चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से पहले से पूर्व इस ऐतिहासिक घटना का असर शेयर बाजार पर दिखने लगा था। जिन कंपनियों की अंतरिक्ष के क्षेत्र में गतिविधियां हैं, उनके शेयर में उछाल आ गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र विश्व में सबसे तीव्र गति से बढ़ते हुए 100 अरब डॉलर के उद्योग का रूप ले रहा है। वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग की 2.5 की औसत वार्षिक वृद्धि की तुलना में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग 5 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 की सफलता भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पंख लगा देगी। अभी वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत का अंश 2.5 प्रतिशत है, जो इस दशक के अंत तक बढ़कर 10 प्रतिशत हो जाएगा। मौद्रिक दृष्टि से भारत का अंतरिक्ष उद्योग 12 अरब डॉलर का है, जो 2025 तक बढ़कर 20 अरब डॉलर तथा 2030 तक 120 अरब डॉलर यानी 10 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
चंद्रयान की सफलता से उछाल
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से पहले से पूर्व इस ऐतिहासिक घटना का असर शेयर बाजार पर दिखने लगा था। जिन कंपनियों की अंतरिक्ष के क्षेत्र में गतिविधियां हैं, उनके शेयर में उछाल आ गई। लार्सन एंड टूब्रो, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, भारत फोर्ज, लिंडे इंडिया, सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स, अवांटेल और एल एंड टी टेक्नोलॉजी सर्वे इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स जो अंतरिक्ष क्षेत्र में इंजीनियरिंग सर्विसेज व साल्यूशन की आपूर्ति के कारोबार से जुड़ी हैं, इन सभी ने 23 अगस्त को शेयर बाजार में 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर को छू लिया। सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स भी निवेशकों के लिए लाभदायक साबित हुआ। इसके शेयर 14 प्रतिशत की उछाल के साथ 1,643.45 रुपये एवं नेल्को के शेयर 8 प्रतिशत की उछाल के साथ 850.75 रुपये पर पहुंच गए। एल एंड टी, एल एंड टी टेक, वालचंदनगर इंडस्ट्रीज, भारत फोर्ज, अस्त्र माइक्रोवेव प्रोडक्ट्स, अवांटेल, लिंडे इंडिया, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, और एमटीएआर टेक्नोलॉजीज ने भी 0.3 से 5 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की।
भारत अपनी लागत कुशलता, तकनीकी उत्कृष्टता व प्रक्षेपण सेवाओं की विश्वसनीयता से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है
चंद्रयान-3 की सफलता से भारत को कई अन्य क्षेत्रों में बढ़त हासिल होगी। इनमें प्रमुख हैं-
प्रौद्योगिकीय आधुनिकीकरण: भारतीय उद्योग में नई तकनीकों और प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। यह स्थापित होगा कि भारत विकसित व उन्नत तकनीकी समाधानों के विकास में सक्षम है, जो उद्योग में नवाचार और विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
रोजगार के नवीन अवसर: नए उद्यमों व स्टार्टअप की शुरुआत होगी, जिससे रोजगार के स्रोत सृजित होंगे।
विज्ञान में शिक्षा व शोध को प्रोत्साहन: भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष शिक्षा, वैज्ञानिक शोध तथा अनुसंधान के लिए प्रेरित करेगी।
अंतरिक्ष उद्योग में तेज वृद्धि: भारतीय आंतरिक्ष उद्योग को गति मिलेगी। अब यह सिद्ध हो गया है कि भारत विश्व स्तर पर उच्च-तकनीकी अंतरिक्ष अभियानों को सफलतापूर्वक पूरा करने की क्षमता रखता है।
समग्र आर्थिक विकास को गति: भारतीय उद्योग में निवेश बढ़ने से आर्थिक विकास दर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निजी क्षेत्र को बढ़ावा
नई अंतरिक्ष नीति में निजी क्षेत्र को बड़ी भूमिका दी गई है। अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में स्टार्टअप की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नई भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 में गैर-सरकारी संस्थाओं या निजी कंपनियों या स्टार्टअप को देश में और देश से बाहर रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट सिस्टम स्थापित करने और उन्हें संचालित करने की छूट दी गई है। अब निजी कंपनियां और स्टार्टअप, दोनों ही अपने स्वामित्व वाले और बाहर से खरीदे गए या लीज पर लिए गए उपग्रहों को संचालित कर सकेंगे। इस क्षेत्र की उपलब्धियों को देखते हुए उद्यम पूंजीपति (वेंचर कैपिटलिस्ट) भी भारत के अंतरिक्ष-तकनीक क्षेत्र में लाभदायी निवेश के लिए उत्साहित हैं।
चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए कई नए व्यावसायिक अवसर उपलब्ध कराए हैं।अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बढ़ती साख भविष्य में संयुक्त उद्यमों को आकर्षित कर सकती है तथा भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप को दुनिया के लिए अंतरिक्ष प्रणालियों व उप-प्रणालियों के डिजाइन एवं निर्माण में भागीदार बनाएगी। हाल ही में इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। नई नीति निजी कंपनियों को अपनी अंतरिक्ष संपत्ति स्थापित करने की व्यापक स्वतंत्रता देती है।
भारत में निजी क्षेत्र द्वारा विकसित रॉकेट प्रक्षेपण की भी परंपरा स्थापित हो रही है। घरेलू एयरोस्पेस कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस इस दिशा में पहल कर चुकी है। ऐसे ही अंतरिक्ष विज्ञान को आगे बढ़ा रहे उद्यमियों की नई पीढ़ी भारत को निजी अंतरिक्ष-तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र में नए अवसर प्रदान कर रही है।
वर्तमान में देश में 140 से अधिक पंजीकृत अंतरिक्ष-तकनीकी स्टार्टअप हैं, जिनमें स्काईरूट, सैटश्योर, ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स जैसे कई स्टार्टअप शामिल हैं, जो उपग्रह-आधारित फोन सिग्नल, ब्रॉडबैंड, ओटीटी से लेकर वास्तविक दुनिया की उपयोगिता वाली तकनीक का विकास कर रहे हैं। ये 5जी से लेकर सौर फार्मों का संचालन तथा अन्य कई क्षेत्रों में अनुसंधान, संघटक विकास और उत्पादन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। इसमें अंतरिक्ष विज्ञान बाजार का बढ़ता पैमाना, आकार और 2022 में एक निजी रॉकेट व कई अन्य उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है। अब चंद्रयान-3 की सफलता अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उच्च निवेश को आकर्षित करेगी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में स्टार्टअप ईकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।
निजी-सार्वजनिक भागीदारीयुक्त वैश्विक केंद्र
भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 से अंतरिक्ष उद्योग में निजी भागीदारी से भारतीय अंतरिक्ष-तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा। इस दिशा में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र तथा इन एंड स्पेस-ई जैसी पहल पहले ही हो चुकी है। यह लागत-कुशल, अत्यधिक विश्वसनीय अंतरिक्ष-ग्रेड हार्डवेयर विकास, प्ररचना तथा उत्पादन को बढ़ावा देगा। साथ ही, हमारे उद्योग को अन्य देशों के चंद्र कार्यक्रमों सहित सभी प्रकार के अंतरिक्ष अभियान का आपूर्तिकर्ता बनने के लिए भी अवसर प्रदान करेगा। गूगल जैसी कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पहले से ही भारत के अंतरिक्ष तकनीक स्टार्टअप में व्यापक निवेश कर रही हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय साज-सामानों की मांग बढ़ेगी और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत से उत्पादों की सोर्सिंग की जाएगी।
स्टार्टअप व संयुक्त उपक्रमों को प्रोत्साहन
चंद्रयान-3 ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए कई नए व्यावसायिक अवसर उपलब्ध कराए हैं।अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की बढ़ती साख भविष्य में संयुक्त उद्यमों को आकर्षित कर सकती है तथा भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप को दुनिया के लिए अंतरिक्ष प्रणालियों व उप-प्रणालियों के डिजाइन एवं निर्माण में भागीदार बनाएगी। हाल ही में इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के बीच आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। नई नीति निजी कंपनियों को अपनी अंतरिक्ष संपत्ति स्थापित करने की व्यापक स्वतंत्रता देती है। अब गैर-सरकारी संस्थाएं अंतरिक्ष वस्तुएं जमीन-आधारित संपत्तियां स्थापित कर सकती हैं। सरकार द्वारा संबंधित सेवाओं जैसे संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन इत्यादि की स्थापना और संचालन के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में एंड-टू-एंड गतिविधियां करने की अनुमति दी जाएगी।
नई अंतरिक्ष नीति के अनुसार, उपग्रहों के एक समूह के माध्यम से अंतरिक्ष-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने पर गैर-सरकारी संस्थाएं स्व-स्वामित्व या खरीदे गए या जियोस्टेशनरी-नॉन जियोस्टेशनरी संचार उपग्रहों के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष आधारित संचार सेवाएं दे सकती हैं। नई नीति ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) और इसरो की वाणिज्यिक शाखा ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ को नई भूमिकाएं देकर उन्हें विस्तार देने के साथ स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। भारत अपनी लागत कुशलता, तकनीकी उत्कृष्टता, प्रक्षेपण सेवाओं की विश्वसनीयता से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी शक्ति बनने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी और अंतरिक्ष विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेकाट्रोनिक्स रिमोट सेन्सिग आदि अनेक क्षेत्रों में रोजगार भी सृजित हो सकेगा।
लेखक-पैसिफिक विश्वविद्यालय समूह (उदयपुर) के अध्यक्ष-आयोजना व नियंत्रण
टिप्पणियाँ