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होम भारत तेलंगाना

तेलंगाना के सचिवालय परिसर में मस्जिद, मंदिर और चर्च

तेलंगाना सरकार तुष्टीकरण की राजनीति में सारी हदें पार कर चुकी है। अब उसने इसी वर्ष बने नए सचिवालय परिसर में सरकारी खर्चे से दो मस्जिद, एक मंदिर और एक चर्च का निर्माण कराया है।  

by अरुण कुमार सिंह
Aug 26, 2023, 11:24 am IST
in तेलंगाना
मस्जिद के उद्घाटन पर लोगों को संबोधित करते मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव

मस्जिद के उद्घाटन पर लोगों को संबोधित करते मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव

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प्रधानमंत्री बनने के सपने लेकर पूरे भारत में घूम रहे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को शायद ऐसा लग रहा है कि उनका यह सपना तुष्टीकरण की राजनीति के बाद ही पूरा होगा। इसलिए उन्होंने तेलंगाना के नए सचिवालय परिसर में दो मस्जिद, एक मंदिर और एक चर्च का निर्माण करवाया है। मंदिर 1,500 वर्ग फुट में बना है, जबकि दोनों मस्जिदों की जगह भी इतनी ही है। इनका उद्घाटन 25 अगस्त को वहां की राज्यपाल तिमिसिलाई सौंदरराजन की उपस्थिति में के. चंद्रशेखर राव ने किया। इससे पहले मंदिर में पूजा—पाठ हुआ। वहीं मस्जिद में इस्लामी रीति—रिवाज और और चर्च में ईसाई मत के अनुसार कुछ कार्यक्रम हुए।  

बता दें कि के.चंद्रशेखर राव ने 7 सितंबर, 2020 को उस समय इन धार्मिक स्थलों के निर्माण कराने की घोषणा की थी, जब पूरा राज्य कोरोना महामारी से ग्रस्त था। लोग मर रहे थे और राज्य सरकार पर आरोप लग रहे थे कि वह हालात को संभाल नहीं पा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने इन धार्मिक स्थलों के निर्माण की घोषणा की थी।
उसी समय भाजपा ने नए सचिवालय के डिजाइन का भी विरोध किया था। भाजपा नेता कृष्ण सागर राव ने कहा था कि नया सचिवालय निजाम—कालीन किसी मस्जिद की तरह लग रहा है।
दरअसल, तेलंगाना के पुराने सचिवालय को तोड़कर नए सचिवालय भवन का निर्माण कराया गया है। पुराने सचिवालय परिसर में एक मंदिर और दो मस्जिदें थीं। स्वाभाविक रूप से पुराने सचिवालय को तोड़ते समय मंदिर और मस्जिद को भी तोड़ा गया। इसके बाद मुसलमानों ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। प्रदर्शन के साथ ही सरकार पर दबाव डाला कि जहां मस्जिदें थीं, उन्हें वहीं बनाया जाए। मुसलमानों की मांग के आगे राज्य सरकार झुक गई और तय किया कि नए सचिवालय में भी मस्जिद और मंदिर होंगे। जब सरकार ने मंदिर और मस्जिद बनाने की बात कही तो ईसाई भी मांग करने लगे कि सचिवालय परिसर में चर्च भी बनना चाहिए। यही कारण है कि अब वहां मदिर, मस्जिद और चर्च भी बन गए हैं। वहां बनी दोनों मस्जिदों को राज्य वक्फ बोर्ड के अधीन कर दिया गया है। मस्जिदों के पास इमामों के लिए आवास भी बनाए गए हैं। यानी सचिवालय जैसे संवेदनशील स्थान पर 24 घंटे इमाम और उनके लोग रहेंगे।
लोगों का कहना है कि यह सब तुष्टीकरण की राजनीति है। लोग कह रहे हैं कि यदि किसी निर्माण के लिए सरकार किसी जगह का अधिग्रहण करती है तो वहां मौजूद घर या दुकान के लिए मुआवजा दिया जाता है। वहीं लोगों को घर या दुकान बनाकर नहीं दिया जाता है, लेकिन तेलंगाना सरकार ने नियम—कानून को ताक पर रखकर केवल मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए सचिवालय परिसर में मस्जिदों का निर्माण करा दिया। यह बहुत ही गलत परिपाटी है। कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि यदि पुराने सचिवालय परिसर में केवल मंदिर होता तो उसे बेहिचक तोड़ दिया जाता। सरकारी जमीन बताकर उसके लिए मुआवजा भी नहीं दिया जाता।
यह भी बता दें कि 2020 में जब मस्जिद बनाने की घोषणा हुई थी उसी समय तेलंगाना सरकार ने मजहबी संस्था ‘अनीस उल गुर्बाह’ को अनुदान के रूप में बड़ी रकम दी थी। इसके साथ ही हैदराबाद में एक इस्लामिक सेंटर बनाने और लगभग 200 नए कब्रिस्तान बनाने की भी बात कही थी।
उल्लेखनीय है कि इस समय देश के अनेक हिस्सों में मुसलमान कह रहे हैं कि पुराने कब्रिस्तानों में मुर्दा दफनाने के लिए जगह नहीं बची है। इसलिए उनके लिए नए कब्रिस्तान बनने चाहिए। लोग मान रहे हैं कि यह जमीन जिहाद के अलावा और कुछ नहीं है। मुसलमान कब्रिस्तान के नाम पर देश की हजारों एकड़ जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं।

Topics: Telangana NewsMosque and Church in the Secretariat Complexbreaking news telangana
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