खालिस्तानी उग्रपंथियों की ‘रेफरेंडम’ के नाम पर 10 सितंबर को कोलंबिया में प्रस्तावित नई भारत विरोधी शरारत अब सरकार के दखल के बाद प्रतिबंधित कर दी गई है। खालिस्तानियों ने कोलंबिया के एक स्कूल में इस ‘जनमत संग्रह’ के आयोजन का दुष्प्रचार किया गया था। लेकिन अब इस पर सरकार ने लगाम कस दी है।
अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतों पर भारत की मोदी सरकार के कड़े रवैए के बाद उन देशों में सरकारें सख्त तो हुई हैं, लेकिन ये खालिस्तानी तत्व मौका देखकर बिलों से निकल आते हैं और ‘जनमत संग्रह’ आदि नाम से जहर फैलाने लगते हैं। कोलंबिया में प्रस्तावित ‘रेफरेंडम’ भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कथित इशारे पर इसी दिशा में एक कोशिश जैसी थी। इस ‘जनमत संग्रह’ के प्रचार के लिए खालिस्तानी उग्रपंथियों द्वारा जारी किए गए पोस्टर पर एके-47 की फोटो छापी गई थी।
अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा में खालिस्तानियों की भारत विरोधी हरकतों पर भारत की मोदी सरकार के कड़े रवैए के बाद उन देशों में सरकारें सख्त तो हुई हैं, लेकिन ये खालिस्तानी तत्व मौका देखकर बिलों से निकल आते हैं और ‘जनमत संग्रह’ आदि नाम से जहर फैलाने लगते हैं।
पता चला है कि कनाडा के सुरक्षा अधिकारियों ने इस खालिस्तानी ‘जनमत संग्रह’ के शगूफे के खिलाफ फौरन कदम उठाते हुए किसी स्कूल में उक्त आयोजन करने की पहले दी गई अपनी इजाजत वापस ले ली है। यानी अब 10 सितंबर को कोलंबिया में कोई खालिस्तानी ‘जनमत संग्रह’ जैसा जमावड़ा नहीं किया जा सकता। जिस स्कूल में इसे आयोजित करना था उसके एक अधिकरी के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए किए गए करार का खालिस्तानियों ने उल्लंघन किया था, यही वजह है कि प्रशासन ने अब इसकी अनुमति वापस ले ली है। इस आयोजन के खालिस्तानी पोस्टर में एके 47 के साथ ही, उस स्कूल की फोटो भी छाप दी गई थी।
प्रवासी भारतीयों को यह देखकर गुस्सा आ गया था कि स्कूल के चारों तरफ खालिस्तानी उग्रपंथी तलविंदर सिंह के पोस्टर चिपकाए गए थे। तलविंदर एयर इंडिया की उड़ान 182सी में जिहादी बम हमले का साजिशकर्ता बताया जाता है। यह घटना 23 जून 1985 को हुई थी जिसमें 329 मासूम लोगों की मौत हुई थी।
इसी स्कूल के सभागार को ‘खालिस्तान रेफरेंडम’ के लिए लिया गया था। इस चीज का पता चला तो वहां रहने वाले अनेक प्रवासी भारतीयों ने स्कूल को इस भारत विरोधी नफरती काम के लिए इस्तेमाल किए जाने पर स्कूल के बोर्ड के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। प्रवासी भारतीयों को यह देखकर गुस्सा आ गया था कि स्कूल के चारों तरफ खालिस्तानी उग्रपंथी तलविंदर सिंह के पोस्टर चिपकाए गए थे। तलविंदर एयर इंडिया की उड़ान 182सी में जिहादी बम हमले का साजिशकर्ता बताया जाता है। यह घटना 23 जून 1985 को हुई थी जिसमें 329 मासूम लोगों की मौत हुई थी।
कनाडा की ‘इंडो-कैनेडियन वर्कर्स एसोसिएशन’ द्वारा भी इस ‘रेफरेंडम’ को न करने देने की अपील स्कूल बोर्ड से की गई थी। कनाडा के ही सरे शहर में रह रहे प्रवासी भारतीयों ने अपने पत्र में पोस्टर पर एके-47 की फोटो का उल्लेख करते हुए कहा कि स्कूल बोर्ड, सरे और स्थानीय सरकार ऐसे कार्यक्रम के जरिए खुलेआम हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, ये अभिभावकों को बताएं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। आखिरकार सरकार पर ऐसा दबाव पड़ा कि खालिस्तानियों की शरारत की भारत विरोधी इस हरकत पर लगाम कसी गई।
टिप्पणियाँ