देहरादून। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरुस्कार ” एक था गांव” को दिए जाने की घोषणा हुई है। यह फिल्म उत्तराखंड में पहाड़ों से हो रहे पलायन के दर्द को दर्शाती है।
इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन देवभूमि की युवा सृष्टि लखेड़ा ने किया है। सृष्टि मूलतः टिहरी कीर्तिनगर सेमला गांव की निवासी हैं। उनके पिता ऋषिकेश में डेंटिस्ट हैं। पिछले 13 सालों से सृष्टि मुंबई और उत्तराखंड में फिल्म मेकिंग के काम में जुटी हुई हैं।
एक था गांव फिल्म में अस्सी साल की वृद्ध मां लीलादेवी और किशोरी ढोली की कहानी है। कभी गांव में चालीस से अधिक परिवार रहते थे, अब वहां पांच परिवार भी नहीं हैं। घरों में ताले लटके हुए हैं। इस कथानक को बहुत भावुकता के साथ फिल्म में दर्शाया गया है। सृष्टि ने वृत्त चित्र बनाने के साथ फिल्म अभिनय में भी महारथ हासिल की है।
मुख्यमंत्री धामी ने दी शाबाशी
एक था गांव फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कार से सम्मानित किया जाने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन और निर्देशन का जिम्मा संभालने वाली सृष्टि लखेड़ा को शाबाशी दी।
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