नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए यूनिवर्सिटीज कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) अनिवार्य नहीं है। केंद्र सरकार का ये रुख यूजीसी के उस रुख से अलग है, जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए सीयूईटी अनिवार्य है। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी दाखिले के मामले पर स्वायत्त रूप से फैसला कर सकते हैं। ऐसे में दाखिले के लिए सीयूईटी बाध्य नहीं है। केंद्र की इस दलील के बाद कोर्ट ने केंद्र और यूजीसी दोनों को इस मसले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 अगस्त को दिल्ली यूनिवर्सिटी के नवीनतम पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के परिणाम के आधार पर ही करने संबंधी नोटिफिकेशन पर नाखुशी जताई है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि जब दूसरे यूनिवर्सिटीज कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के रिजल्ट के आधार पर दाखिला दे रहे हैं तो दिल्ली यूनिवर्सिटी क्लैट के जरिये ही क्यों दाखिला ले रहा है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील मोहिंदर रुपल ने कहा था कि वो मामले का फैसला होने तक दाखिले के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं करेंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने इस मामले पर अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली यूनिवर्सिटी के नवीनतम पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के परिणाम के आधार पर करने संबंधी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंड प्रिंस सिंह ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी को अपने पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस में दाखिला कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) परीक्षा के स्कोर के आधार पर करना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने अंडरग्रेजुएट दाखिले सीयूईटी के स्कोर के आधार पर करने का निर्देश दिया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने बाकी सभी कोर्सेस के लिए सीयूईटी को आधार बना रही है लेकिन पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस के लिए क्लैट के स्कोर को आधार बना रही है। ऐसा करने से कुछ खास छात्रों को ही दिल्ली यूनिवर्सिटी के पांच वर्षीय कोर्ट में दाखिला मिल पाएगा।
गौरतलब है कि 26 जुलाई को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में पांच वर्षीय लॉ कोर्सेस के लिए साठ सीटों पर दाखिले की अनुमति दे दी थी। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि लॉ कोर्सेस में दाखिला क्लैट 2023 के स्कोर के आधार पर होगा। दिल्ली यूनिवर्सिटी के इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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