इंग्लैंड में वहां की सेना और सरकार ने एक सुखद निर्णय लिया। वहां के नेशनल आर्मी म्यूजियम में दुनिया के पहले विश्व युद्ध में भारत के सैनिकों की बहादुरी का सम्मान करते हुए उसकी झलक दर्शायी गई है। उल्लेखनीय है कि उस लड़ाई में पश्चिमी मोर्चे पर फिलिस्तीन अभियान में शाही रिजर्व के तौर पर भारतीय सैनिकों ने गजब की जंग लड़ी थी। उस युद्ध में भारत के करीब 14 लाख सैनिक लड़े थे।
दरअसल नेशनल आर्मी म्यूजियम में नई प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाया गया है। लंदन में मौजूद नेशनल आर्मी म्यूजियम ऐतिहासिक चित्रों, कलाकृतियों, कारीगरी के नमूनों, दस्तावेजों और शौर्य पदकों के जरिए भारतीय सैनिकों का गौरवगान कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शनी भारत की राजधानी नई दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन के सहयोग से तैयार की गई है। प्रदर्शनी में एक पट पर इतिहास बताया गया है। लिखा गया है कि विश्व युद्ध के वक्त पश्चिमी मोर्चे पर, और फिर 1918 में फिलिस्तीन कार्रवाई के वक्त शाही रिजर्व के तौर पर भारतीय सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत के 14 लाख सैनिकों ने गजब का युद्ध लड़ा था।
प्रदर्शनी में प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाया गया है। लंदन में मौजूद नेशनल आर्मी म्यूजियम ऐतिहासिक चित्रों, कलाकृतियों, कारीगरी के नमूनों, दस्तावेजों और शौर्य पदकों के जरिए भारतीय सैनिकों का गौरवगान कर रहा है।
प्रदर्शनी में मेसोपोटामिया के ब्रिटिश भारतीय सेना के मुख्य कमांड केन्द्र रहने की जानकारी दी गई है। उस युद्ध में भारत की तरफ से फोर्स का तीन चौथाई हिस्सा, पानी के तीन चौथाई जहाज तथा रेलवे का पूरा सामान और कामगार उपलब्ध कराए गए थे। ये 1915 की बात है। इसका मुख्य उद्देश्य ही था बसरा और आसपास के इलाकों में तेल की आपूर्ति को बचाए रखना। वह तेल भी उम्मीद से कहीं कम लागत में मिला था। 1917 के आखिर में फिलिस्तीन में ब्रिटिश सेना की टुकड़ियों को वापस पश्चिमी मोर्चे पर भेज दिया गया था। बाद में वहां का मोर्चा भारतीय सैनिकों ने संभाला था।
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