सती प्रथा, बाल विवाह, रात में विवाह, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि इसी के परिणाम हैं, लेकिन अब समय बदल चुका है। स्त्रियां हर क्षेत्र में बड़ी भूमिकाएं निभा रही हैं।
गत दिनों जयपुर में ‘संवर्धिनी’ नाम से महिला महासम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें 2,000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। महासम्मेलन की मुख्य वक्ता और ‘महिला समन्वय’ की अखिल भारतीय सह संयोजिका भाग्यश्री साठे ने कहा कि स्त्री शक्तिस्वरूपा है, क्योंकि उसमें सृजन की क्षमता है। हमारी जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है, न कि पुरुष या स्त्री प्रधान। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में बहुत समय तक यह बहस चली कि स्त्री में आत्मा है या नहीं। इस भेदभाव के कारण स्त्री आंदोलन हुए, जिनमें बराबरी की मांग की गई।
यह नए संकल्पों के साथ उदीयमान भारत है। महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है। स्व का भाव जाग्रत हुआ है। वे शिक्षा से लेकर उद्योग तक, हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। महासम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांध दिया। कलाकार कविता राय का शिव तांडव मंत्र मुग्धकारी था तो लोक नृत्य ‘पधारो म्हारे देश’ राजस्थानी संस्कृति के भावों से ओत- प्रोत था।
इस्लामिक आक्रमणों के दौरान भारतीय समाज में भी कई विकृतियां आई। सती प्रथा, बाल विवाह, रात में विवाह, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि इसी के परिणाम हैं, लेकिन अब समय बदल चुका है। स्त्रियां हर क्षेत्र में बड़ी भूमिकाएं निभा रही हैं। चंद्रयान प्रक्षेपण टीम में भी महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी सुमित्रा शर्मा ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. मंजु शर्मा ने रखी। समापन सत्र की मुख्य वक्ता पुष्पा जांगिड़ ने कहा कि यह हमारा अमृतकाल है।
यह नए संकल्पों के साथ उदीयमान भारत है। महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है। स्व का भाव जाग्रत हुआ है। वे शिक्षा से लेकर उद्योग तक, हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। महासम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांध दिया। कलाकार कविता राय का शिव तांडव मंत्र मुग्धकारी था तो लोक नृत्य ‘पधारो म्हारे देश’ राजस्थानी संस्कृति के भावों से ओत- प्रोत था। मीराबाई और रानी हाड़ा पर प्रस्तुत नाटिका भी प्रेरक रही।
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