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होम भारत

चांद पर भी, चांद के पार भी

सामूहिक संकल्प की शक्ति से असंभव को संभव सिद्ध कर देना भारत के लिए बाएं हाथ का खेल है। भारत ने सिर्फ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर दिखाई, बल्कि विश्व का अग्रणी देश होने की अपनी इच्छा शक्ति को फिर जताया है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Aug 28, 2023, 08:16 am IST
in भारत, विश्लेषण, आजादी का अमृत महोत्सव
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चंद्रयान-3 की सफलता सिर्फ भारत के राष्ट्रीय गौरव बढ़ने की बात नहीं है। इस सफलता के कई निहितार्थ हैं, जिनमें से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला बहुत गहरा असर सबसे प्रमुख है। चंद्रयान-3 की सफलता देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के सपने के करीब लाने में मदद करेगा। अब चंद्रयान-3 की ही तरह भारत की अर्थव्यवस्था और आर्थिक समृद्धि भी आसमान को छूने के निकट आ गई है।

भारत चंद्रमा पर भी है और चंद्रमा के पार भी। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक मानव रहित यान उतारने वाला पहला देश बन गया। इसके अलावा भारत अब अमेरिका, चीन और सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश भी बन गया है। यह भी सभी जानते हैं कि चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा के अनछुए इलाके पर लैंडिंग करने के साथ ही भारत अंतरिक्ष अन्वेषण में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर आया है। चंद्रयान-3 की सफलता सिर्फ भारत के राष्ट्रीय गौरव बढ़ने की बात नहीं है। इस सफलता के कई निहितार्थ हैं, जिनमें से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला बहुत गहरा असर सबसे प्रमुख है। चंद्रयान-3 की सफलता देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के सपने के करीब लाने में मदद करेगा। अब चंद्रयान-3 की ही तरह भारत की अर्थव्यवस्था और आर्थिक समृद्धि भी आसमान को छूने के निकट आ गई है।

कैसे? किसी भी देश की अर्थव्यवस्था एक व्यक्ति या एक परियोजना पर निर्भर नहीं हो सकती। पूरे देश की अर्थव्यवस्था तभी प्रगति कर सकती है, जब पूरे देश का प्रयास उसमें निहित हो। चंद्रयान-3 इस शर्त पर पूरी तरह खरा उतरता है। कम से कम 1000 इंजीनियर और वैज्ञानिक तो प्रत्यक्ष तौर पर इस मिशन से पिछले चार वर्ष से जुड़े हुए थे। चंद्रयान-3 के उपकरणों और पुर्जों के निर्माण में बड़ी कंपनियों से लेकर सैकड़ों छोटी कंपनियां भी शामिल थीं। अगर इन कंपनियों की इस मिशन से जुड़ी मानव शक्ति को भी जोड़ लिया जाए, तो देश के कोने-कोने से इस मिशन में जुटी कुल कार्यशक्ति की संख्या कई हजार में बैठेगी।

विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत अधिक विश्वसनीयता प्रदान करने वाली है।

चंद्रयान-3 के आर्थिक प्रभाव पर बात करें, उससे पहले इस बिंदु को रेखांकित करना जरूरी है। भारत अगर ठान ले, नीयत, नीति और नेतृत्व का उसे साथ मिले, तो यह देश वह हर कार्य कर सकता है, जो शेष विश्व को असंभव लग सकता है। चंद्रयान-3 की सफलता से स्टार्टअप और अंतरिक्ष तकनीक, एयरोस्पेस और रक्षा जैसे क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के लिए एक बड़ा बदलाव आने जा रहा है। विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत अधिक विश्वसनीयता प्रदान करने वाली है।

ऐसे में निवेशक, विक्रेता, ग्राहक और बाहरी दुनिया के लोग अब भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को गंभीरता से लेंगे। यह सब उस भारत में होने जा रहा है, जहां पहले ही 140 पंजीकृत स्पेस-टेक स्टार्टअप हैं। इस सफलता के बाद इन स्टार्टअप्स को अधिक निवेश मिलने की उम्मीद है। बढ़ते अंतरिक्ष तंत्र को निकट भविष्य में ही बजटीय आवंटन भी बढ़ा हुआ मिलने की उम्मीद है। निश्चित रूप से इससे वैश्विक बाजार में अंतरिक्ष क्षेत्र के भारतीय स्टार्टअप्स का उद्यम चल पड़ेगा, जिसका प्रभाव आमदनी से लेकर तकनीकी प्रगति, रोजगार और शिक्षा सहित अनेक क्षेत्रों पर पड़ेगा।

चंद्रयान-3 की सफलता ऐसा ऐतिहासिक क्षण है, जो कदाचित जीवन में एक दो बार भी आता है, तो भी पूरे देश को एकजुट कर देता है, देश को आत्मविश्वास से भर देता है, भारत के युवाओं के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ा कई सीढ़ी ऊपर ले जाता है, उभरते क्षेत्रों और प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के लिए एक त्वरित मार्ग प्रशस्त कर देता है। दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का भारत का आत्मविश्वास सिर्फ एक घटना से ही जागृत हो जाता है।

भारत का वर्तमान अंतरिक्ष बाजार पिछले कुछ वर्षों से लगभग चार प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2040 तक 40 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है और एक सफल चंद्रयान-3 मिशन भारत को इस लक्ष्य को जल्द प्राप्त करने में मदद कर सकता है। इमेजिंग, नेविगेशन और पोजिशनिंग में उपग्रह डेटा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके कारण अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था तेजी से विस्तार कर रही है।

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 के बाद से 1,791 कंपनियों में 272 अरब डॉलर (22.53 लाख करोड़ रुपये) से अधिक के निजी इक्विटी निवेश के साथ तेजी से वृद्धि हुई है। वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य 2023 की दूसरी तिमाही में 546 अरब डॉलर (45.23 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया, जो एक दशक में 91 प्रतिशत की वृद्धि है।

चंद्रमा की सबसे दुर्गम सतह पर सफल लैंडिंग से निवेशकों का भी भारत के प्रति विश्वास काफी बढ़ेगा। ऐसा मिशन किसी ढुलमुल नीति और ढुलमुल स्थितियों में संभव नहीं होता। अर्थात् इस मिशन ने अपने आप ही भारत की सुदृढ़ता और स्थिरता का परिचय दुनिया को दे दिया है। किसी भी देश में अंतरराष्ट्रीय निवेश के बड़े प्रवाह को आकर्षित करने की यह सबसे अनिवार्य शर्त होती है। पहले ही भारत विश्व भर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला एक प्रमुखतम देश है। इससे भविष्य में बनने वाली स्थितियों का अनुमान लगाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी से नए स्टार्टअप, नए व्यवसाय और नौकरी के नए अवसर सामने आना निश्चित ही है। एक नया उद्यम चलने से आर्थिक विकास के साथ-साथ नवाचारों, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों को भी तीव्र बढ़ावा मिलेगा। नए बनते परिवेश में अधिक से अधिक छात्र एयरोस्पेस क्षेत्र की शिक्षा लेंगे और अंतरिक्ष-तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल होना चाहेंगे, जिससे भारत न केवल एक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में आगे बढ़ने में समर्थ होगा, बल्कि घरेलू स्तर पर भी हर स्तर के रोजगारों की दर में वृद्धि होगी। यह सफलता ‘मेक इन इंडिया’ ब्रांड को भी स्वाभाविक तौर पर बढ़ावा देगी और इससे घरेलू कंपनियों को भी विकास के अधिक अवसर मिलेंगे।

माना जाता है कि उपग्रह प्रणाली, दूरसंचार, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से जुड़े क्षेत्रों को आरंभिक स्तर पर ही इस मिशन का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। चंद्रयान-3 की सफलता से भारत का शेयर बाजार जिस तरह आसमान छूने लगा, वह इस मिशन के आर्थिक महत्व को रेखांकित करने वाला एक महत्वपूर्ण पक्ष है। मिशन की सफलता के तुरंत बाद अंतरिक्ष-क्षेत्र की 13 कंपनियों के शेयरों में तेजी आई और उनके बाजार मूल्य में 2.5 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि हुई। एक सफल लैंडिंग के साथ जुड़ा राष्ट्रीय गौरव और उत्साह भारत को आर्थिक मजबूती तो देगा ही, आम आदमी को रोजमर्रा के फायदे भी होंगे।

यह चंद्रमा के कई रहस्यों को उजागर करेगा जैसे कि चंद्रमा पर उपलब्ध जल की बेहतर समझ। इसके अतिरिक्त चंद्रयान-3 उन संसाधनों की भी खोज करेगा, जो चंद्रमा पर जीवन में उपयोगी हो सकते हैं। चंद्रमा पर जल का पक्ष भारी वैज्ञानिक अवसरों से भरा हुआ है। यदि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पानी के अधिक सबूत खोज लेता है, तो इससे पानी के अणुओं की हाइड्रोजन और आक्सीजन चंद्रमा पर स्वच्छ ऊर्जा का एक समृद्ध स्रोत बन सकते हैं। यह अन्वेषण भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है और स्टार्टअप उद्यमों के माध्यम से अंतरिक्ष उद्यमिता का द्वार खोल सकता है।

चंद्रयान-3 का मिशन 2019 में अंतिम क्षण की गड़बड़ी के कारण चंद्रयान-2 के असफल सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास का परिणाम है। इसी के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्र सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग का प्रदर्शन करने के लिए एक और चंद्र मिशन का प्रस्ताव दिया था। चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीयमिति अवलोकनों की जांच करने के लिए चंद्रयान-3 मिशन के प्रणोदन मॉड्यूल में स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री पेलोड है। चंद्रयान-3 की सफलता अंतरिक्ष तक भारत की पहुंच और जटिल अभियानों में उसके दृढ़ संकल्प की भी अभिव्यक्ति है। इससे चंद्रमा पर बुनियादी ढांचे के विकास की वैश्विक दौड़ में भी भारत एक अनुकूल स्थिति में आ जाता है।

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