निवेश से उच्च पूंजी निर्माण दर भी हमारी द्रुत आर्थिक वृद्धि का आधार है। बढ़ते निवेश से हो रहा रोजगार विस्तार देश में आय वृद्धि एवं मांग वृद्धि का बढ़ा साधन सिद्ध हुआ है। निवेश में वृद्धि से ही पिछले वित्त वर्ष में सकल स्थाई पूंजी निर्माण (ग्रॉस फिक्स्ड केपिटल फार्मेशन) में 11़ 4 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि हुई है। इस चालू वित्त वर्ष में भी पूंजीगत निवेश में 10 लाख करोड़ का प्रावधान है। विगत 3 वर्ष में निवेश में जो गति आई है, उससे निर्माण क्षेत्र में पिछले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
निवेश को उच्च प्राथमिकता
वर्तमान सरकार के शासन में लोक कल्याण पर व्यय की दृष्टि से समाज की आवास आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जो 15 करोड़ लोगों को 4 करोड़ मकान प्राप्त हुए हैं और 50 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत योजना में नि:शुल्क चिकित्सा सुलभ हुई, वह भी एक बड़ा कीर्तिमान है। शासकीय समर्थन से मकान नि:शुल्क चिकित्सा की सुलभता वाले लोगों की संख्या आस्ट्रेलिया की जनसंख्या की क्रमश: छह गुना व बीस गुना है। इस तथ्य को प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जून को अमेरिकी संसद में दिए अपने ऐतिहासिक उद्बोधन में भी उद्धृत किया था।
पिछले दिसम्बर माह से इस 9-10 सितम्बर के बीच जी-20 के अध्यक्ष भारत के तत्वावधान में विश्व कल्याण से जुड़े लगभग हर विषय पर अनेक सत्रों मंथन हुए हैं। इनमें सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ ही, क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ संगठनों की उपस्थिति दिखाती है कि भारत की अपील में एक खास ताकत आई है और वह विश्व को एक दिशा दिखाने की सामर्थ्य रखता है।
इस दृष्टि से, जहां पश्चिम की अर्थव्यवस्था आज चरमराती प्रतीत हो रही है वहीं भारत की आर्थिक स्थिति कहीं बेहतर है।
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि शेष जगत के लिए भी लाभकारी साबित होगा, ऐसा विश्व के अग्रणी देशों को विश्वास है।
लेखक-पैसिफिक विश्वविद्यालय समूह (उदयपुर) के अध्यक्ष-आयोजना व नियंत्रण
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