चाहे सरस्वती पूजा हो, रामनवमी, दुर्गा पूजा, काली पूजा, छठ पूजा या फिर नागपंचमी हर उत्सव पर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया जाने लगा है। जिहादी तत्व कुछ न कुछ बहाना बनाकर हिंदुओं पर हमले करते हैं। बिहार के आम हिंदुओं की राय यह है कि जिहादियों का दुस्साहस महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) की सरकार बनने के बाद बढ़ा है।
आप मानें न मानें, लेकिन बिहार में जो हो रहा है, वह न तो इस राज्य के लिए ठीक है और न ही देश के लिए। कहीं पुलिस अधिकारी की हत्या हो रही है, कहीं किसी सरकारी अधिकारी को उसके कार्यालय में पीटा जा रहा है। कहीं ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लग रहे हैं। लव जिहाद चरम पर है। इन सबके बीच जिस तरह जिहादी तत्व राज्य में सिर उठा रहे हैं, उसे देखकर हैरानी होती है। लेकिन यह सब राज्य सरकार को वोट के लिहाज से ‘अच्छा’ लग रहा है। इसलिए दंगाइयों और अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है। यदि होती है, तो पक्षपात के साथ। इस कारण स्थिति यह हो गई है कि बिहार के हिंदू अपना कोई भी पर्व शांति से नहीं मना पा रहे हैं। चाहे सरस्वती पूजा हो, रामनवमी, दुर्गा पूजा, काली पूजा, छठ पूजा या फिर नागपंचमी हर उत्सव पर श्रद्धालुओं को निशाना बनाया जाने लगा है। जिहादी तत्व कुछ न कुछ बहाना बनाकर हिंदुओं पर हमले करते हैं। बिहार के आम हिंदुओं की राय यह है कि जिहादियों का दुस्साहस महागठबंधन (जदयू, राजद और कांग्रेस) की सरकार बनने के बाद बढ़ा है।
पश्चिमी चंपारण में जिहादियों का दुस्साहस दिखा। वहां 21 अगस्त को नूंह जैसी घटना की साजिश रची गई। हमलावरों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते हुए हिंदुओं पर हमले किए। यहां तक कि उन लोगों ने पुलिस बल को भी नहीं छोड़ा।
इस दुस्साहस का चरम पश्चिमी चंपारण में दिखा। वहां गत 21 अगस्त को नूंह जैसी घटना की साजिश रची गई। मुस्लिम हमलावरों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते हुए हिंदुओं पर हमले किए। यहां तक कि उन लोगों ने पुलिस बल को भी नहीं छोड़ा। पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण के चार स्थानों पर जिहादियों ने महावीरी शोभायात्रा पर हमला किया। इस कारण दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए। इनमें श्रद्धालुओं के साथ-साथ पत्रकार और पुलिस वाले भी शामिल हैं। पश्चिमी चंपारण (मोतिहारी) के मेहसी, कल्याणपुर और दरपा में शोभायात्रा पर पथराव हुआ। वहीं पूर्वी चंपारण (बेतिया) स्थित बगहा के रतनमाला में नागपंचमी के दिन महावीरी अखाड़े की शोभायात्रा पर हमला हुआ।
प्रशासन द्वारा निर्धारित मार्ग पर भी जिहादियों को आपत्ति थी। इसके बाद वहां हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया। मोतिहारी के मेहसी में हर वर्ष नागपंचमी के दिन शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। एक शिव मंदिर में अलग-अलग हिस्सों के महावीरी झंडे जमा होते हैं, फिर वहां से शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा मोगलपुरा होते हुए पुरानी मेहसी पहुंचती है। इसी रास्ते से जा रही शोभायात्रा पर मोगलपुरा में हमला किया गया। पत्थरबाजी से महावीर जी का मंडप भी क्षतिग्रस्त हो गया। यही भयानक तस्वीर दरपा के पिपरा गांव में भी देखने को मिली। नागपंचमी के अवसर पर यहां भी शोभायात्रा निकाली गई थी। जब शोभायात्रा पछियारी टोला पहुंची तो उस पर पत्थरबाजी की गई।
‘‘बिहार की स्थिति पाकिस्तान से भी बदतर हो चुकी है। गो-तस्कर पुलिस वालों की हत्या कर रहे हैं। 15 अगस्त को बेतिया के एक विद्यालय में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नारे लगाते हुए झंडा लहराया गया। जिन छात्रों ने इसका विरोध किया, उन्हें ही गिरफ्तार किया जा रहा है। सबको पता है कि नागपंचमी के दिन चंपारण में सभी हिंदू अपना झंडा बदलते हैं। इसके बावजूद झंडा खरीदने वालों को गिरफ्तार किया गया।’’ – संजय जायसवाल, सांसद
बगहा के रतनमाला में भी महावीरी अखाड़ा समिति द्वारा शोभायात्रा निकाली गई थी। जब शोभायात्रा बड़ी मस्जिद के पास पहुंची तो कुछ मुसलमानों ने इसका विरोध किया। वे लोग जुलूस को मस्जिद के पास से नहीं ले जाने की मांग कर रहे थे, जबकि प्रशासन ने इस मार्ग की अनुमति दे रखी थी। अभी प्रशासन संबंधित लोगों से बात कर रहा था कि शोभायात्रा में शामिल लोगों पर पत्थरबाजी होने लगी। पत्थरबाजी से बिहार पुलिस के सिपाही हरीश राम, होमगार्ड के सिपाही नगीना यादव के साथ ही अनेक लोग घायल हुए।
घटना के दूसरे दिन यानी 22 अगस्त को जिहादियों ने रतनमाला में भी पुलिस पर उस समय हमला किया, जब पुलिस अधीक्षक किरण कुमार जाधव के नेतृत्व में पुलिसकर्मी गश्त कर रहे थे। इन घटनाओं के संदर्भ में बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और बेतिया के सांसद संजय जायसवाल ने कहा, ‘‘बिहार की स्थिति पाकिस्तान से भी बदतर हो चुकी है। गो-तस्कर पुलिस वालों की हत्या कर रहे हैं। 15 अगस्त को बेतिया के एक विद्यालय में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ नारे लगाते हुए झंडा लहराया गया। जिन छात्रों ने इसका विरोध किया, उन्हें ही गिरफ्तार किया जा रहा है। सबको पता है कि नागपंचमी के दिन चंपारण में सभी हिंदू अपना झंडा बदलते हैं। इसके बावजूद झंडा खरीदने वालों को गिरफ्तार किया गया।’’
मुआवजे में भेदभाव
जहां कहीं भी कोई घटना होती है, तो बिहार सरकार पीड़ित हिंदुओं के विरुद्ध ही कार्रवाई करती है। मोतिहारी और बगहा की घटनाओं के बाद भी ऐसा ही हो रहा है। दोनों पक्षों के एक-एक दर्जन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। मोतिहारी में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनमें अधिकांश हिंदू हैं। यही नहीं, बिहार सरकार हिंदुओं की किसी शोभायात्रा के दौरान डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा देती है, वहीं मुहर्रम के जलूस में खुलेआम डीजे बजते हैं। इस वर्ष तो मुहर्रम के दौरान पूरे बिहार में कई भड़काऊ गाने भी बजाए गए। ‘मियां डरता नहीं है पुलिस थाने से’ जैसे गानों ने समाज में तनाव की स्थिति पैदा कर दी। इसके बावजूद न तो डीजे बजाने पर रोक लगी और न ही ऐसा गाना गाने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई। पिछले दिनों भागलपुर में विषहरी पूजा हुई। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी प्रतिमा विसर्जन के लिए श्रद्धालु निकले। उस दौरान डीजे पर धीमी आवाज में भक्ति गीत बज रहे थे, लेकिन इस पर भी पुलिस को आपत्ति हुई। उन्हें बजाने से रोका गया।
किसी हिंदू त्योहार में सुरक्षा की कोई खास व्यवस्था नहीं की जाती है। जबकि मुसलमानों के जुलूसों के समय पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए जाते हैं। नागपंचमी शोभायात्रा के दौरान भी पर्याप्त पुलिस बल नहीं था, वहीं दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव की एक यात्रा की सुरक्षा में पुलिस बल की भरमार थी। यही नहीं, लालू प्रसाद यादव को बारिश से बचाने के लिए एक पुलिस अधिकारी छाता लेकर घूम रहे थे। वरिष्ठ रंगकर्मी संजय सिन्हा कहते हैं, ‘‘बिहार में पुलिस पदाधिकारियों के पास नेताओं के लिए छाता पकड़ने का काम ही रह गया है। कानून-व्यवस्था तो भगवान भरोसे है।’’ पिछले दिनों रामनवमी शोभायात्रा पर एक दर्जन से अधिक स्थानों पर हमले हुए। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में भी दंगे हुए। इसमें दोनों पक्षों का नुकसान हुआ, लेकिन मुआवजा देने में भेदभाव किया गया। नालंदा जिला प्रशासन ने 77 लोगों को मुआवजा दिया। इनमें 60 मुसलमान हैं। इसे देखते हुए लोग कह रहे हैं कि बिहार सरकार हिंसा करने वालों को ही ‘पुरस्कृत’ करती है। ऐसे में बिहार को कौन बचाएगा?
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